मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर पुलिस द्वारा अत्याचार किए जाने के आरोपों पर सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को देश भर में विरोध प्रदर्शनों के दौरान दंगों और सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करने पर गंभीरता से ध्यान दिया था। और कहा कि “हिंसा तुरंत बंद होनी चाहिए”।
सोमवार को भारत के कई हिस्सों से सीएए को लेकर विरोध प्रदर्शन की घटनाएं सामने आईं थीं। जिनमें से कुछ प्रदर्शनों ने हिंसक रूप धारण कर लिया था। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस विरोध प्रदर्शनों को अत्यधिक परेशान करने वाला बताया था और देश भर के लोगों से शांती की अपील की थी।
सीएए विरोध प्रदर्शन के बाद, जामिया और एएमयू की परीक्षा तारीखोंं में बदलाव
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ जारी हिंसक विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के कुछ परीक्षा कार्यक्रमों में फिर बदलाव किए गए हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने यह भी कहा कि सभी 42 सेंट्रल यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा।
एमएचआरडी सूत्र ने कहा, “नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन के कारण जामिया व एएमयू के कुछ परीक्षाओं में बदलाव किए गए हैं।” सूत्र के अनुसार, जामिया ने मंत्रालय से रविवार शाम को यूनिवर्सिटी में हुए हिंसक प्रदर्शन की जांच कराने का आग्रह किया है। मंत्रालय सूत्र ने पुष्टि की कि अब सभी यूनिवर्सिटी में स्थिति शांतिपूर्ण है।
असम से हटा कर्फ्यू, इंटरनेट सेवाएं भी हुईं बहाल
असम में लगाया गया कर्फ्यू मंगलवार को हटा लिया गया है और यहां ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाओं को बहाल कर दिया गया है। स्थानीय अधिकारियों ने कहा लगभग एक हफ्ते से लगाया गया कर्फ्यू हटा दिया गया है, क्योंकि फिलहाल राज्य की स्थिति में सुधार हुआ है। असम में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध में हिंसक विरोध प्रदर्शन होने के बाद एहतियात के तौर पर कर्फ्यू लगाया गया था और इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया गया था।
सीएए के खिलाफ बड़े पैमाने पर हिंसक विरोध के बाद 11 दिसंबर को गुवाहाटी, डिब्रूगढ़, जोरहाट, तिनसुकिया और असम के कुछ अन्य शहरों में कर्फ्यू लगाया गया था और सेना तैनात की गई थी।
गृह विभाग के एक अधिकारी ने कहा, “असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की अध्यक्षता में सोमवार की देर शाम कानून व्यवस्था की समीक्षा बैठक में गुवाहाटी से कर्फ्यू हटाने का फैसला लिया गया है। डिब्रूगढ़ में मंगलवार सुबह छह बजे से कर्फ्यू में 14 घंटे की ढील दी गई है। बाद में शाम को स्थिति की समीक्षा की जाएगी”
उन्होंने कहा कि लैंड-फोन आधारित ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाओं को बहाल कर दिया गया है, लेकिन मोबाइल इंटरनेट का निलंबन बुधवार सुबह नौ बजे तक जारी रहेगा। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, सरकारी और निजी कार्यालय, बैंक और व्यावसायिक प्रतिष्ठान खुले रहेंगे। गुवाहाटी और अन्य सभी प्रमुख शहरों व कस्बों में वाहन भी पहुंच रहे हैं।
हालांकि 22 दिसंबर तक कामरूप मेट्रो सहित असम के कुछ स्थानों पर स्कूल बंद रहेंगे।
पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सुभानन चंदा ने कहा कि राज्य में ट्रेन सेवाओं को पूरी तरह से सामान्य करने के लिए सभी प्रयास जारी हैं। उन्होंने कहा कि मंगलवार को असम में 11 स्थानीय लोकल पैसेंजर व इंटर सिटी ट्रेनें चल रही हैं।
एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) के क्षेत्रीय कार्यकारी निदेशक संजीव जिंदल ने कहा कि रविवार से पूर्वोत्तर भारत के सभी 10 हवाई अड्डों पर उड़ान सेवाएं पूरी तरह से चालू हैं, जिनमें असम के छह और त्रिपुरा, मणिपुर, नागालैंड व मिजोरम स्थित एक-एक हवाई अड्डा शामिल है।
हिंसा के बाद दिल्ली सीएम केजरीवाल ने जनता से की शांती बनाए रखने की अपील
राष्ट्रीय राजधानी में मंगलवार को एक बार फिर हिंसा शुरू होने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। केजरीवाल ने एक ट्वीट के जरिए कहा कि किसी भी तरह की हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
