हाल ही में पाकिस्तान ने सीपीईसी प्रोजेक्ट के तहत पीओके में बनाए जाने वाले डैम निर्माण के लिए चीन को साफ मना कर दिया था। पाकिस्तान ने चीन को अनुरोध किया था कि वो इस बांध के निर्माण के लिए रजामंद नहीं है।
पाक ने चीन को कहा था कि इसकी लागत काफी ज्यादा है। चीन इस डैम के लिए 14 अरब डॉलर (करीब 910 अरब रूपए) खर्च करने को भी तैयार था लेकिन पाक ने पीओके के गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र में बनाए जाने वाले डैम के लिए चीनी कंपनी को इंकार करते हुए आर्थिक मदद को ठुकरा दिया था। जिसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि पाक के इस कदम से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ सकती है।
लेकिन हाल ही में एक चीनी विशेषज्ञ ने कहा है कि सीपीईसी प्रोजेक्ट से संबंधित पाक के साथ थोड़ी परेशानी जरूर चल रही है लेकिन इससे चीन-पाकिस्तान के रिश्तों पर कोई असर नहीं पडेगा।
चीन-पाक रिश्तों पर नहीं होगा असर
चीनी विशेषज्ञ हू शिसेंग ने कहा है कि पाक सीपीईसी से किसी परियोजना को वापिस ले सकता है। ये परस्पर परामर्श पर निर्भर करता है। इन्होंने कहा कि चीन-पाकिस्तान के संबंध काफी मजबूत है। चीन व पाकिस्तान के बीच में रिश्ता सीपीईसी पर ही निर्भर नहीं है। दोनों देशों के पास संवाद करने के लिए काफी मुद्दे है।
सीपीईसी प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए इसमें शामिल देशों में संवाद स्थापित होना चाहिए। आगे कहा कि पाकिस्तान के साथ घनिष्ठ संबंधों के बावजूद चीन एक जिम्मेदार देश है।
विशेषज्ञ ने कहा कि मुझे लगता है कि पाक के पीओके में बांध निर्माण परियोजना को छोडऩे के पीछे का कारण भारत द्वारा उठाई गई आपत्ति व विश्व बैंक द्वारा आर्थिक मदद से मना करना था।
लेकिन चीन ने पाक को आर्थिक मदद की पेशकश के साथ कड़ी शर्तें भी बताई जिस पर पाक ने इस बांध के निर्माण करने के लिए चीन को साफ इंकार कर दिया था। पाक का कहना है कि वो अपने संसाधनों से इस बांध का निर्माण कम लागत में कर सकता है।