विषय-सूचि
संघनन किसे कहते हैं? (condensation meaning in hindi)
जब पानी का भाप वापस पानी में बदल जाता है, इस प्रक्रिया को संघनन (condensation) कहा जाता है। हवा में विभिन्न कारणों के कारण जब ताप या ऊष्मा की मात्रा कम हो जाती है, तो संघनन प्रक्रिया होती है। ये कारण हैं –
- संघनन का गुप्त ऊष्मा (Latent Heat of Condensation)
- वाष्पीकरण के गुप्त ऊष्मा का विपरीत (opposite of latent heat of Vapourisation)
संघनन कब होता है? (when does condensation happen in hindi)
जब नमी सहित हवा ठंडा होने लगता है, तब एक ऐसा समय आता है जब हवा द्वारा पानी के भाप को धारण किए रहने की क्षमता ख़त्म होने लगती है।
इस समय संतुष्टि बिंदु (saturation point) सापेक्षिक आर्द्रता (relative humidity) के मुकाबले 100% रहता है एवं ओशांक (dew point) पर पहुँच जाता है।
तब अधिक मात्रा में पाया जाने वाला भाप द्रव्य रूप में संघनित हो जाता है। अगर यह सीधे ठोस रूप में बदल जाता है, तो उस प्रक्रिया को ऊध्र्वपातक (sublimation) कहते हैं।
खुली हवा में जब बहुत छोटे छोटे कण संघनन के कारण ठन्डे हो रहे होते हैं, उन कणों को हाईग्रोस्कॉपिक संघनन नुक्लिआइ (nuclei) कहा जाता है। धूल,राख, समुद्री नमक आदि कुछ nuclei हैं जो पानी को आसानी से सोख पाते हैं।
जब नमी सहित हवा किसी ठन्डे वस्तु के संपर्क में आता है या जब तापमान ओशांक (dew point) के बराबर होता है, तब भी संघनन प्रक्रिया होती है। ठण्ड होने का परिमाण एवं सापेक्षिक आर्द्रता – यह दो कारक हैं जिनपर संघनन निर्भर करता है।
संघनन की प्रक्रिया (process of condensation in hindi)
निम्नलिखित अवस्थाओं में संघनन प्रक्रिया होती है:
- जब हवा का तापमान ओशांक पर पहुँच जाता है, इस परिस्थिति में आयतन सतत या स्थिर (constant) रहता है।
- जब पानी का आयतन एवं तापमान दोनों कम हो जाता है।
- वाष्पीकरण के दौरान जब हवा में नमी की मात्रा बढ़नी शुरू होती है।
संघनन प्रक्रिया होने के बाद वायुमंडल में मौजूद पानी के भाप या नमी इनमे से किसी एक का रूप ले लेते हैं – ओस, धुंध, बादल, बर्फ के टुकड़े।
संघनन के निर्माण हेतु शीतलन प्रक्रिया (Cooling Process to produce Condensation in Hindi)
इस प्रक्रिया को दो भागों में विभाजित किया गया है:
स्थिरोष्म तापमान बदलाव (Adiabatic Temperature Changes in Hindi)
जब हवा की गति तेज होती है, तो यह फैलता है। प्रति यूनिट आयतन जो ऊष्मा की मात्रा रहती है, वह कम हो जाती है, जिससे तापमान भी कम हो जाता है।
इस प्रकार का तापमान बदलाव जिसमे उष्मा की मात्रा में कोई कमी नहीं होती, उठाव (ascent) एवं विस्तार के द्वारा ही हवा ठंडा हो जाता है, उसको स्थिरोष्म बदलाव कहते हैं।
हवा के ऊर्ध्वधर विस्थापन के कारण स्थिरोष्म एवं निम्नगामी वायुजनित (katabatic) तापमान बदलाव होते हैं।
ठण्डा एवं तेज हवा जो नीचे की तरफ बह रहा हो, वह निम्नगामी वायुजनित उदहारण हैं।
गैर स्थिरोष्म तापमान बदलाव (Non-Adiabatic Temperature Changes in Hindi)
विकिरण (radiation), प्रवाहकत्व (conduction), या ठन्डे हवा के साथ मिश्रण के दौरान गैर स्थिरोष्म प्रक्रिया होती है।