उन्होंने कहा, “मेरी सभी दिल्लीवासियो से अपील है कि शांति बनाए रखें। एक सभ्य समाज में किसी भी तरह की हिंसा बर्दाश्त नहीं की जा सकती। हिंसा से कुछ हासिल नहीं होगा। अपनी बात शांति से कहनी है।”
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में मंगलवार को हिंसा देखने को मिली, जिसके बाद केजरीवाल ने लोगों से शांति बरतने की अपील की है।
जामिया विश्वविद्यालय के आसपास मंगलवार को भी हुआ विरोध प्रदर्शन, मगर छात्र रहे नदारद
दिल्ली स्थित जामिया विश्वविद्यालय में मंगलवार को भी नागरिकता संशोधन कानून व दिल्ली पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन जारी रहा। प्रदर्शनकारी सुबह से ही जुटने शुरू हो गए। अपराह्न् करीब एक बजे तक एक बार फिर बड़ी तादाद में प्रदर्शनकारियों ने जामिया विश्वविद्यालय परिसर के मुख्य द्वार ‘अब्दुल कलाम आजाद’ गेट के बाहर धरना दिया और जमकर नारेबाजी की। हालांकि मंगलवार को हुए इस प्रदर्शन में खास बात यह रही कि जामिया विश्वविद्यालय परिसर के मुख्य द्वार पर धरना-प्रदर्शन कर रहे इन लोगों में जामिया के छात्र इक्का-दुक्का ही थे। अधिकांश प्रदर्शनकारी जामिया नगर, बाटला हाउस, हमदर्द, पुरानी दिल्ली की जामा मस्जिद, नोएडा, हरियाणा आदि इलाकों से यहां पहुंचे थे।
मंगलवार को स्वयं जामिया विश्वविद्यालय के छात्रों ने भी स्वीकार किया कि उनके इस विरोध प्रदर्शन को अब पूरी तरह से स्थानीय लोगों ने हाईजैक कर लिया है। रविवार को इस विरोध प्रदर्शन में जामिया के छात्रों की अहम भूमिका रही थी।
वहीं दूसरे दिन के विरोध प्रदर्शन में छात्रों की संख्या बेहद कम थी। विश्वविद्यालय परिसर में जहां-तहां स्थानीय लोग, दुकानदार व बाहरी लोग ही नजर आए। मंगलवार को भी दिनभर छात्र एवं छात्राओं के हॉस्टल खाली करने का सिलसिला जारी रहा। विश्वविद्यालय में पांच जनवरी तक की छुट्टी घोषित कर दी गई है। छात्रों का कहना है कि अब इस तनावपूर्ण माहौल में वे यहां नहीं रहना चाहते।
गेट नंबर 7 के बाहर प्रदर्शन कर रहे मोहसीन खान से जब पूछा गया कि जामिया विश्वविद्यालय से उनका जुड़ाव कैसे है तो उन्होंने बताया कि वह जामिया के छात्र नहीं हैं। बाटला हाउस में उनकी दुकान है और यह विश्वविद्यालय उनकी दुकान व घर के नजदीक है, इसलिए वह यहां विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
जामिया में पुलिस कार्रवाई का विरोध व विश्वविद्यालय के छात्रों से हमदर्दी जताने के लिए मंगलवार को जामा मस्जिद इलाके को बंद रखा गया। पुलिस की कार्रवाई और नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में यहां करीब दो हजार से ज्यादा दुकानें बंद रहीं।
जामिया परिसर में बाहर से आए इन प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने भी नजर बनाए रखी। सुरक्षा के लिहाज से पुलिस की कई टुकड़ियों को तैनात किया गया था, लेकिन यह पुलिस बल जामिया विश्वविद्यालय से करीब दो किलोमीटर दूर सुखदेव विहार मेट्रो स्टेशन व फॉर्टिस अस्पताल के आसपास डेरा डाले रही।
राजधानी दिल्ली के जाफराबाद इलाके में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प
जामिया नगर इलाके में हुए बवाल की आग अभी शांत भी नहीं हुई थी कि तीसरे दिन मंगलवार की दोपहर में उत्तर पूर्वी दिल्ली जिले में हिंसा फैल गई। हिंसा की शुरुआत जाफराबाद और सीलमपुर इलाके से करीब दो बजे के आसपास हुई। देखते-देखते हिंसा और आगजनी वेलकम, शास्त्री पार्क इलाकों में फैल गई।
दिल्ली पुलिस सूत्रों के मुताबिक, “हिंसा की शुरुआत एक स्कूल बस पर हमले से हुई। हमलावरों ने पथराव करके बस के शीशे चकनाचूर कर दिए। इसके बाद भीड़ ने राहगीरों को निशाना बनाना शुरू किया। उपद्रवियों के हमले से बचने के लिए राहगीरों ने वाहन छोड़कर मौके से जान बचाने के लिए भागना शुरू कर दिया।”
इलाके में हिंसा की खबर फैलते ही उपद्रवियों की भीड़ बढ़ती गई। भीड़ ने उत्तर पूर्वी जिला डीसीपी कार्यालय के आसपास जमकर पथराव किया। जाफराबाद थाने के बाहर पार्किं ग में खड़े वाहनों को आग लगा दी।
हिंसा के दौरान अफवाहों को भी हवा दी जाती रही। इससे भी माहौल खराब होता रहा। अचानक आई आफत से निपटने के लिए जिला पुलिस बिल्कुल तैयार नहीं थी। हिंसा फैलने के बाद अतिरिक्त जिलों से तथा रिजर्व पुलिस फोर्स को भी मौके पर बुलाया गया। जब तक अतिरिक्त पुलिस बल मौके पर पहुंचता, हालात बेहद बिगड़ चुके थे।
#WATCH Delhi: Earlier visuals of protesters targeting policemen in Seelampur. #CitizenshipAmendmentAct pic.twitter.com/JPJLub29ln
