तथाकथित गौरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऐसे मामलो मे ढिलाई नहीं बरती जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलो को संगीनता से देखा जाना चाहिए, और जो लोग हिंसा मे सम्मिलित है उन्हें कानून के शिंकजे मे लेन की जरुरत है। पहलु खान के मामले मे सुनवाई मे सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलो मे पीड़ित परिवार को मुआवजा मिलना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को आदेश देते हुए कहा कि गौरक्षा के नाम पर हुईं हिंसा के पीड़ितों को राज्य सरकार मुआवजा दे। कोर्ट ने कथित गौरक्षको द्वारा की जा रही हिंसा को रोकने के लिए राज्य सरकारों को नोडल अधिकारी नियुक्त कर और उसे अनुपालन कर राज्यों को रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्यन्यायधीश जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई कर रही पीठ ने कहा है कि पीड़ितों को मुआवजा मिलना चाहिए। पीड़ितों को मुआवजा देना राज्यों के लिए अनिवार्य है। पीठ ने कहा है कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता के तहत राज्य सरकार पीड़ितों को मुआवजा देने के योजना बनाने के लिए बाध्य है। और अगर उन्होंने ऐसी योजना नहीं बनाई है, तो जरूर बनाये।
इस संबंध मे एक याचिकाकर्ता की और से अदालत मे पेश वरिष्ठ अधिकवक्ता इंदिरा जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट से गौरक्षा मे पीड़ितों को मुआवजा दिए जाने का आग्रह किया। जयसिंह ने कहा की इस तरह के अपराध को रोकने के लिए राष्ट्रीय निति होनी चाहिए।
इस याचिकाकर्ताओ की और से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भी अदालत को बताया कि गौरक्षा के नाम पर अपराधी रिहा होने के दौरान पीड़ित के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गयी। और उसका उत्पीड़न किया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद देश वासियो से अपील कर चुके है, और कहा है की गौरक्षा के नाम पर हिंसा ना करे।