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साइंस चैनल भारत हिंदू धर्म

एक अमेरिकी विज्ञान चैनल ने मंगलवार को रामसेतु पर एक बहस को दोबारा शुरू किया है। इस चैनल ने दावा किया है कि भारत और श्रीलंका को जोड़ने वाला पुल का निर्माण प्राकृतिक तरीके से नहीं हुआ बल्कि ये मानव निर्मित पुल है जिसके सबूत भी उनके पास है। चैनल ने अपनी स्टडी के आधार पर दावा किया है कि यह ढांचा प्राकृतिक नहीं बल्कि इंसानों द्वारा बनाया गया है।

व्हाट ऑन धरती नामक एक आगामी शो के लिए एक प्रोमो के हिस्से के रूप में साइंस चैनल ने एक पुरातत्वविद् का इंटरव्यू लिया है जिसमें कहा गया कि रेत के पास शीर्ष पर चट्टानें वास्तव में काफी पुरानी है। रामसेतु पुल के निर्माण में जो पत्थर है वो करीब 7000 साल पुराने है। रामसेतु को एडम पुल के नाम से भी जाना जाता है।

रामसेतु पर दोबारा बहस शुरू

रामसेतु के इतिहास और विरासत पर कई तरह के विचार देखने को मिलते है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार भगवान राम ने अपनी पत्नी सीता को बचाने के लिए लंका तक पहुंचने में इस पुल का निर्माण किया था। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक समुद्र की गहराई 3 फीट और 30 फुट के बीच बदलती है।

साल 2008 में कांग्रेस की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को रामसेतु के बारे में कहा था कि भारत और श्रीलंका के बीच कोई पुल नहीं है। यदि भगवान राम ने पुल का निर्माण किया है तो बाद में उसे अन्य द्वारा नष्ट भी कर दिया होगा। सरकार ने इसे पूजा के उद्देश्य से संबंधित ही माना था।

सेतुसमुद्रम शिपिंग नहर परियोजना

इस परियोजना को भारत सरकार ने तैयार किया था जिसका प्रस्ताव कांग्रेस सरकार के समय डीएमके ने रखा था। उस समय बीजेपी ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि इससे रामसेतु को नुकसान पहुंचेगा। इस परियोजना का उद्देश्य मुन्नार की खाड़ी के माध्यम से शिपिंग मार्ग बनाने के लिए था।

इस इलाके में समुद्र बेहद उथला हुआ है। इसलिए भारतीय जहाजों द्वारा इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। इन जहाजों को श्रीलंका का बड़ी दूरी का चक्कर लगाना पड़ता था।

इसलिए सेतुसमुद्रम शिपिंग नहर परियोजना के तहत ऐसी योजना बनाई गई कि एडम्स पुल की कुछ चट्टानों को तोड़कर ऐसा मार्ग बनाना चाहिए ताकि जहाजों की यात्रा दूरी कम हो सके। इससे भारत के पश्चिम और पूर्वी तटों के बीच 350 समुद्री मील की दूरी कम हो जाएगी और जहाज परिवहन के समय के 10-30 घंटे की बचत होगी। साथ ही शिपिंग शुल्क भी नहीं देना होगा।

हिंदूवादी संगठन है रामसेतु से छेड़छाड़ के विरोध में

वहीं भाजपा का कहना है कि रामसेतु का निर्माण भगवान राम ने लंका में पहुंचने के लिए किया था। भारत के कई कट्टर हिंदूवादी संगठन राम सेतु से छेड़छाड़ किए जाने को लेकर विरोध कर रहे है।

रामसेतु को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है। बाद में इस विवाद  हल करने के लिए भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) ने इस पर शोध किया। ये परिषद जांच कर रहे है कि रामसेतु प्राकृतिक पुल था या फिर मानव द्वारा निर्मित था।