दिल्ली हाईकोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगो में उम्रकैद की सजा पाए सज्जन कुमार को झटका देते हुए उनकी आत्मसमर्पण के लिए और समय मांगने की याचिका खारिज कर दी।
कोर्ट ने सजा सुनाते हुए सज्जन कुमार को 31 दिसंबर तक आत्मसमर्पण करने को कहा था लेकिन सज्जन कुमार ने 31 जनवरी तक की मोहलत के लिए अपील की थी।
कुमार के वकील ने कहा था कि उन्हें सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए थोडा और वक़्त चाहिए इसके अलावा सज्जन कुमार को अपने पारिवारिक जिम्मेदारियां, जिसमे संपत्ति का बंटवारा शामिल है, के लिए भी समय की जरूरत है। लेकिन कोर्ट ने उनकी अर्जी खारिज करते हुए कहा कि उन्हें 31 दिसंबर तक आत्मसमर्पण कर जेल जाना ही होगा।
दिल्ली हाई कोर्ट ने सज्जन कुमार को 1 नवम्बर 1984 को दिल्ली के राज नगर में एक ही परिवार के 5 लोगों की हत्या और गुरूद्वारे में आज लगाने के मामले में उम्र कैद की सजा सुनाई है।
31 अक्टूबर 1884 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की हत्या उनके ही सिख अंगरक्षकों द्वारा कर देने के बाद पुरे देश में सिख विरोधियो दंगे भड़क उठे थे। कांग्रेस नेताओं के नेतृत्व में भीड़ ने करीब 3000 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था तथा उनकी संपत्तियों को लूट लिया गया था। कई गुरुद्वारों को भी आग लगा कर नुकसान पहुँचाया गया था।
हाई कोर्ट ने सज्जन कुमार को सजा सुनाते हुए कहा था कि “बड़े पैमाने पर अपराधों के लिए जिम्मेदार अपराधियों ने दंड से बचने के लिए राजनीतिक संरक्षण और प्रबंधन का आनंद लिया है । ऐसे अपराधियों को न्याय में लाकर हमारे कानूनी तंत्र को गंभीर चुनौती मिलती है। दशक गुजर जाते हैं उन्हें अपराध के लिए उत्तरदायी घोषित करने में।”
सजा मिलने के बाद सज्जन कुमार ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।
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