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    सरदार सरोवर बाँध और नरेंद्र मोदी

    गुजरात में नर्मदा नदी पर स्थित सरदार सरोवर बाँध एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार इसके सुर्खियों में रहने की वजह कोई आन्दोलन या विवाद नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपने जन्मदिन पर बाँध को देश को समर्पित किया जाना रहा। अपने जन्मदिन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार सरोवर बाँध को देश को समर्पित किया और इस बाँध के निर्माण में अहम योगदान देने वाले महापुरुषों को याद किया। उन्होंने इस मौके पर सरदार पटेल, भीमराव अम्बेडकर को याद किया पर इस बाँध की आधारशिला रखने वाले पंडित जवाहर लाल नेहरू का उन्होंने पूरे सम्बोधन के दौरान कहीं भी जिक्र नहीं किया। इसके बाद एक बार फिर से इस बात को लेकर बहस छिड़ गई कि क्या भाजपा सरदार सरोवर बाँध का इस्तेमाल अपने राजनीतिक फायदे के लिए कर रही है?

    देश का सबसे ऊँचा बाँध

    नर्मदा नदी पर बना सरदार सरोवर बाँध कई मायनों में खास है। यह देश का सबसे ऊँचा बाँध है और आयतनिक भण्डारण क्षमता के आधार पर कंक्रीट से निर्मित यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ग्रैविटी डैम है। सरदार सरोवर बाँध की आधार ऊँचाई 163 मीटर है और इसकी वास्तविक कार्यकारी ऊँचाई 138.68 मीटर है। इस बाँध की लम्बाई 1210 मीटर है और इसके स्पिलवे की प्रवाह क्षमता 84,949 घन मीटर/सेकण्ड है। यह बाँध 88,000 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। बाँध के रिजर्वायर की भण्डारण क्षमता 9,500,000,000 घन मीटर है और इसकी चालू भण्डारण क्षमता 5,800,000,000 घन मीटर है। बाँध की अधिकतम गहराई 140 मीटर है और औसतन यह 138 मीटर है। इस बाँध द्वारा कुल 1,450 मेगा वाट की बिजली का उत्पादन किया जाता है जो गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र को सप्लाई की जाती है।

    पन बिजली के साथ-साथ सौर ऊर्जा उत्पादन

    सरदार सरोवर बाँध का निर्माण मुख्यतः देश की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किया गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इसकी आधारशिला रखी थी। अपनी विशेषताओं के कारण सरदार सरोवर बाँध को “गुजरात का वरदान” भी कहा जाता है। सरदार सरोवर बाँध बिजली उत्पादन और सिंचाई के साथ-साथ अब सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए भी प्रयोग में लिया जा रहा है। अगर पनबिजली उत्पादन की बात करें तो सरदार सरोवर बाँध के मुख्य शक्ति उत्पादन गृह में 200 मेगा वाट की क्षमता वाली 6 फ्रांसिस टरबाइनें कार्यरत हैं। नहरों के मुख्य प्रवेश द्वार पर 50 मेगा वाट क्षमता की 5 कप्लान टरबाइनें कार्यरत हैं। सम्मिलित रूप से सरदार सरोवर बाँध की कुल बिजली उत्पादन क्षमता 1,450 मेगा वाट है।

    बतौर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में गुजरात सरकार ने 2011 में यह घोषणा की थी कि वह सरदार सरोवर बाँध से निकलने वाली नहरों के ऊपर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करेगा। सरकार का यह कहना था कि इससे नहर के पानी के वाष्पीकरण की दर कम होगी और साथ-साथ साफ-सुथरे तरीके से ऊर्जा भी उत्पन्न की जा सकेगी। वर्तमान में 25 किलोमीटर क्षेत्र में नहरों के ऊपर लगे सौर प्लेटों के माध्यम से 25 मेगा वाट बिजली उत्पन्न की जा रही है जिसका उपयोग नहरों के आसपास बसे गाँवों को बिजली की सप्लाई देने में किया जाता है। गुजरात सरकार का लक्ष्य है कि वह सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाकर 500 मेगा वाट तक पहुंचाए जिससे बाँध के समीपवर्ती गाँवों को रोशन किया जा सके।

    सिंचाई और पेयजल सुविधाओं में होगा सुधार

    नर्मदा नदी पर बना सरदार सरोवर बाँध जल भण्डारण क्षमता के लिहाज से देश का सबसे बड़ा बाँध है। नर्मदा नदी का उद्गम अमरकंटक की पहाड़ियों से हुआ है जहाँ प्रचुर मात्रा में खनिज-लवण मिलते हैं। नर्मदा देश की सबसे स्वच्छ नदियों में से एक है और यह पुराणों में भी वर्णित है। नर्मदा का पानी मध्य प्रदेश और गुजरात के लोगों के लिए अमृत के समान है। नर्मदा पर निर्मित सरदार सरोवर बाँध की वजह से नर्मदा का पानी उन क्ष्रेत्रों में इकठ्ठा होता है जहाँ का जलस्तर बहुत नीचे जा चुका है और जिन क्षेत्रों की हालत बंजर भूमि जैसी हो चुकी है। ऐसे में अगर यूँ ही नर्मदा के पानी को बिना प्रयोग में लाए अरब सागर में गिरने दिया जाता तो जीवन-यापन के लिए तटीय आबादी को इन क्षेत्रों से पलायन करना पड़ता।

