शनिवार को संयुक्तराष्ट्र महासभा के 73वें सत्र को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “आतंकवादी गतिविधियों को रोकने में पाकिस्तान की असमर्थता, भारत के आतंकवाद विरोधी जंग में बाधा बन रहा हैं। हालाँकि भारतविरोधी आंतंकवादी गतिविधियों की शुरुवात पाकिस्तान के अंदर से की जाती हैं।”
“पाकिस्तान के अर्थहीन रैवाये का सबूत, 9/11 का मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन का पाकिस्तान से पकड़ा जाना हैं, इस आतंकवादी को पाकिस्तान में शरण दी गयी थी। 9/11 के हमले को रचनेवालों को मार गिराया जा चूका हैं, लेकिन मुंबई पर जो हमला 26/11 को किया गया, उसका मास्टरमाइंड हाफिज सईद पाकिस्तान में बिना किसी डर के खुला घूम रहा हैं। भारत पाकिस्तान से शांति वार्ता करना चाहता है, लेकिन पाकिस्तान के ओर से किए जानेवाले आतंकवादी हमलों के चलते यह करना मुश्किल हो रहा हैं।”
आतंकवाद को बढ़ावा देने में पाकिस्तान के रुख को लेकर अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय चिंतित हैं, लेकिन पाकिस्तान पर कार्यवाही या आंतकवाद को परिभाषित करने को लेकर संयुक्तराष्ट्र असफल रहा हैं। आंतकवाद को परिभाषित नहीं किए जाने के वजह से उन्होंने(पाकिस्तान) भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा मार गिराए गए आंतकवादी को स्वतंत्रता सेनानी/शहीद घोषित कर, उसके याद में डाक टिकट भी जारी कर दिया।
अपने संबोधन के दौरान विदेश मंत्री ने आंतकवाद से लड़ने के लिए भारत द्वारा प्रस्तावित कॉम्प्रेहेंसिव कॉनवेंशन ऑन इंटरनेशनल टेररिज्म को गठित किए जाने की मांग दोहराई।
उन्होंने कहा, “1996 में भारत के ओर से कॉम्प्रेहेंसिव कॉनवेंशन ऑन इंटरनेशनल टेररिज्म के विषय में मसौदा संयुक्तराष्ट्र के सामने पेश किया गया था, लेकिन आज तक वह मसौदा सिर्फ मसौदा ही रहा हैं, उस पर संयुक्तराष्ट्र की ओर से काम किया नहीं गया हैं। इसके पीछे का कारन यह हैं की आंतकवाद के मुद्दे पर हम सभी देश एक जैसी सोच नहीं रखते हैं। एक छोर पर हम आंतकवाद से लड़ना चाहते हैं, और दूसरी ओर हम आतंकवाद को परिभाषित भी नहीं करना चाहते हैं। इसलिए संयुक्तराष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी इस संगठन के सदस्य देश में बिना किसी दिक्कत के खुले आम घूम सकते हैं। और उन आंतकवादियों की बर्बरता को पराक्रम का नाम दिया जाता हैं।”