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    कांग्रेस नेता और राजस्थान के उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट का मानना है कि कांग्रेस की न्याय योजना देश की दशा और दिशा दोनों बदल सकती है।

    हाल ही में सचिन पायलट नें पुणे मिरर को एक इंटरव्यू दिया, जिसमें उन्होनें आगामी चुनावों में कांग्रेस की रणनीति और अन्य विषयों पर चर्चा की।

    न्याय स्कीम की बहुत आलोचना हो रही है? बीजेपी नें भी एक बार लोगों के खाते में पैसे डालने की बात कही थी। लोगों को कांग्रेस की बात क्यों माननी चाहिए?

    पिछले साल में मोदी सरकार नें जो भी वादे किये थे, उससे उलट काम किया है। इस सरकार नें उन लोगों की मदद की है, जिन्होनें देश को लूटा है। कांग्रेस का घोषणा पत्र बिलकुल साफ़ है: सबसे गरीब परिवारों को साल में 72,000 रुपए मिलेंगे। पार्टी इस वादे को पूरा करके दिखाएगी।

    इस योजना के लिए पैसे इकठ्ठा करने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। जब हमनें मनरेगा की शुरुआत की थी, तब भी लोगों नें इसी प्रकार उसका मजाक उड़ाया था। लेकिन उस योजना नें गरीबी की कमर तोड़ दी थी।

    10 साल की युपीए सरकार में हमनें 14 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहा निकाला था। हमनें हरित क्रांति की शुरुआत की, सफेद क्रांति की शुरुआत की, अब समय है रोजगार क्रांति का। देश को इसकी जरूरत है।

    लेकिन न्याय स्कीम के लिए पैसा कहाँ से आएगा?

    युपीए की 10 साल की सरकार के दौरान जीडीपी तीन गुना (32.42 लाख करोड़ से 100.28 लाख करोड़) बढ़ा था। अर्थव्यवस्था कांग्रेस के शासन में अच्छा प्रदर्शन करती है।

    मोदीजी की सरकार आंकड़ों को छुपा रही है और अन्य आंकड़ों के साथ छेड़छाड़ कर रही है। इस सरकार के नारे जैसे ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्टैंड अप इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ फेल हो चुके हैं।

    हम टैक्स भंडार में इजाफा करेंगे लेकिन मध्यम वर्गीय लोगों से टैक्स नहीं लेंगे। पैसे जोड़ना समस्या नहीं है। कांग्रेस के संकल्प से इस योजना को सफल बनाया जाएगा।

    आप ये कैसे सुनिश्चित करेंगे कि सही लोगों को इस स्कीम का फायदा मिले?

    इस विषय में काफी केन्द्रीय आंकड़ा है, जो गरीब परिवारों को ढूँढने में मदद करेगा। यदि मोदीजी कहते हैं कि वे गरीब किसानों के अकाउंट में 2000 रुपए डाल सकते हैं, तो हम गरीब जनता को इसका फायदा क्यों नहीं पहुंचा सकते हैं?

    2000 रुपए में तो किसान के ट्रैक्टर की डीजल की टंकी भी फुल नहीं भरती है। ये सब जुमले हैं। लेकिन हमारी स्कीम इस चुनावों की दिशा को बदल देगी।

    आप प्रधानमंत्री के वादों को जुमलेबाजी बता रहे हैं, लेकिन खबरें आ रही है कि राजस्थान में बहुत से किसानों के कर्ज अभी माफ़ नहीं हुए हैं?

    हमनें 18,000 करोड़ रुपए के कर्ज माफ़ करने की बात कही थी। प्राइवेट बैंकों से लेकर पिछड़े इलाकों में मौजूद बैंकों तक, राजस्थान में सभी कर्ज माफ़ हो गए हैं।

    कुछ प्राइवेट बैंकों के कार्यालय दिल्ली और मुंबई में है और इन बैंकों की प्रक्रिया अभी जारी है। इसके लिए बातचीत चल रही है।

    आप अकेले ऐसे कांग्रेस के नेता हैं, जिन्होनें हाई कमांड के उस निर्णय पर सवाल उठाया था, जब आपको मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया था? क्या कांग्रेस की कार्य प्रणाली में बदलाव आ रहा है?

