पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के बाद सऊदी अरब की सरकार अंतर्राष्ट्रीय जगत की आलोचनायें झेल रहे हैं। सऊदी के बादशाह ने गुरूवार को सरकार में फेरबदल के आदेश दिए हैं। विदेश मंत्री सहित कई राजनीतिक हस्तियों को सरकारी पद से हटाया गया है। प्रिंस मोहम्मद के मंत्रालय को हाथ नहीं लगाया गया है।
पूर्व वित्त मंत्री जिन्हें गत वर्ष एक भ्रष्टाचार के आरोप में नज़रबंद रखा गया था, वह आदेल अल जुबेर की जगह लेंगे। जुबैर के पद को घटाकर विदेशी मसलों के राज्यमंत्री पद सौंपा गया है। जमाल खशोगी की हत्या के बाद राजशाही साकार कूटनीतिक स्तर पर कमजोर दिखाई दे रही थी।
नेशनल गार्ड के ऊँचे ओहदे को प्रिंस अब्दुल्लाह बिन बन्दर को सौंपा गया है और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का कार्यभार मुसेद अल एबन को दिया गया है। द अरबिया फाउंडेशन के प्रमुख अली शिहाबी ने कहा कि सरकार में यह फेरबदल क्राउन प्रिंस को वापस अपनी ताकत हासिल करने के लिए मदद करेगा,, क्योंकि कई प्रमुख पदों को उनके वफादारों को दिया गया है।
सऊदी अरब ने वित्त, ऊर्जा और आर्थिक मंत्रालयों में कोई फेरबदल नहीं किया है, जबकि सऊदी में कच्चे तेल के डाम नियमित गिरते जा रहे हैं, जो प्रिंस मोहम्मद की साल 2030 सुधार कार्यक्रम के नजरिये पर अनिश्चितता पैदा कर रहा है।
जमाल खशोगी की हत्या का प्रभाव
राजशाही सरकार की कूटनीति पर संकट अमेरिका में 11 सितम्बर 2011 को हुए आतंकी हमले के बाद से ही मंडराता रहा है। क्योंकि इसमें से अधिकतर हाईजैकर सऊदी अरब के नागरिक थे। गल्फ रिसर्च सेंटर में सीनियर फ़ेलो मोहम्मद अल्याहा ने कहा कि जमाल खशोगी की हत्या से इस सबको नहीं जोड़ा जा सकता है, सरकार हर चार साल में मंत्रालयों में फेरबदल करती है। यह राजशाही में युवा राजकुमारों की नियुक्ति को दर्शाती है, सतह ही अनुभवी लोगों को भी मंत्रालय सौंपा गया है। यह सौदिया अरब में सुधार के लिए संतुलन बनाया गया है।
सऊदी अरबने कहा कि अमेरिया हमारे आंतरिक मामलों में प्रबल दखलंदाजी कर रहा है। अमेरिका ने 13 दिसम्बर को सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस की आलोश्ना प्रस्ताव पारित किया था। सऊदी अरब ने अपने सहयोगी देश और मैत्रीपूर्ण सरकार के सदस्यों का सदन में प्रस्ताव लाने पर चिंता जाहिर की है।
सऊदी विदेश मंत्रालय ने कहा कि पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या खेदजनक थी, यह कोई अपराध नहीं था। उन्होंने कहा कि यह सऊदी या उसके संस्थानों की योजना को उजागर नहीं करती है।