ताजनगरी आगरा में आज सपा का 10वां राष्ट्रीय अधिवेशन शुरू हो चुका है। इस एकदिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन में भाग लेने के लिए बुधवार शाम से ही देशभर से सपा कार्यकर्ता और पदाधिकारी ताजनगरी आगरा में जुट चुके हैं। अधिवेशन में वर्तमान सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को सर्वसम्मति से अगले 5 सालों के सपा अध्यक्ष चुना गया। इससे पूर्व जनवरी, 2017 में अखिलेश यादव पहली बार सपा अध्यक्ष बने थे। राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश यादव गुट के सभी बड़े नेता मंचासीन है। अखिलेश यादव के चाचा रामगोपाल यादव, भाई धर्मेंद्र यादव, सपा महासचिव आजम खान, नरेश अग्रवाल, रामगोविंद चौधरी समेत दिग्गज सपाई पहुँच चुके हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सुबह 9 बजे झण्डारोहण कर राष्ट्रीय अधिवेशन का आगाज किया।
इस एकदिवसीय अधिवेशन में सपा का आर्थिक और राजनीतिक प्रस्ताव पेश होगा और प्रतिनिधि सम्मलेन में इसपर चर्चा की जाएगी। दावों की माने तो देश भर से करीब 15,000 से अधिक सपा कार्यकर्ता और पदाधिकारी राष्ट्रीय अधिवेशन में शामिल होने के लिए आगरा पहुँच चुके हैं। वर्ष 2017 की शुरुआत से ही देश के सबसे बड़े सियासी कुनबे में अन्तर्कलह मची हुई है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पूर्व सपा दो धड़ों में विभाजित हो गई थी। एक गुट की कमान अखिलेश यादव संभल रहे थे वहीं दूसरे गुट की कमान मुलायम सिंह यादव के हाथों में थी। शिवपाल सिंह यादव नेताजी के साथ खड़े थे वहीं रामगोपाल यादव अखिलेश का साथ दे रहे थे। सपा में पड़ी इस फूट का फायदा उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा को मिला और पार्टी प्रचंड बहुमत से सूबे की सत्ता में आई।
एकजुट हो सकता है सपा परिवार
पिछले कुछ दिनों से सपा की अन्तर्कलह शांत होती दिख रही थी। बीते 25 सितम्बर को लखनऊ के लोहिया ट्रस्ट में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का पुत्रमोह जाग उठा था और उन्होंने अखिलेश यादव को आशीर्वाद दिया था। अखिलेश यादव ने इसपर खुशी जाहिर की थी और लखनऊ स्थित उनके आवास पर जाकर मुलाकात की थी। अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह यादव को सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में आने का न्यौता भी दिया जिसे नेताजी ने सहर्ष स्वीकार कर लिया था। पिता-पुत्र की इस मुलाकात के बाद से ही यह कयास लगने शुरू हो गए थे कि जल्द ही सपा परिवार एकजुट हो सकता है। बुधवार शाम को शिवपाल सिंह यादव ने फोन कर अखिलेश यादव को सपा अध्यक्ष बनने की बधाई दी थी। ऐसे में उम्मीद बँधी है कि राष्ट्रीय अधिवेशन में सपा परिवार फिर से एक हो सकता है।
राष्ट्रीय अधिवेशन के मंच पर सपा परिवार की एकजुटता से पार्टी कार्यकर्ताओं को मजबूत सन्देश मिलेगा। सपा प्रवक्ता अताउर्रहमान ने कहा कि देशभर से पार्टी कार्यकर्ता इस राष्ट्रीय अधिवेशन में हिस्सा ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव के युवा नेतृत्व में पार्टी कायकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार होगा। उन्होंने कहा कि इस राष्ट्रीय अधिवेशन में देश के मौजूदा राजनीतिक हालात, मोदी सरकार की नीतियों और राष्ट्र के समक्ष कड़ी हो रही अन्य ज्वलंत समस्यायों पर भी चर्चा होगी। हालाँकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि मुलायम सिंह यादव या शिवपाल सिंह यादव इस अधिवेशन में शामिल होंगे या नहीं। हालाँकि नेताजी ने सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में आने का आश्वासन दिया है पर इन दोनों संस्थापक सदस्यों की उपस्थिति को लेकर संशय अभी बरकरार है।
तय होगी लोकसभा चुनावों की रूपरेखा
सपा के इस राष्ट्रीय अधिवेशन में 2019 के लोकसभा चुनावों की रूपरेखा तय होगी। ऐसे आसार बन रहे हैं कि मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव दोबारा साथ आ सकते हैं। इन हालातों में पार्टी मजबूती से लोकसभा चुनावों में अपनी ताल ठोकेगी। सपा ने अपने एजेण्डे में मुलायम सिंह यादव द्वारा सुझाए गए मुद्दों को भी शामिल किया है। इनमें किसानों की बदहाली, आर्थिक मंदी के अलावा राजनीतिक मुद्दे भी हैं। अखिलेश यादव ने इन मुद्दों को राष्ट्रीय अधिवेशन में शामिल किया है और अधिवेशन में इनपर भी चर्चा होगी। इसके साथ-साथ केंद्र की मोदी सरकार और सूबे की योगी सरकार के विरुद्ध भी सपा कार्यकर्ताओं को एकजुट किया जाएगा।
सपा प्रवक्ता अताउर्रहमान ने बतया कि उत्तर प्रदेश की जनता योगी सरकार की नीतियों से त्रस्त हो चुकी है। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली मोदी सरकार और योगी सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ सपा कार्यकर्ता जल्द ही सड़कों पर उतरेंगे। योगी सरकार की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि अखिलेश राज में रफ्तार पकड़े विकास कार्यों पर योगी सरकार ने ब्रेक लगा दिया है। प्रदेश की जनता अब अखिलेश राज के दिनों को याद कर रही है। उन्होंने कहा कि अधिवेशन में प्रदेश में होने वाले निकाय चुनावों को लेकर भी चर्चा होगी।