— ANI (@ANI) December 17, 2019
उपद्रवियों के हमले से दिल्ली पुलिसकर्मी भी खुद को नहीं बचा पाए। हमले में कई लोगों के घायल होने की खबर है। घायलों को पुलिस वाले इलाज के लिए ले जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे, क्योंकि भीड़ सीधे-सीधे पुलिस और आम नागरिकों को ही निशाने पर लेने पर उतारू थी।
कुछ देर बाद पुलिस ने लाठियां भांजकर भीड़ को खदेड़ने की नाकाम कोशिश भी की। इससे गुस्साई भीड़ पुलिस पर दोबारा पथराव करने लगी। इस हमले के दौरान पुलिस वाले भीड़ को लाउडस्पीकरों पर शांत रहने और पीछे हट जाने की अपील करती सुनी गई।
इस हिंसा में कितने आम लोग और कितने पुलिसकर्मी जख्मी हुए हैं। कितने वाहनों को नुकसान हुआ है? अभी मौके पर बने हालातों में यह बता पाना या तय कर पाना मुश्किल है। हां, नुकसान काफी हुआ है। घायलों में से ज्यादातर खुद ही अस्पताल में इलाज के लिए अपनों के साथ जाते देखे गए।
जाफराबाद, सीलमपुर, वेलकम, शास्त्री पार्क में फैली हिंसा के चलते मेट्रो के भी कई स्टेशन एहतियातन तुरंत बंद कर दिए गए। मंगलवार को आईएएनएस से बात करते हुए दिल्ली पुलिस मेट्रो रेल डीसीपी हेमेंद्र सिंह ने कहा, “फिलहाल हालातों के मद्देनजर शास्त्री पार्क मेट्रो स्टेशन बंद किया गया है।” हालांकि कुछ देर बाद ही दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेशन ने अधिकृत ट्विटर एकाउंट के जरिये आसपास के कुछ अन्य मेट्रो स्टेशन बंद किए जाने की भी जानकारी दी।
खबर लिखे जाने तक दिल्ली के अन्य जिलों से बुलाया गया तथा रिजर्व पुलिस फोर्स हालातों पर काबू करने में ही जुटा दिखा दे रहा था। पुलिस के ढीले सुरक्षा इंतजामों का आलम यह था कि एक तरफ जब तक पुलिस भीड़ से निपट रही होती थी, तब तक भीड़ की बाकी टीमें अन्य स्थानों पर पहुंचकर पथराव करके, पुलिस के वहां पहुंचने से पहले ही भाग चुकी होती थीं।
सूत्रों के मुताबिक, हालात बेकाबू और भीड़ को भारी पड़ता देख पुलिस ने पहली बार ड्रोन का भी इस्तेमाल किया, ताकि दूर से ही भीड़ का पता लगाकर पुलिस वहां पहुंचकर मोर्चा संभाल सके। ड्रोन को आसमान में उड़ते हुए तो देखा गया, मगर ड्रोन के इस्तेमाल की पुष्टि अभी तक दिल्ली पुलिस के किसी भी आला अफसर की ओर से नहीं की गई है।
उधर, मंगलवार शाम मध्य दिल्ली के दरियागंज, दिल्ली गेट व जामा मस्जिद इलाके में भी भीड़ के जुटने की संभावनाएं व्यक्त की जा रही हैं। हालांकि इस बाबत दिल्ली पुलिस ने अभी तक कोई पुष्ट जानकारी नहीं दी है।
सुप्रीम कोर्ट – ऐसी कोई समिति नहीं, जो पूरे देश में इस मुद्दे को देख सके
जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में हिंसा की घटनाओं के मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हमें हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है। यह कानून और व्यवस्था की समस्या है, बसें कैसे जल गईं? आप न्यायिक उच्च न्यायालय से संपर्क क्यों नहीं करते? प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे ने कहा, “हमें सरकार के पक्ष में कोई दिलचस्पी नहीं है और अदालत पूरे विवाद में समाचार पत्रों और खबरों पर भी भरोसा नहीं करेगी।”
जिस पर छात्रों का प्रतिनिधित्व कर रहीं अधिवक्ता इंदिरा जयसिंग कहती हैं कि “यह कानून स्थापित है कि विश्वविद्यालय एक ऐसी जगह नहीं है जहां पुलिस वीसी की अनुमति के बिना प्रवेश कर सकती है। 1 की आंखों की रोशनी चली गई। कुछ छात्रों के पैर टूट गए। जिसके जवाब में सॉलिसिटर जनरल, तुषार मेहता ने कहा कि,” एक भी छात्र ने अपनी दृष्टि नहीं खोई है “।
इंदिरा जयसिंग ने आगे कहा कि यह एक क्रॉस स्टेट इश्यू है और एक तथ्य खोजने वाली एसआईटी की आवश्यकता है। अदालत इस मुद्दे से कैसे पीछे हट सकती है। कोर्ट ने तेलंगाना एनकाउंटर केस में सुनवाई की। हम इसी तरह के आदेश देने के लिए कह रहे हैं।
जिसके जवाब में सीजेआई अरविंद बोबडे ने कहा कि तेलंगाना मुठभेड़ मामले को एक आयोग नियुक्त करके देखा जा सकता है लेकिन इस मामले में ऐसी कोई भी समिति नहीं है जो पूरे देश में इसे देख सके। सुप्रीम कोर्ट में दलीलों को सुनने के बाद आगे कहा कि मामले की प्रकृति और विशाल विवादित क्षेत्र के संबंध में, हमें लगता है कि विभिन्न राज्यों में इस मामले की जांच के लिए एक ही समिति नियुक्त करना उचित होगा। यह विभिन्न राज्यों से साक्ष्य का संग्रह करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से उन घटनाओं के अधिकार क्षेत्र के भीतर आने वाले उच्च न्यायालय जाने के लिए कहा है। जहां पर सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संबंधित उच्च न्यायालय, केंद्र सरकार और संबंधित राज्यों की सुनवाई के बाद जांच के उद्देश्य के लिए सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीशों को नियुक्त करने के लिए स्वतंत्र होंगे।
