सऊदी अरब के तेल पम्पिंग स्टेशनो पर ड्रोन से हमला किया गया था कर रियाद ने सार्वजानिक तौर पर ईरान पर हमले के आदेश देने का आरोप लगाया है। भारत ने गुरूवार को इस हमले की आलोचना की थी और आतंकवाद के सभी रूपों और घटनाओं से लड़ने की प्रतिबद्धता को दोहराया है।
भारत ने की हमले की निंदा
14 मई को सरकार द्वारा संचालित सऊदी अरामको ने ड्रोन हमले से आग लगने के बाद ईस्ट-वेस्ट पाइपलाइन को बंद कर दिया था। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि “14 मई 2019 को हुए ड्रोन हमले की भारत कड़ी निंदा करता है जिसमे सऊदी के तेल पम्पो को निशाना बनाया गया था।”
उन्होंने कहा कि “हम आतंकवाद के सभी रूपों और घटनाओं से लड़ने की प्रतिबद्धता को दोहराते हैं।” सऊदी के उप रक्षा मंत्री खालिद बिन सलमान ने ट्वीट में गुरूवार को “यह हमला साबित करता है कि हूथी विद्रोही ईरानी सरकार के लिए मात्र एक औजार है जिसके इस्तेमाल वह क्षेत्र में चरमपंथी एजेंडा का प्रसार करने के लिए करते हैं।”
उनके कैबिनेट के सहकर्मी विदेशी मामलो के राज्य मंत्री आदेल अल जुबैर ने कहा कि “हूथी चरमपंथी ईरान की रेवोलूशनरी गार्ड कॉर्प्स का अभाज्य भाग है और उसके आदेशों का पालन करता है।” हूथी के प्रवक्ता मोहम्मद अब्दुल सालेम ने ड्रोन हमले की जिम्मेदारी ली थी और कहा कि यमन में सऊदी अरब के नरसंहार और जारी आक्रमकता की यह प्रतिक्रिया थी।”
ईरान पर आरोप
इससे दो दिनों पूर्व संयुक्त अरब अमीरात के बंदरगाह पर चार जहाजों को क्षतिग्रस्त किया गया था। इसमें दो सऊदी, एक नॉर्वे और एक यूएई का टैंकर है। हालाँकि इस हमले यूएई ने सार्वजानिक तौर पर किसी पर आरोप नहीं लगाए हैं। इसके बाद गुरूवार को सऊदी के सैन्य नेतृत्व ने यमन की राजधानी में हवाई हमले किये थे जिसमे चरमपंथी ठिकानों को निशाना बनाया गया था और इसमें छह नागरिकों की मौत हो गयी थी।
अमेरिका,सऊदी और यूएई के ईरान पर दबाव बढ़ाने के साथ ही पश्चिमी एशिया में तनाव काफी बढ़ गया था। ईरान पर प्रतिबन्ध थोपने के बाद अमेरिका ने आईआरजीसी को आतंकी संगठन घोषित कर दिया था। सोमवार को ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ ने नयी दिल्ली में सुषमा स्वराज से मुलाकात की थी।
यह क्षेत्र के भारत के लिए रणनीतिक चिंता का विषय है जहां 90 लाख से अधिक लोग खाड़ी देशों में रहते हैं। इस संघर्ष से तेल की कीमतों में काफी इजाफा हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक बयान में भारत ने सऊदी या ईरान में किसी का पक्ष नहीं लिया है। आतंकवाद और सुरक्षा मसले पर सऊदी अरब भारत का लम्बे अरसे से समर्थक रहा है। रियाद उन देशों में शुमार था जिन्होंने पुलवामा आतंकी हमले की तत्काल बयान जारी कर निंदा की थी।