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    सबरीमाला मंदिर

    जबसे 16 नवम्बर को “सबरीमाला मंदिर” खुला है तबसे पहली बार इतने सारे तीर्थयात्रियों को एक साथ मंदिर में प्रवेश करते हुए देखा गया है। इसका कारण था श्रद्धालुओं का विरोध प्रदर्शन। दरअसल सितम्बर में जब सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला दिया कि हर उम्र की महिला मंदिर में प्रवेश कर सकती है, तबसे “सबरीमाला मंदिर” के पास सुरक्षा बढ़ा दी गयी है। कई महिलाओ ने मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की थी मगर विरोधियो के चक्कर में उन्हें कभी सफलता नहीं मिली।

    केरल में भाजपा और कांग्रेस ने मिलकर राज्य सरकार की निंदा की थी। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन चाहते थे कि कोर्ट के आदेश का पालन हो मगर श्रद्धालुओं ने ऐसा मुमकिन नहीं होने दिया।

    सरकारी आकड़ो के हिसाब से, सोमवार के दिन, मंदिर में दर्शन करने के लिए 79,098 तीर्थयात्री आये और उसके अगले दिन मंगलवार को दोपहर 1 बजे तक 40,000 तीर्थयात्री भगवान अय्यप्पा के दर्शन कर पाए।

    मगर इसके बाद भी, जितने तीर्थयात्री त्योहारों के मौसम में मंदिर में जमा होते हैं उतने नहीं आ पाए।

    पिछले छत्र में, दो महीने के तीर्थयात्रा के मौसम में, जितने तीर्थयात्री पुण्यस्थल पर दर्शन करने आये उनकी औसतन संख्या लगभग एक लाख थी।

    हालांकि केरल सरकार ने ये वादा किया है कि वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश को राज्य में अमल में लाएगी। इस मंदिर में 10-50 साल की महिलाओ के प्रवेश पर प्रतिबन्ध है। उनके मासिक धर्म को लेकर ऐसी प्रथा बनाई गयी है। ये प्रतिबन्ध हटने के बाद भी आभी तक एक भी महिला को इस मंदिर में प्रवेश करने की इजाज़त नहीं मिली है।

    मंगलवार के दिन, तीन सदस्य वाले हाई कोर्ट ने एक आब्जर्वर कमिटी को नियुक्त किया था जिसमे दो सेवानिवृत्त जज और एक पुलिस की सेवा में महानिदेशक मौजूद थे। उन्होंने “सबरीमाला मंदिर” जाकर तीर्थयात्री की सुविधाओं और व्यवस्था का निरीक्षण किया था।

    By साक्षी बंसल

    पत्रकारिता की छात्रा जिसे ख़बरों की दुनिया में रूचि है।

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