द्रमुक ने सीएए को लेकर बुधवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई
द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) ने मंगलवार को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 पर चर्चा के लिए सभी राजनीतिक दलों से आवाह्न किया। यहां जारी एक बयान में द्रमुक ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष एम.के. स्टालिन की अध्यक्षता में बुधवार सुबह 10.30 बजे यहां पार्टी मुख्यालय पर एक सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है।
पश्चिम बंगाल में सीएए और एनआरसी को लेकर सीएम ममता बनर्जी की विरोध रैली
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में सीएम ममता बनर्जी ने जादवपुर से जादु बाबू बाजार तक एनआरसी और सीएए के विरोध में मार्च निकाला। विरोध मार्च ने तृणमूल कांग्रेस सांसद मिमी चक्रवर्ती और नुसरत जहान भी उपस्थित थे।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), 2019 के विरोध में प्रदेश में प्रदर्शन के दौरान हुई व्यापक हिंसा को छिटपुट घटनाएं बताया है। उन्होंने रेलवे परिसरों पर तोड़फोड़ तथा आग लगाने की घटनाओं के लिए केंद्र को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि वे क्षेत्र रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के अधिकार में आते हैं ना कि राज्य पुलिस के अधिकार में।
ममता बनर्जी ने इससे पहले सोमवार को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और सीएए के विरोध में कोलकाता के बीच से भारी विरोध रैली निकाली थी और लोगों को राज्य में एनआरसी की कोई गतिविधि नहीं लागू करने और नागरिकता कानून लागू नहीं होने देने की शपथ दिलाई थी।
उन्होंने कहा, “हमारा नारा है ‘बंगाल में नो सीएबी, नो एनआरसी’।”
5000 से अधिक पाकिस्तानी सोशल मीडिया हैंडल सीएए पर फैला रहे हैं अफवाह – सुरक्षा एजेंसी
भारत की सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों ने पाकिस्तान से संचालित 5,000 से ज्यादा सोशल मीडिया अकाउंट को चिह्नित किया है, जो नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 पर गलत और झूठी जानकारियां फैला रहे हैं। इनमें से कुछ हैंडल भारत में सांप्रदायिक हिंसा फैलाने के लिए फर्जी वीडियोज का उपयोग कर रहे हैं।
सुरक्षा विभाग के एक सूत्र ने कहा, “पाकिस्तान की कुछ प्रमुख हस्तियां भी अपने निजी हैंडल्स से जानकारियां साझा कर रही हैं। ये हैंडल्स पिछले 48 घंटों से काफी सक्रिय हैं।” सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्फी तक झूठी जानकारियों से भरे ट्वीट कर रहे हैं।
उन्होंने ट्वीट किया, “भारत से आ रहे कई मैंसेजों में से, मैं सिर्फ यह मैसेज ट्वीट कर रहा हूं। दिल्ली के जामिया मिलिया स्थित मस्जिद में पुलिस की बर्बर हिंसा पर लड़की रो रही है। प्रधानमंत्री मोदी की फासीवादी हिंदुत्व सरकार मुस्लिमों के साथ युद्ध कर रही है।”
एजेंसियों ने कहा कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने ट्रोल ब्रिगेड की कमान संभाल रखी है। पाकिस्तान के सोशल मीडिया हैंडलर्स ने भी रविवार को जामिया मिलिया में प्रदर्शन के दौरान छात्रा के घायल होने की फर्जी खबरें पोस्ट कीं। भारतीय सुरक्षा बलों के संज्ञान में आते ही उन्होंने इसे तुरंत खारिज कर दिया। एजेंसियों ने ऐसे सोशल मीडिया हैंडल्स की पूरी सूची बनाई है और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को सूचित कर दिया है।
भारत में अस्थिरता पैदा करने के लिए झूठी खबरें फैलाने के पाकिस्तान के तरीके को देखते हुए सुरक्षा इकाइयों की सोशल मीडिया इकाइयां इस क्षति को रोकने के लिए काम कर रही है। गृह मंत्रालय और स्थानीय पुलिस ने लोगों से पाकिस्तान के फर्जी ट्वीट्स और प्रोपेगेंडा को नजरंदाज करने के लिए कहना शुरू कर दिया है। गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए दिशानिर्देश जारी कर सोशल मीडिया पर हिंसा फैलाने वाली फर्जी खबरों और अफवाहों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा है।