    सरदार सरोवर बाँध में एकत्रित नर्मदा के पानी से 2 करोड़ से अधिक लोगों की प्यास बुझेगी और 3 करोड़ लोगों को व्यावसायिक जरूरतों के लिए इसक पानी मिल सकेगा। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 10 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा और अब तक बदहाल जीवन जी रहे लोगों का जीवन स्तर सुधरेगा। सरदार सरोवर बाँध 4 राज्यों गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र की सिंचाई और ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेगा। बाँध के आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों को बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं मिलेंगी और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। इसके अतिरिक्त गुजरात के भरुच शहर समेत 210 गाँवों की करीब 4 लाख की आबादी को बाढ़ से निजात मिलेगी। अगर आर्थिक लिहाज से देखें तो यह बाँध सिंचाई और बिजली परियोजनाओं के माध्यम से गुजरात सरकार के लिए “सोने का अंडा देने वाली मुर्गी” साबित होगा।

    विवादों की वजह से निर्माण में लगे 56 वर्ष

    नर्मदा पर बने सरदार पटेल बाँध की आधारशिला 5 अप्रैल, 1961 को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने रखी थी। सिंचाई क्षमता बढ़ाने और पनबिजली उत्पन्न करने के लिए 1979 में परियोजना की शुरुआत की गई। बाँध की क्षमता बढ़ाने के लिए 7 बार इसकी ऊँचाई में संसोधन के प्रस्ताव को सुप्रीम कोर्ट से स्वीकृति लेनी पड़ी। 80 के दशक के अंत तक यह परियोजना विवादों में घिरने लगी थी। 1989 में मेधा पाटेकर ने नर्मदा बचाओ आन्दोलन शुरू किया और इसकी खातिर 1991 में उन्हें राइट लाइवलीहुड अवार्ड से सम्मानित किया गया। उनके आन्दोलन से प्रेरित कई डॉक्यूमेंट्री फिल्में भी बनी और उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले। लेखिका अरुंधति रॉय ने भी मेधा पाटेकर के आन्दोलन को समर्थन दिया और अपनी किताब थे कॉस्ट ऑफ लिविंग में इसका उल्लेख भी किया।

    माननीय सुप्रीम कोर्ट ने 17 जून, 2017 को सरदार सरोवर बाँध की ऊँचाई को महत्तम स्तर तक ले जाने और सभी 30 गेटों को बंद करने का आदेश दे दिया। इस अंतिम आदेश के बाद आंदोलनकारियों का आन्दोलन थम गया 17 सितम्बर, 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बाँध पर बने नवनिर्मित गेट का उद्घाटन किया। एक बेहतर भविष्य के लिए विकास हमारी जरुरत है और विकास हमसे बलिदान मांगता है। प्रकृति का नियम है कि पाया उसी ने है जिसने कभी कुछ खोया है। सरदार सरोवर बाँध की वजह से गुजरात के कई गाँवों के लोगों को निर्वासित होना पड़ा पर उन्हें यह भी समझना चाहिए कि उनके इस बलिदान की वजह से आज देश को यह अमूल्य सौगात मिली है। सरकार को भी निर्वासित लोगों के प्रति अपनी जवाबदेही दिखाते हुए उन्हें बसाना चाहिए और उन्हें रोजगार के अवसर मुहैया कराने चाहिए जिससे उनका जीवन पुनः पटरी पर लौट सके।

    भाजपा को मिलेगा राजनीतिक फायदा

    सरदार सरोवर बाँध को देश को समर्पित करते वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, “देश में कई विरोधी ताकतें ऐसी थी जो नहीं चाहती थी कि यह बाँध बने लेकिन लोगों के सहयोग की वजह से ही यह संभव हो पाया है। यह इंजीनियरिंग का उत्कृष्ट चमत्कार है। जितना विरोध इस प्रोजेक्ट का हुआ है उतना किसी और प्रोजेक्ट का नहीं हुआ। लेकिन आज यह नए भारत के निर्माण की मजबूत मिसाल बनकर आपके सामने खड़ा है।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सम्बोधन के दौरान सरदार पटेल और बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर को तो याद किया पर उन्होंने बाँध की आधारशिला रखने वाले पंडित जवाहर लाल नेहरू का कहीं भी जिक्र नहीं किया। इसके बाद से ही उनके सम्बोधन को राजनीति से जोड़कर देखा जाने लगा। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि भाजपा इसका श्रेय अपने राजनीतिक फायदे के लिए ले रही है।

    इस वर्ष के अंत तक गुजरात में विधानसभा चुनाव हैं और आगामी वर्ष मध्य प्रदेश और राजस्थान में चुनाव है। वर्तमान में तीनों ही राज्यों में भाजपा सरकार है। इस बाँध की वजह से सबसे ज्यादा फायदा गुजरात के लोगों को ही होगा। ऐसे में भाजपा इसे प्रमुख चुनावी मुद्दा बना सकती है और कांग्रेस के खिलाफ प्रचारित कर सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाँध को देश को समर्पित करने के दौरान दिए गए सम्बोधन में इशारों-इशारों में ही कांग्रेस को इस प्रोजेक्ट में हुई देरी के लिए जिम्मेदार ठहराया और कांग्रेस पर कई बार तंज कसे। एक बात तो तय है कि आगामी गुजरात विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा को नर्मदा का आशीर्वाद मिल चुका है पर यह कितना असरकारक साबित होगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।