इतनी आधुनिकता के बावजूद आज भी हमारे देश में कहीं ना कहीं पुरानी रूढ़िवादी ताकते आज भी ज़िंदा हैl इसी का उदाहरण है सबरीमाला मंदिर जहाँ आज भी 10 से 50 वर्ष की महिलाओं का मंदिर में प्रवेश वर्जित हैl
परन्तु हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर की जिसके तहत महिलाओं का मंदिर में प्रवेश हो एवं संविधान के तहत इस नियम को हटाया जाएl
परन्तु मंदिर के बोर्ड ने कोर्ट से अपील करते हुए इस प्रतिबन्ध को लगे रहने का अनुग्रह कियाl प्रतिबन्ध पर राय रखते हुए भगवान अय्यप्पा मंदिर का संचालन करने वाले त्रावणकोर देवास्वम बोर्ड की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि देश की मस्जिदों में भी महिलाओं को प्रवेश की अनुमति नहीं है।
मंदिर का मानना है कि अगर 10-50 वर्ग कि महिलायें मंदिर में प्रवेश करेंगी तो मंदिर अपवित्र हो जाएगा क्योंकि उनके मुताबिक महिलाएं मासिक धर्म की वजह से मंदिर को अपवित्र कर सकतीं हैl
परन्तु सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सुनवाई में कहा कि इस देश में सभी को संविधान के तहत हर जगह जाने का आधार है मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अनुच्छेद-25 और 26 का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति को सिर्फ ‘जन स्वास्थ्य, जन व्यवस्था और नैतिकता’ के आधार पर ही मंदिर में घुसने से रोका जा सकता है।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अनुछेद 21 और अनुछेद 17 का हवाला देते हुए कहा कि, ”आधुनिक नहीं संवैधानिक सिद्धांतों के आधार पर रीति रिवाजों को जांचा जाएगा. आधुनिक धारणाएं बदलती रहती हैंl 1950 (संविधान लागू होने) के बाद, सब कुछ संवैधानिक सिद्धांतों और विचारों के अनुरूप होना चाहिएl’
13 अक्तूबर, 2017 को शीर्ष अदालत ने कहा था कि महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर रोक उनके मौलिक अधिकारों का हनन है एवं संविधान के तहत उन्हें यह हक़ मिलना चाहिएl