जामिया कांड : एडिश्नल डीसीपी का तबादला, 10 अन्य पुलिस अधिकारी इधर-उधर
जामिया कांड में पुलिस की हुई छीछालेदर के बाद दक्षिण-पूर्वी जिले के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त कुमार ज्ञानेश का तबादला कर दिया गया है। सोमवार को दिल्ली सरकार के गृह विभाग द्वारा जारी स्थानांतरण सूची में दिल्ली पुलिस के 10 और अधिकारियों के नाम शामिल हैं। हालांकि दिल्ली पुलिस मुख्यालय इस स्थानांतरण सूची और कुमार ज्ञानेश के तबादले को ‘रुटीन’ मान रहा है।
इस आशय की अधिकृत सूचना दिल्ली सरकार के गृह विभाग के उपसचिव (गृह-1) की ओर से सोमवार को जारी की गई। जारी स्थानांतरण आदेश में दिल्ली पुलिस के कुल 11 अधिकारियों के नाम दर्ज हैं। इन 11 नामों में पांच आईपीएएस और छह अधिकारी दानिप्स (दिल्ली, अंडमान एवं निकोबार द्वीप पुलिस) सेवा के हैं।
आदेश के मुताबिक, 2010 बैच के आईपीएस अफसरों में ब्रिजेंद्र कुमार यादव को डीसीपी (सुरक्षा) से हटाकर एडिश्नल डीसीपी-1 उत्तर-पश्चिम जिला बनाकर भेजा गया है। 2011 बैच के आईपीएस इंगित प्रताप सिंह को दक्षिण-पश्चिम जिले के एडिश्नल डीसीपी-1 के पद से हटाकर दक्षिण-पूर्वी जिले में भेजा गया है। जबकि दक्षिण-पूर्वी जिले में एडिश्नल डीसीपी-1 के पद पर तैनात दानिप्स सेवा के अफसर कुमार ज्ञानेश को हटाकर इंगित प्रताप सिंह के स्थान पर दक्षिण-पश्चिम जिले में तैनात किया गया है।
उल्लेखनीय है कि कुमार ज्ञानेश जिस दक्षिण-पूर्वी जिले में एडीशनल डीसीपी-1 थे, वहीं 15 दिसंबर, 2019 रविवार को जामिया नगर और जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में खूनी संघर्ष हुआ था। दिल्ली पुलिस के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि बबाल के बाद दिल्ली पुलिस ने सामने आए तमाम सवालों से खुद को बचाने के लिए कुमार ज्ञानेश को तत्काल प्रभाव से जिले से हटा दिया है। हालांकि इस बारे में दिल्ली पुलिस मुख्यालय इन तमाम स्थानांतरण को ‘रुटीन’ ही मानता है।
इसी तरह 2011 बैच के आईपीएस अधिकारी शंकर चौधरी को एडिश्नल डीसीपी पीसीआर से हटाकर डीसीपी यातायात का प्रभार दिया गया है। 2012 बैच के आईपीएस अधिकारी अभिषेक धानिया को डीसीपी यातायात से हटाकर एडीशनल डीसीपी-1 पूर्वी जिला बनाकर भेजा गया है। विक्रम हरीमोहन मीना (2015 बैच आईपीएस) को एडिश्नल डीसीपी दक्षिण-पश्चिम जिला से हटाकर डीसीपी यातायात बनाया गया है।
स्थानांतरित छह दानिप्स अधिकारियों की सूची में सबसे पहला नाम 1996 बैच की अधिकारी सुमन नलवा का है। इन्हें पुलिस प्रशिक्षण स्कूल द्वारका के प्रिंसिपल से हटाकर डीसीपी स्पेशल ब्रांच (खुफिया शाखा) के पद पर भेजा गया है। जबकि 1997 बैच के दानिप्स अफसर भीष्म सिंह को एडिश्नल डीसीपी-1 उत्तर-पश्चिम जिले से हटाकर डीसीपी साइबर (क्राइम ब्रांच) बनाया गया है।
2006 बैच के दानिप्स अधिकारी सुशील कुमार सिंह अब तक एडिश्नल डीसीपी-2 उत्तर पश्चिमी दिल्ली जिला तैनात थे। इन्हें सुरक्षा विंग का एडीशनल डीसीपी बनाया गया है। इसी तरह 2009 बैच के दानिप्स अधिकारी पवन कुमार को स्पेशल सेल के एडिश्नल डीसीपी पद से एडीशनल डीसीपी प्रधानमंत्री सुरक्षा भी दिया गया है। जबकि 2009 बैच के संदीप बयाला जोकि अब तक एडिश्नल डीसीपी प्रधानमंत्री सुरक्षा थे, को अब एडिश्नल डीसीपी पुलिस नियंत्रण कक्ष भी बनाया गया है।
केरल : 100 से अधिक लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 के विरोध के चलते केरल में मंगलवार को लगभग 33 संगठनों द्वारा राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया गया और इसी के मद्देनजर पुलिस ने राज्य के विभिन्न हिस्सों से लगभग सौ लोगों को एहतियातन हिरासत में ले लिया है। प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने वाले प्रशासन ने शिक्षण संस्थानों में छुट्टी के आदेश नहीं दिए हैं।
यहां कुछ छोटे राजनीतिक दलों द्वारा इस बंद का आह्वान किया गया, जिनका केरल विधानसभा में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। हालांकि यहां की ज्यादातर दुकानों और सार्वजनिक वाहनों पर इस बंद का कोई खास असर देखने को नहीं मिला, लेकिन कन्नूर, कासरगोड, पलक्कड़ जैसे जिलों और एर्नाकुलम के कुछ हिस्सों में प्रदर्शनकारियों ने सार्वजनिक परिवहन को अवरुद्ध किया और दुकानों को जबरदस्ती बंद कराया।
