Fri. Apr 26th, 2024
    रिकैपिटलाइजेशन बॉन्ड की पहली किश्त

    सरकार कमजोर बैंकों को केवल अपनी प्रावधान जरूरतें पूरा करने तथा मजबूत बैंकों को उनके विकास के लिए 1.35 लाख करोड़ रुपए रिकैपिटलाइजेशन बॉन्ड की पहली किश्त दिसंबर के पहले हफ्ते में दे सकती है। सरकारी प्रतिभूतियों के अनुरूप करीब 7 फीसदी के ब्याज दर के साथ रिकैपिटलाइजेशन की अवधि 10 साल की हो सकती है।

    रिकैपिटलाइजेशन के लिए सरकार तथा सार्वजनिक बैंकों और आरबीआई के बीच बातचीत अंतिम चरण में है। हालांकि अभी तक ये स्पष्ट नहीं हो पाया है कि सरकार बैंकों के रिकैपिटलाइजेशन के रूप में कितनी राशि अपनी पहली किश्त में जारी करेगी। हांलाकि वित्त मंत्रालय के अधिकारी पहले ही इस बात की घोषणा कर चुके हैं कि करीब 2.11 लाख करोड़ रूपए की पूंजी रिकैपिटलाइजेशन के तहत तीन या चार तिमाहियों में बैंकों को दी जाएगी।

    रिकैपिटलाइजेशन के लिए सरकार और बैंकों के बीच होने वाली बातचीत की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी का कहना है कि बैंकोें को बॉन्ड की राशि देने की प्र​क्रिया दिसंबर के पहले सप्ताह में शुरू की जा सकती है। इस पूंजी बॉन्ड की दर 7 फीसदी होगी तथा पहली किस्त की अ​वधि दस साल के लिए हो सकती है। हांलाकि इस अधिकारी ने बॉन्ड की पहली किश्त की राशि बताने से इनकार कर दिया।

    सरकार बैंकों की वित्तीय विकास तथा उनके कमजोर प्रावधान में सुधार के लिए उसी हिसाब से पूंजी देगी। आपको जानकारी के लिए बतादें कि रिकैपिटलाइजेशन की कुल पूंजी दो हिस्सों के तहत बांटी जाएगी। पूंजी का पहला हिस्सा कमजोर बैंकों के प्रावधान के लिए तथा दूसरा हिस्सा मजबूत बैंकों के और विकास करने की जरूरतों को पूरा करने के लिए दी जाएगी।

    रिकैपिटलाइजेशन की शर्तें

    केंद्र सरकार रिकैपिटलाइजेशन के तहत बैंकों को अतिरिक्त पूंजी देने जा रही है। लेकिन इसके लिए बैंकों को कर्इ् सुधार करने होंगे। मीडिया से रूबरू होते हुए वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बैंकों को सरकार से अतिरिक्त पूंजी प्राप्त करने के लिए कुछ सुधार करने होंगे। ऐसें में अब बैंक खुद तय करें कि उन्हें किस तरीके से काम करना है। पहले की तरह नहीं कि बिना किसी मेहनत के ही इन बैंकों को सरकार की ओर से अतिरिक्त पूंजी मिल जाती थी।

    अब बैंकों को यह पैसा आसानी से नहीं मिलने वाला है। बैंक बोर्ड को कंसोलिडेशन के लिए स्पष्ट और निश्चित प्लान बनाना होगा। राजीव कुमार ने जानकारी दी कि बैंक प्रमुखों के साथ हुई बैठक में कर्ज में फंसे बैंकों के समाधान, बैंक बोर्ड को मजबूत बनाने तथा मानव संसाधन के क्षेत्र से जुड़े सुधार पर विशेष चर्चा की गई।

    बैंकों को फंसे कर्ज से मुक्ति पानी होगी

    खबरों के अनुसार बैंकों को फंसे कर्ज से राहत पाने के लिए कर्ज का छोटा हिस्सा बट्टे खाते में डालकर पहले अपना बहीखाता दुरुस्त करना होगा तभी रिकैपिटलाइजेशन बॉन्ड की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। इस बार सरकार 1990 के दशक के में जारी किए बैंक रिकैपिटलाइजेशन बॉन्ड की प्रकिया अपनाना चाहती है।

    मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन के मुताबिक इस बैंक रिकैपिटलाइजेशन बॉन्ड से केंद्र सरकार पर 8,000 से 9,000 करोड़ रुपए ब्याज दर का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा, हालांकि इस कदम मुद्रास्फीति पर कोई असर देखेने को नहीं मिलेगा। सुब्रमण्यन ने कहा कि इस बॉन्ड से राजकोषीय घाटे पर कितना असर पड़ेगा यह अकाउंटिंग पर निर्भर करेगा।

    आपको बता दें कि मानक अंतरराष्ट्रीय अकाउंटिंग के तहत बॉन्ड से राजकोषीय घाटे पर काई असर नहीं पड़ता है। लेकिन संभावना है कि भारतीय प्रणाली के तहत रिकैपिटालाइजेशन बॉन्ड से राजको​षीय घाटे में इजाफा देखने को मिल सकता है।