    (जल्द से बात काटते हुए) मुझे पता नहीं आपको यह जानकारी कहाँ से मिली है? मुख्यमंत्री का पद किसे दिया जाये, यह फैसला सर्व-सम्मति से लिया गया था। मैं भी उस फैसले का हिस्सा था।

    मुझे ख़ुशी है कि मुझे इतनी कम उम्र में पार्टी का राज्य अध्यक्ष बनाया और अब उप-मुख्यमंत्री का पद मिला। हम उन लोगों में से नहीं है, जिन्हें पद की लालसा है।

    महाराष्ट्र कांग्रेस में आंतरिक मतभेदों की वजह से पार्टी कमजोर पड़ रही है, क्या पार्टी बीजेपी-शिवसेना को टक्कर दे पाएगी?

    महाराष्ट्र के लोगों को बीजेपी और शिवसेना नें ठगा है। दोनों पार्टियाँ हर समय एक दुसरे को कोसती हैं, लेकिन बाद में गठबंधन कर लेती हैं। ये दोनों पार्टियाँ लोगों को कुछ भी भरोसा नहीं दिला सकती हैं। उन्होनें समझौता किया क्योंकि राज्य में कांग्रेस और एनसीपी का गठबंधन काफी मजबूत है।

    हमारा एनसीपी के साथ गठबंधन पिछले 15 सालों से जारी है। शिवसेना और बीजेपी सिर्फ चुनावों के लिए गठबंधन करती हैं।

    मुख्यमंत्री नें अपने वादों को नहीं निभाया है। किसाओं की पदयात्रा के बाद उन्हें भरोसा दिलाया गया था, लेकिन उस विषय में कुछ भी नहीं हुआ है। निर्माण कार्य के मामले में महाराष्ट्र की हालत काफी ख़राब है।

    मुझे लगता है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस दिल्ली, नागपुर और मातोश्री को खुश करने के लिए काम करते हैं। ऐसा तब होता है जब कुर्सी किसी ओर जगह हो और सत्ता किसी ओर के हाथ में हो।

    किसानों का मुद्दा चुनाव का मुख्य मुद्दा नहीं है। ऐसा क्यों है?

    (फिर से बीच में काटते हुए) भारत में किसानों का मुद्दा इतना गंभीर कभी नहीं हुआ है। कर्ज को लेकर किसान आत्महत्या कर रहे हैं। बीजेपी इस संकट को सुलझाने में नाकाम रही है।

    बीजेपी की सरकार केंद्र में है और बीजेपी की सरकार महाराष्ट्र में है, फिर भी ये लोग कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं।

    यदि ये लोग संवेदनशील मुद्दों पर वोट मांगते रहेंगे, तो किसान जैसे मुद्दे कभी सामने नहीं आयेंगे।

    क्या आपको लगता है कि महागठबंधन सरकार बना सकता है? यदि हाँ, तो कांग्रेस की इसमें क्या भूमिका होगी?

    मई 23, को युपीए की सरकार सत्ता में काबिज होगी। हम बाद में इसका नेता चुनेंगे। मैं इसे युपीए प्लस प्लस कहूँगा क्योंकि हमारे महाराष्ट्र, झारखण्ड, बिहार और तमिलनाडु में नए गठबंधन बने हैं।

    जैसा मैंने पहले कहा कोई भी पद के लिए चुनाव नहीं लड़ रहा है।

    कुछ लोगों का कहना है कि आप जैसे युवा चेहरे को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार होना चाहिए। क्या आप इसके लिए तैयार हैं?

    (हँसते हुए) 26 साल की उम्र में पार्टी नें मुझे सांसद बनाया। उसके बाद मंत्री, फिर पार्टी अध्यक्ष और अब उप-मुख्यमंत्री। मैं कांग्रेस का एक पक्का सदस्य हूँ। पार्टी नें मुझे काफी दिया है अब समय है वापस देने का।

    राज्य में चुनावों के दौरान आपने एक भय के माहौल का जिक्र किया था। इससे आपका क्या मतलब है?

    सीबीआई, ईडी, आयकर विभाग और पुलिस मिलकर उन लोगों को निशाना बना रहे हैं जो बीजेपी की विचारधारा पर सवाल उठाते हैं। लोकतंत्र में जो खुलापन होता है, वह कहीं गायब हो गया है। सालों से हमनें जिन संस्थानों को मजबूत किया है, उसकी हमें रक्षा करनी है।

    पार्टियाँ आएँगी और जायेंगी, सरकारें बनेंगी और गिरेंगी लेकिन ये संस्था इस लोकतंत्र की नींव हैं। पिछले 70 सालों में हमनें जो अर्जित किया है, उसको चुनौती दी जा रही है।

    इसलिए हम कह रहे हैं कि ये चुनाव देश के लोकतंत्र को बचाने के लिए हैं।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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