प्रभावित जिलों के कुछ स्थानों पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों का आमना-सामना हुआ और पुलिस ने लगभग दो दर्जन प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया। प्रभावित जिलों में सड़कों पर ज्यादातर निजी वाहन देखे गए। राज्य की राजधानी में आम जनजीवन भले ही प्रभावित नहीं है, लेकिन बसों पर पत्थरबाजी की कुछ घटनाएं सामने आई हैं।
जिन राजनीतिक दलों ने बंद बुलाया है, उनमें सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) और वेलफेयर पार्टी शामिल हैं और जिन स्थानों पर इन राजनीतिक दलों की ताकत कुछ ज्यादा है, वहां इस प्रदर्शन को सफल बनाने के लिए पार्टी कार्यकर्ता सड़कों पर उतर गए।
इस बीच, केरल राज्य के पुलिस प्रमुख लोकनाथ बेहरा ने प्रदर्शनकारियों को चेतावनी दी और कहा कि बंद का आह्वान केरल उच्च न्यायालय के फैसले का पालन नहीं करता है, जिसमें कहा गया है कि बंद बुलाने के लिए सात दिन का नोटिस दिया जाना चाहिए, अन्यथा यह गैर-कानूनी है और इसके लिए संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
कानून व्यवस्था भंग करने वालों से सख्ती से निपटा जाए- सीएम योगी आदित्यनाथ
नागरिकता संसोधन विधेयक के विरोध में विभिन्न जिलों में पैदा हुए तनाव पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देर रात में अफसरों की क्लास ली। उन्होंने निर्देश दिया की कानून-व्यवस्था खराब करने वालों से सख्ती से निपटा जाए। इस दौरान जिलों में तैनात अफसरों से कहा कि कानून-व्यवस्था को खराब करने वालों पर कड़ाई से कार्रवाई की जानी चाहिए। ऐसे लोगों पर किसी प्रकार की मुरव्वत करना ठीक नहीं है।
मुख्यमंत्री ने अलीगढ़ के जिलाधिकारी से कहा हालात इतने कैसे बिगड़ गए। इस पर और अधिक ध्यान देने की जरूरत है। वहीं मऊ जिले में हुई हिंसा पर डीएम और एसपी से नाराजगी जाहिर की और कहा कि कर्फ्यू जैसी अफवाहों पर रोक लगाई जाए। योगी ने लखनऊ के जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश से यहां पर हुए बवाल के बारे में जानकारी ली और हालत पर काबू रखने के निर्देश दिए।
उन्होंने प्रदेश में मौजूदा हालत पर कहा कि जो लोग नागरिकता संसोधन कानून के सन्दर्भ में अफवाह फैला रहे हैं ऐसे तत्वों पर नजर रखी जाए। इसके अलावा विभिन्न धर्मों के धर्मगुरू, मौलवी, काजी अन्य प्रबुद्घ जनों से संपर्क कर उनसे संवाद स्थापित किया जाए। उन्हें बताया जाए कि यह कानून किसी धर्म, जाति, मत मजहब के खिलाफ नहीं है। जो लोग आगजनी कर रहे हैं वह छात्र नहीं हो सकते हैं। वह उपद्रवी है। कानून के साथ खिलवाड़ करने वालों पर सख्ती से कार्यवाही की जानी चाहिए।
उत्तर प्रदेश के सम्भल में इंटरनेट सेवा निलंबित
उत्तर प्रदेश के सम्भल जिला प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार सीएए विरोध के बाद मंगलवार आधी रात तक के लिए जिले में इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर दिया गया है।
पश्चिम बंगाल में सीएए लागू नहीं किए जाने को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट में ममता बनर्जी के खिलाफ याचिका दायर
नागरिकता संशोधन अधिनियम को पश्चिम बंगाल में लागू नहीं करने वाले बयान को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट में सीएम ममता बनर्जी के खिलाफ याचिका दायक की गई है। जिसमें कहा गया है कि राज्य सरकार ने सार्वजनिक धन का उपयोग करते हुए मीडिया में यह विज्ञापन जारी किए हैं।
बिहार में लगे सीएम नीतीश कुमार के लापता होने के विज्ञापन
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर बिहार में राजनीति अब तेज हो गई है। इसी क्रम में पटना में कई स्थानों पर मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ‘लापता’ होने के पोस्टर लगाए गए हैं। पोस्टर हालांकि किसने लगाए, इसे लेकर अब तक कोई भी सामने नहीं आया है और न ही पोस्टर में किसी पार्टी, संगठन या व्यक्ति के नाम का उल्लेख है। पोस्टर के माध्यम से नीतीश कुमार पर सीएए को लेकर निशाना साधा गया है।
पटना के वीरचंद पटेल मार्ग, हवाईअड्डा मार्ग के कई स्थानों पर ऐसे पोस्टर लगाए गए हैं, जो अब चर्चा का विषय हैं। कई पोस्टरों में से एक पोस्टर पर लिखा है, “गूंगा-बहरा और अंधा मुख्यमंत्री। इसके बाद नीतीश कुमार की तस्वीर है और सबसे नीचे लिखा है, ‘लापता, लापता, लापता’।” एक दूसरे पोस्टर पर लिखा है, “ध्यान से देखिए इस चेहरे को, कई दिनों से न दिखाई दिया न सुनाई दिया, ढूंढ़ने वाले का बिहार सदा आभारी रहेगा।”
