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    भारत खाद्य सुरक्षा चीन अमेरिका

    ब्यूनस आयर्स में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की 11 वी मंत्रिस्तरीय वार्ता चल रही है। डब्ल्यूटीओ के सदस्य देशों की ये वार्ता खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर आयोजित हुई है। लेकिन अमेरिका की वजह से मंत्रिस्तरीय वार्ता विफल होने के कगार पर है। दरअसल अमेरिका ने सार्वजनिक भंडारण के मुद्दे का स्थायी समाधान निकालने के किसी भी प्रयास में शामिल होने से इंकार कर दिया है।

    विभिन्न मीडिया रिपोर्टों की माने तो नवीनतम संकट के केंद्र में भारत और एक हद तक चीन हौ जो कि दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से है। भारत जहां पर खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर स्थायी समाधान चाहता है वहीं चीन निवेश की बहस चाहता है।

    एक छोटे समूह की बैठक में अमेरिकी सहायक व्यापार प्रतिनिधि शेरोन बॉमर लॉरसैन ने कहा कि खाद्य भंडारण मुद्दा स्थायी रूप से अमेरिका को स्वीकार्य नहीं है।

    बैठक के दौरान खाद्य भंडार मुद्दे पर बातचीत के दौरान गतिरोध उत्पन्न होने पर सेवाओं, मत्स्य पालन और ई-कॉमर्स जैसे अन्य मुद्दों पर प्रगति होना संभव नहीं हो पाएगा।

    डब्ल्यूटीओ नियम क्या है?

    डब्ल्यूटीओ के नियमों के तहत खाद्य सब्सिडी बिल 1986-88 के संदर्भ मूल्य के आधार पर विश्व व्यापार संगठन के सदस्य देश की खाद्य सब्सिडी कुल उत्पादन के 10 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकती है।

    खाद्य सुरक्षा पर विश्व व्यापार संगठन में भारत की स्थिति

    भारत ने एक नया कानून राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 को पारित किया है। इस अधिनियम के तहत मानव को भोजन और पोषण सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए। साथ ही उचित मूल्य के आधार पर लोगों को पर्याप्त मात्रा में भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए ताकि लोग गरिमा के साथ जीवन जी सके।

    भारत का मानना ​​है कि खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम के पूर्ण कार्यान्वयन से डब्ल्यूटीओ के नियमों का उल्लंघन हो सकता है। इसलिए भारत इस समस्या के स्थायी समाधान की मांग कर रहा है। इस बैठक से दो हफ्ते पहले ही भारत ने खाद्य सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई थी।

    साथ ही कहा था कि खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम के तहत सभी देशों यह सुनिश्चित करे कि इससे स्टॉक व्यापार नहीं बिगड़े। अगर ये वार्ता विफल रही तो इससे इस बहुपक्षीय संस्थान की साख प्रभावित होगी।

    अमेरिका भारत की मांग का विरोध कर रहा है। वहीं भारत ने विकासशील देशों की जरूरत के हिसाब से सब्सिडी देने की मांग की है। भारत ने विशेष अनुदान की मांग को वैध बताया है क्योंकि उसे 600 मिलियन गरीब लोगों की देखभाल करना है।

    भारत कर रहा अन्य मुद्दों को शामिल करने का विरोध

    भारत खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर स्थायी समाधान चाहता है। साथ ही भारत द्वारा इस मुद्दे में ई-कॉमर्स, निवेश व सेवाओं जैसे नए मुद्दों को शामिल किए जाने पर विरोध किया जा रहा है। भारत सिर्फ मुख्य मुद्दे पर ही चर्चा करना चाहता है।

    विश्व व्यापार संगठन में भारत-चीन की एकता

    आमतौर पर एनएसजी व संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद मामलों पर तो भारत व चीन एक दूसरे के विरोधी है लेकिन विश्व व्यापार संगठन में खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम में भारत व चीन में एकता है।

    साल 2015 से दोनों देशों ने खाद्य सुरक्षा और कृषि छूट के मुद्दे पर एक साथ काम किया है। इसके अलावा इसी साल देखा गया था कि भारत व चीन विकासशील देशों के मुद्दों को उजागर करते हुए एक संयुक्त पत्र लिखा था जिसमें खाद्य सुरक्षा से संबंधित मामले भी थे।

    नवंबर 2017 में भारत, चीन और 31 अन्य देशों ने कानूनी सुनिश्चितता के लिए बैठक बुलाई थी जिसमें कहा गया था कि कृषि मुद्दे पर विश्व व्यापार संगठन समझौते के स्थायी समाधान को संशोधित किया जाना चाहिए।

    एक रिपोर्ट की माने तो चीन डब्ल्यूटीओ में अपनी उपस्थिति बना रहा है। क्योंकि उसने निवेश की सुविधा के लिए वैश्विक नीति का समर्थन किया है।

    भारत जहां पर स्थायी समाधान की मांग कर रहा है वहीं चीन निवेश को समर्थन दे रहा है। अर्जेंटीना, ब्राजील, चीन, कोलंबिया, हांगकांग, मैक्सिको, नाइजीरिया और पाकिस्तान से मिलकर चीन समर्थित समूह ने निवेश को बढ़ावा देने के लिए समर्थन किया है।