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    बीएसएनएल

    सरकार द्वारा संचालित टेलीकॉम कंपनी, भारत संचार निगम लिमिटेड को सरकार ने अत्यधिक घाटों के चलते भविष्य के लिए उपलब्ध विकल्पों पर विचार करने को कहा है। इन विकल्पों में सरकार ने बीएसएनएल को अपनी सेवाएं रोक देने और कंपनी को ख़त्म करने का विकल्प भी दिया है।

    क्या है इसका कारण :

    सरकार द्वारा बीएसएनएल को अपनी सेवाएं बंद कर देने, या विनिवेश जैसे विकल्पों पर विचार करने को कहा है। ऐसा सरकार द्वारा इसलिए किया जा रहा है है क्योंकि पिछले कुछ समय से बीएसएनएल निरंतर रूप से बड़े घाटे झेल रहा है। इसके साथ ही बीएसएनएल सरकार को सबसे बड़ा घाटा दे रहा है। इसके चलते सरकार ने बीएसएनएल को विभिन्न विकल्पों पर विचार करने के सुझाव दिए हैं ताकि सरकार पर से घाटों का दबाव कम हो सके।

    बीएसएनएल के घाटों के आंकड़े :

    यदि हाल ही के वर्षों में देखा जाए तो बीएसएनएल सरकार का सबसे बड़ा घाटा पैदा करने वाला पीएसयू बन गया है। यदि इसके घाटों के आंकड़े के बारे में बात की जाए तो हम देख सकते है की इसने 2015-16 में कुल 4859 करोड़ रुपयों का घटा वहां किया था। इसके बाद 2016-17 में इसका घाटा थोडा कम होकर 4786 करोड़ हो गया था लेकिन साल 2017-18 में बीएसएनएल का घाटा 7992 करोड़ तक बढ़ गया जिससे यह सबसे बड़ा घाटा देने वाला पीएसयू बन गया। इसी के चलते सरकार ने इसे उपर्युक्त सुझाव दिए हैं।

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    घाटा कम करने की बीएसएनएल कर रहा कोशिश :

    बड़े घाटों को कम करने की बीएसएनएल स्वयं भी भरसक प्रयास कर हर है। इन्हीं प्रयासों के अंतर्गत बीएसएनएल ने इस साल कर्मचारियों को एलटीसी और मेडिकल भत्ते देना बंद कर दिए हैं। इसके साथ ही बीएसएनएल वोलंटरी स्कीम शुरू करने की भी सोच रहा है जिसके अंतर्गत रिटायरमेंट की उम्र कम का दी जायेगी। इन प्रयासों से बीएसएनएल अपने कर्मचारियों की संख्या कम करने का लक्ष्य कर रहा है ताकि खर्चों में भी कटौती की जा सके।

    पिछले साल भी बीएसएनएल ने ऐसे लाभों में कटौती करके करीब 2500 करोड़ रूपए बचाए थे। इस साल भी इसकी समान ही कुछ योजना है। बतादें की बीएसएनएल के कुल 1.8 लाख कर्मचारी है जिससे इसका अनुमानित वार्षिक खर्च 15000 करोड़ हो जाता है। वर्तमान में कर्मचारी लाभों में कटौती करके इसने करीब 625 करोड़ रूपए बचाए हैं।

    बीएसएनएल के चेयरमैन का बयान :

    बीएसएनएल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक अनुपम श्रीवास्तव ने डीएनए मनी से कहा, “हम बिजली, प्रशासनिक खर्चों में कटौती कर रहे हैं और अपने कर्मचारी लाभों को फ्रीज कर रहे हैं। फिलहाल, हम कोई एलटीसी (यात्रा रियायत  लाभ) आदि नहीं दे रहे हैं। चिकित्सा के खर्चों पर भी नियंत्रण किया जा रहा है।

    उन्होंने ऐसा किये जाने के पीछे यह कारण बताया की कर्मचारियों के लाभों में कटौती करके हम वोलंटरी रिटायरमेंट स्कीम के लिए पैसे बचा रहे हैं। इसके लिए लगभग 13000 करोड़ तक की बचत होने का अनुमान है।

    By विकास सिंह

    विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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