इस पोस्टर पर सबसे ऊपर लिखा है, “सीएबी, एनआरसी पर मौन। लापता।” एक अन्य पोस्टर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम के साथ लिखा गया है ‘अ²श्य मुख्यमंत्री- जो पांच साल में सिर्फ एक दिन शपथ ग्रहण समारोह में नजर आता है।’ ये पोस्टर अब सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहे हैं, जिसे लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं भी दी जा रही हैं।
इस बीच, राजद ने अपने ट्विटर हैंडल से इन पोस्टरों की तस्वीर को ट्वीट किया, और लिखा, “सीएए, एनआरसी जैसे अहम राष्ट्रीय मुद्दे पर जद (यू) अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का अभी तक कोई बयान नहीं आया है। जिसको लेकर राजधानी पटना में ‘नीतीश कुमार गुमशुदा’ के पोस्टर लगे हैं। नीतीश कुमार की यह चुप्पी बिहार के लिए खतरनाक है। अभी भी बहाना ही खोज रहे हैं।”
पुणें में फर्ग्यूसन कॉलेज के 2 छात्रों को पुलिस ने जारी किया नोटिस
महाराष्ट्र के पुणें में पुलिस ने फर्ग्यूसन कॉलेज के 2 छात्रों को सीआरपीसी की धारा 149 के तहत नोटिस जारी किया है। छात्रों को नागरिकता संशोधन अधिनियम और एनसीआर के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान या कोई विरोध प्रदर्शन नहीं करने की सलाह दी गई है। आज सुबह वह सीएए और एनआरसी के विरोध में हस्ताक्षर अभियान शुरू करने वाले थे।
अल्पसंख्यक समुदायों को राज्यवार जनसंख्या आंकडों के आधार पर परिभाषित करने की याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया कि अल्पसंख्यक समुदायों को राष्ट्रीय आंकड़ों के बजाय राज्यवार जनसंख्या आंकडों के आधार पर परिभाषित किया जाए।
डीएमके ने सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के खिलाफ याचिका दायर की
तमिलनाडु : द्रमुक का सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
तमिलनाडु में मुख्य विपक्षी दल द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) ने मंगलवार को सभी जिला मुख्यालयों पर नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के विरोध में प्रदर्शन किया। यहां तिरुवल्लुर, त्रिचि और अन्य स्थानों पर भारी संख्या में द्रमुक नेताओं और कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार और सीएए के खिलाफ नारेबाजी की। उन्होंने सीएए को खत्म किए जाने की मांग की। द्रमुक अध्यक्ष एम.के. स्टालिन ने सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार को यह विधेयक लाने की कोई जरूरत नहीं थी।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने मुख्य रूप से यह विधेयक आर्थिक मुद्दे से लोगों का ध्यान हटाने के लिए पेश किया था।
देशभर में जो कुछ हो रहा है, उसके लिए अधिकार क्षेत्र का अनुमान नहीं लगाया जा सकता- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट में एक वकील द्वारा उल्लेख किया गया कि नागरिकता संशोधन अधिनियम के नाम पर पश्चिम बंगाल में ट्रेनों और सार्वजनिक संपत्तियों में आग लगाई जा रही है। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह एक ट्रायल कोर्ट नहीं है। देशभर में जो कुछ भी हो रहा है उसके लिए सुप्रीम कोर्ट अधिकार क्षेत्र का अनुमान नहीं लगा सकता।
जामिया विरोध के दौरान दिल्ली पुलिस ने गोली नहीं चलाई – गृहमंत्रालय
गृह मंत्रालय (एमएचए) के अधिकारियों ने मंगलवार को कहा कि दिल्ली पुलिस ने रविवार को जामिया मिलिया इस्लामिया में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन के दौरान एक भी गोली नहीं चलाई। नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान आगजनी करने और वाहनों को जलाने के लिए 10 लोगों की गिरफ्तारी पर मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि हिरासत में लिए गए सभी 10 लोग आपराधिक पृष्ठभूमि के हैं।
एक अधिकारी ने कहा, “जामिया में विरोध प्रदर्शन के दौरान दिल्ली पुलिस द्वारा कोई गोली नहीं चलाई गई। सभी 10 लोग आपराधिक पृष्ठभूमि के हैं। अन्य असामाजिक तत्वों पर नजर रखी जा रही है।”
जामिया के सैकड़ों छात्रों ने रविवार को सीएए के खिलाफ प्रदर्शन किया, जिस दौरान चार डीटीसी बसों और दो पुलिस वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। पुलिस ने कथित तौर पर जामिया पुस्तकालय और छात्रावासों में प्रवेश किया और बड़ी संख्या में छात्रों को हिरासत में ले लिया। छात्रों का आरोप है कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं।
