Fri. Nov 22nd, 2024
    अब मायावती फंसी 1,400 करोड़ रुपये के स्मारक घोटाला में, ईडी ने मारा छह जगहों पर छापा

    उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बने काशीराम स्मारक स्थल में लगी मायावती की मूर्तियों के सिलसिले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो को जमकर लताड़ लगाते हुए उन्हे इस काम में खर्च हुए धन को राजकोष में लौटाने के लिए कहा है।

    भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता मे इस मामले की सुनवाई कर रही पीठ ने स्मारक मामले में अंतिम सुनवाई की तारीख हालाँकि 2 अप्रैल मुकर्रर की थी।

    मामले की सुनवाई में पीठ ने यह स्पष्ट किया है कि स्मारकों, स्वयं की मूर्तियों और पार्टी के चिन्ह वाली मूर्तियों पर जनता का जो भी पैसा मायावती ने खर्च किया है, उन्हे राजकोष में लौटाना ही होगा।

    इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में उठाते हुए एक वकील ने यह याचिका दायर की थी कि जनता के पैसा का इस तरह से दुरुपयोग नहीं किया जा सकता है। जनता के पैसे से स्वयं की मूर्तियाँ बनवाना कतई सही नहीं है।

    मालूम हो कि उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने राज्य की राजधानी में कई दलित स्मारकों का निर्माण करवाया था।

    इन सभी स्मारकों में काशीराम की मूर्तियों के साथ ही उनकी पार्टी के चुनाव चिन्ह हाथी और स्वयं मायावती की मूर्तियाँ बड़ी संख्या में लगाई गयी थीं।

    हालाँकि 2014 में अखिलेश की सपा सरकार आने के साथ ही मायावती के खिलाफ राजकोषीय धन के इस्तेमाल को लेकर अनियमिताओं का केस दर्ज़ कर लिया गया था।

    मायावती सरकार ने तब उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और नोएडा में कुल 26 सौ करोड़ की लागत वाले स्मारकों का निर्माण करवाया था।

    वर्ष 2013 में उत्तर प्रदेश के लोकयुक्त ने इस मामले में जाँच करते हुए आरोप लगाया था कि इन स्मारकों के निर्माण के दौरान राज्य के आम बजट का करीब 34 प्रतिशत हिस्सा इन पार्कों और स्मारकों के निर्माण में खर्च किया गया है।

    इस मामले में मायावती के साथ ही उनके पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा को भी आरोपी बनाया गया है।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *