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    रूस वीटो पावर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद

    रूस ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपनी वीटो पावर का उपयोग किया है। सीरिया में हो रहे रासायनिक हमलों के पीछे जुड़े लोगों का पता लगाने के लिए संयुक्त अन्वेषण तंत्र (जेआईएम) प्रस्ताव के विपक्ष में मत दिया। रूस ने 10वीं बार अपनी वीटो पावर का इस्तेमाल किया।

    सीरिया में रासायनिक हथियारों के हमले की एक अंतरराष्ट्रीय जांच पर रूस के अंडगा लगाने पर अमेरिका समेत कई देशों ने विरोध किया है। रूस के वीटो पावर की वजह से सीरिया में हो रहे रासायनिक हमलों के गुनहगारों का पता नहीं लगाया जा सकेगा।

    संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निक्की हेली ने रूस पर आरोप लगाया कि भविष्य में रासायनिक हमले रोकने के लिए रूस ने संगठन की क्षमता को कम करने का काम किया है। वहीं रूसी राजदूत ने आलोचना को खारिज कर दिया।

    रूस ने वीटो पावर इस्तेमाल किया

    दरअसल सीरिया में किए रासायनिक हमलों के अपराधियों की पहचान करने के लिए 2015 में संयुक्त अन्वेषण तंत्र (जेआईएम) स्थापित किया गया था। इस अमेरिकी मसौदा प्रस्ताव के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 15 में से 11 सदस्यों ने जांच के पक्ष में मत दिया था। मिस्र और चीन इस वोटिंग में अनुपस्थित रहे और बोलीविया ने भी रूस के साथ इसके खिलाफ मत दिया।

    ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और अमेरिका के पास सुरक्षा परिषद में वीटो शक्तियां है। रूस ने वीटो पावर का इस्तेमाल करते हुए रासायनिक हमलों की जांच करवाले के अमेरिका व अन्य देशों की कोशिशों पर पानी फेर दिया है।

    निक्ली हेली ने रूस के इस रवैये को कड़ा झटका बताया है। निक्की हेली ने कहा कि जेआईएम पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारी समर्थन मिल रहा था लेकिन रूस ने रासायनिक हमलावरों की पहचान करने की हमारी क्षमता को समाप्त कर दिया है।

    संयुक्त अन्वेषण तंत्र क्या है ?

    सीरिया में किए रासायनिक हमले के अपराधियों का पता लगाने व जांच के लिए साल 2015 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सर्वसम्मत समर्थन के साथ इसे बनाया गया और 2016 में एक और वर्ष के लिए रिन्यू किया गया।

    रासायनिक हथियारों के निषेध के लिए संयुक्त राष्ट्र और विभिन्न देश शामिल है। इसमे निष्कर्ष निकाला गया कि सीरियाई सरकार बलों ने साल 2014 और 2015 के बीच कम से कम तीन बार एक हथियार के रूप में क्लोरीन का इस्तेमाल किया था।

    लेकिन अब रूस ने इसकी जांच किए जाने को अटका दिया है। दरअसल रासायनिक हमलों की वजह से सीरिया में करीब 80 से अधिक लोगों की मौत हुई थी।

    सीरिया युद्ध क्या है ?

    दरअसल सीरिया में युद्ध शुरू होने से पहले सीरियाई लोग देश में बेरोजगारी, भ्रष्टाचार व वहां के राष्ट्रपति बशर अल-असद के दमन के खिलाफ थे। सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल-असद के ख़िलाफ़ 6 साल पहले शुरू हुई शांतिपूर्ण बगावत पूरी तरह से गृहयुद्ध में तब्दील हो चुकी है।

    जानकारी के अनुसार इसमें अब तक 3 लाख से अधिक लोग मारे जा चुके है। असद सरकार ने देश जारी लोगों के विरोध-प्रदर्शन को कुचलने के प्रयास शुरु किए। जिस वजह से सीरिया में सरकार के खिलाफ भारी मात्रा में रोष उत्पन्न होने लगा। और असद के इस्तीफे की मांग की।

    धीरे-धीरे विरोध बढ़ता गया और जारी लड़ाई में इस्लामिक स्टेट का प्रवेश हुआ। सीरिया की लड़ाई में ईरान, अमेरिका, रूस व सऊदी अरब ने भी हस्तक्षेप किया। अमेरिका ने हवाई हमले शुरू किए जिस वजह से स्थिति ज्यादा बिगड़ गई।