सीएए के विरोध में राष्ट्रपति से मुलाकात करने वाले विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल में शिवसेना शामिल नहीं- संजय राउत
नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल की राष्ट्रपति से मुलाकात को लेकर शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा है कि मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता है। शिवसेना प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा नहीं है।
सीएए को माहारष्ट्र में लागू किए जाने को लेकर सवाल पूछने पर संजय राउत ने कहा है कि इसका फैसला महाराष्ट्र सीएम उद्धव ठाकरे द्वारा कैबिनेट बैठक में लिया जाएगा।
मऊ हिंसा में 19 लोग गिरफ्तार- पुलिस
उत्तर प्रदेश एडीजी आशुतोष पांडे ने कहा है कि कल की हिंसा के सिलसिले मऊ जिले से 19 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
असम पुलिस महानिदेशक- बीजे महंत
असम के पुलिस महानिदेशक, बीजे महंत ने बताया है कि सीएए के विरोध में राज्य में हिंसक प्रदर्शन को लेकर अब तक 136 मामले दर्ज किए गए हैं और 190 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया है। ये सामान्य लोकतांत्रिक प्रदर्शनकारी नहीं थे। पुलिस ने हिंसा में लिप्त लोगों और कुछ षड्यंत्रकारियों को गिरफ्तार किया गया है। जिनमें विभिन्न संगठनों के कुछ प्रमुख नेता भी शामिल हैं।
उन्होंने कहा है कि दुर्भाग्य से पुलिस कार्रवाई में 4 लोग मारे गए थे। स्थिति ऐसी हो गई थी कि अधिक लोगों और संपत्ति को बचाने के लिए पुलिस को गोली चलानी पड़ी। स्थिति अब काफी नियंत्रण में है।
केंद्र सराकर कांग्रेस की तरह आपातकाल जैसे हालात पैदा न करे – मायावती
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती में नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 को लेकर कहा है कि, मैं केंद्र सरकार से इस असंवैधानिक कानून को वापस लेने की मांग करती हूं। अन्यथा भविष्य में इसके नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं। केंद्र सरकार को आपातकाल जैसे हालात पैदा नहीं करने चाहिए, जैसे कांग्रेस ने पहले किए थे।
बसपा के संसदीय दल ने सीएए को लेकर राष्ट्रपति से मिलने का समय भी मांगा है। उन्होंने कहा है कि हमारी पार्टी यूपी विधानसभा में भी नागरिकता संशोधन अधिनियम और महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मुद्दे पर आवाज उठाएगी।
जामिया मिलिया हिंसा मामले में 10 लोग गिरफ्तार
राष्ट्रीय राजधानी स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के पास स्थित न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ रविवार के विरोध प्रदर्शन के दौरान सड़कों पर वाहनों को आग लगाए जाने की घटना में संलिप्तता के लिए कम से कम 10 लोगों को मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया गया है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “गिरफ्तार 10 लोगों में से तीन इलाके के खराब चरित्र वाले शख्स हैं। उनकी पहचान की गई है और उन्हें हिरासत में ले लिया गया है।”
पुलिस अधिकारी ने यह भी कहा कि इनमें से कोई भी जामिया का विद्यार्थी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा करने वालों को पकड़ने के लिए दिल्ली के दक्षिण पूर्व जिलों के विभिन्न हिस्सों में छापे मारे जा रहे हैं। नागरिकता कानून के खिलाफ विश्वविद्यालय में हो रहे प्रदर्शनों के बीच रविवार को यह एक हिंसा का रूप उस वक्त ले लिया, जब पुलिस ने विश्वविद्यालय परिसर में घुसकर बल प्रयोग किया।
रविवार को इस कानून के खिलाफ न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में विरोध प्रदर्शन करने के दौरान पुलिस के साथ हुई झड़प में प्रदर्शनकारियों ने रविवार को चार सार्वजनिक बसों और पुलिस के दो वाहनों को आग के हवाले कर दिया। इस पूरी घटना में विद्यार्थी, पुलिस और अग्निशमन कर्मी सहित करीब 60 लोग घायल हो गए हैं।
डिब्रूगढ़ में सुबह 6 से रात 8 तक कर्फ्यू में राहत
असम में विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर डिब्रूगढ़ जिले में लगाया गए कर्फ्यू में मंगलवार सुबह 6 बजे से रात 8 बजे तक के लिए राहत दी गई है।
पश्चिम बंगाल में शाम 5 बजे तक इंटरनेट सेवा निलंबित
सीएए को लेकर हिंसक विरोध प्रदर्शनों के चलते पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले में इंटरनेट सेवाएं आज शाम 5 बजे तक निलंबित कर दिया गया है।