विकिरण के कारण जब ऊष्मा की मात्रा में कमी आती है, तब हवा ठंडा हो जाता है। हाईग्रोस्कोपिक nuclei के हवा में होने के कारण नमी सहित हवा सीधे विकिरित (radiate) होती है, फिर शीतलन (cooling) के कारण धुंध या बादल का निर्माण होता है।
वातावरण परिस्थतियों के आधार पर ठन्डे सतह के संपर्क में आने पर भी ओस, बर्फ के कण या धुंध का निर्माण होता है।
संघनन के रूप (Condensation – Different Forms in Hindi)
जिस तापमान पर ओशांक मौजूद रहता है, उसके आधार पर संघनन अलग अलग रूप लेता है। संघनन का निर्माण तब होता है जब ओशांक हिमांक बिंदु (freezing point) से कम या ज्यादा रहता है।
जब तापमान हिमांक बिंदु से कम होता है, तब बर्फ के कण, हिमपात, cirrus बादलों का निर्माण होता है, और जब तापमान हिमांक बिंदु से ज्यादा होता है, तब धुंध, ओस, बादलों का निर्माण होता है।
स्थान के आधार पर भी संघनन को वर्गीकृत किया गया है:
- पृथ्वी के सतह के पास: इसके अंतर्गत ओस, बर्फ के कण, धुंध आते हैं।
- खुली हवा: बादल इस श्रेणी में आते हैं।
ओस (Dew in Hindi)
जब नमी पानी के बूंदों के रूप में किसी ठोस वस्तु (जैसे पत्थर, घास, पौधे आदि) पर जमा हो जाते हैं, तब ये ओस के रूप में जाने जाते हैं।
जब आकाश साफ़ रहता है, हवा शांत रहता है, सापेक्षित आर्द्रता ज्यादा रहती है एवं ठंडी व लम्बी रातें होती हैं, तब ओस का निर्माण आसानी से होता है।
ओस बनने के लिए यह भी जरुरी है कि ओशांक हिमांक बिंदु से ज्यादा रहे।
बर्फ़बारी (White Frost meaning in Hindi)
जब संघनन प्रक्रिया हिमांक बिंदु (0॰ C) के नीचे होता है, तो बर्फ़बारी होती है। इस समय ओशांक हिमांक बिंदु के ऊपर या नीचे होता है।
अगर ओस अधिक मात्रा में है तो वह पानी के बूंदों के बजाय छोटे छोटे बर्फ के टुकड़ों के रूप में जमा होता है।
बर्फ़बारी के लिए यह जरुरी है कि ओशांक हिमांक बिंदु के बराबर या उसके नीचे हो।
धुआं एवं कोहरा (Fog & Mist in Hindi)
जब हवा में अधिक मात्रा में पानी का भाप मौजूद रहता है और तापमान अचानक से गिर जाता है, तो धूल के कणों के साथ मिल जाता है एवं संघनन प्रक्रिया होती है। इससे धुंध का निर्माण होता है।
धुंध एक प्रकार का बादल है जो धरती पर या उसके सतह के पास पाया जाता है। धुंध एवं कोहरा (mist) के कारण दृश्यता (visibility) लगभग न के बराबर होती है।
शहरी एवं औद्योगिक क्षेत्रों में धुआं बहुत होता है जिससे बहुत सारे nuclei मिलते हैं, जो धुआं एवं कोहरा का निर्माण करते हैं।
ऐसी अवस्था में जब धुंध धुआं के साथ मिल जाता है तब धूम-कोहरा (smog) का निर्माण होता है।
धुंध के प्रकार (Types of Fog in Hindi)
- विकीर्ण धुंध (Radiative Fog): विकिरण, धरती का सतह ठंडा होने से एवं हवा से इनका निर्माण होता है। ये ज्यादा गहरे नहीं होते एवं ठंडी के मौसम में देखे जाते हैं।
- अभिवाहित धुंध (Advectional Fog): यह गर्म हवा के संघनन द्वारा बनता है एवं गहरा होता है। समुद्रों का जो पानी मिश्रण क्षेत्र (water mixing zone) रहता है, वहां इनका निर्माण होता है।
कुहासा (Haze in Hindi)
कुहासा एक प्रक्रिया है जिसमे धूल, धुआं और अन्य सूखे कण आसमान की स्पष्टता में बढ़ा डालते हैं। खेती के दौरान उड़ते हुए कण, ट्रैफिक, जंगल के आग, फैक्ट्रियों से निकलता धुआं आदि इसके स्रोत हैं।
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