1984 के सिख-विरोधी दंगों के आरोपी सज्जन कुमार की बेल पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट नें 15 अप्रैल तक स्थगित कर दिया है।
जाहिर है इससे पहले सीबीआई नें सुप्रीम कोर्ट को कहा था कि यदि सज्जन कुमार को बेल मिल जाती है, तो उनपर जांच ठीक से नहीं हो पाएगी।
सीबीआई नें सुप्रीम कोर्ट को कहा था कि सज्जन कुमार एक शक्तिशाली नेता हैं और वे अपने खिलाफ गवाहों को ‘प्रभावित’ कर सकते हैं।
Supreme Court today adjourned the hearing to April 15, the bail application of Sajjan Kumar. He is convicted to life imprisonment for his involvement in 1984 anti-Sikh riots cases. (file pic) pic.twitter.com/SwizNt5lAu
— ANI (@ANI) April 8, 2019
सीबीआई नें पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि इस मामले में यदि उन्हें बेल मिल जाती है तो सीबीआई ठीक से जांच नहीं कर पाएगी।
सज्जन कुमार की पिछली बार सुनवाई में जस्टिस एस ए बोबडे और जस्टिस एस ए नजीर शामिल हुए थे।
सज्जन कुमार पर आरोप लगा था कि दिल्ली छावनी के राज नगर पार्ट-1 इलाके में 1 और 2 नवम्बर 1984 को उनके कहने पर पांच सिखों की हत्या कर दी गई थी और राज नगर पार्ट-2 में एक गुरूद्वारे को जलाया गया था।
सिखों के खिलाफ दंगे उस समय भड़क गए थे जब इंदिरा गांधी के दो सिख बॉडीगार्ड नें गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी।
इससे पहले इस मामले की सुनवाई 25 मार्च को हुई थी, जब जस्टिस संजीव खन्ना नें अपने आप को इस केस की सुनवाई से दूर कर लिया था। उस समय केस की अध्यक्षता चीफ जस्टिस रंजन गोगोई कर रहे थे।
उस समय मौजूद बेंच नें केस की सुनवाई की अगली तारीख दो सप्ताह बाद की दि, जिसके बाद आज 8 अप्रैल को यह केस सुना जाना था।
हाई कोर्ट नें दिया था फैसला
सज्जन कुमार को इस मामले में आरोपी पाए जाने के बाद हाई कोर्ट नें अन्य 5 आरोपियों पर 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। इनमें से बलवान खोखर, कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी और महेंद्र यादव और किशन खोखर की सजा को 3 साल से बढाकर 10 साल कर दिया था।
हाई कोर्ट की सुनवाई में जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस विनोद गोयल की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा था कि 1947 में विभाजन के बाद यह दूसरा मौका ऐसा है जब नरसंहार के तहत हजारों लोगों की हत्या हुई। कोर्ट नें पाया था की हत्यारों को राजनैतिक संरक्षण मिला था।