Sat. Dec 28th, 2024 6:18:42 AM
    सिरिसेना राजपक्षे श्रीलंका

    श्रीलंका में राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है। हाल ही में राष्ट्रपति ने संसद को भाग कर 5 जनवरी को आम चुनाव की घोषणा का दी थी। इस फैसले से खफा विपक्ष ने कानूनी मदद लेने का ऐलान किया है। खबरों के मुताबिक विपक्षी दल मिलकर अगले सप्ताह राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना के इस फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत की ओर रुख करेंगे।

    सत्ता से बर्खास्त किये गए रानिल विकरेमसिंघे की पार्टी यूनाइटेड नेशनल पार्टी इस असंवैधानिक निर्णय को चुनौती देने के लिए कानूनी मदद लेगी। यूएनपी का सहयोगी दल श्रीलंका मुस्लिम कांग्रेस भी इस मुद्दे को अदालत ले जाएंगे। आल सेयलों मक्कल कांग्रेस भी इसे शीर्ष अदालत में घसीटेंगे। दल के नेता ने कहा कि यह चुनावों के डर से नहीं किया जा रहा है बल्कि हमें लगता है कि राष्ट्रपति का निर्णय असंवैधानिक और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ था।

    विपक्षी पार्टी टीएनए के नेता ने कहा कि राष्ट्रपति का यह निर्णय संविधान को नुकसान पहुंचाएगा। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इसे संविधान समर्थन करेगा। सांसद बिमल ने कहा कि हमें सिर्फ चुनाव नहीं चाहिए बल्कि निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने  दिन दहाड़े संविधान का उल्लंघन किया है।

    सभी सालो की निगाहें चुनाव आयोग पर टिकी है कि आयोगइस मसले पर शीर्ष अदालत के स्वतंत्र फैसले की मांग करता है।

    राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने हाल ही में रानिल विकरेमसिंघे की पार्टी के साथ गठबंधन तोड़कर पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री पद की कुर्सी सौंप दो थी। राष्ट्रपति ने संसद को भी बर्खास्त कर दिया था। हाल ही में अंतररष्ट्रीय और स्थानीय दबाव के बाद राष्ट्रपति ने 17 नवंबर से दोबारा सदन को बहाल करने को बात कही थी। हालांकि पार्टी के अन्य सदस्यों से बातचीत के बाद राष्ट्रपति ने अपने फैसले से यु टर्न लेते हुए संसद को दोबारा भंग कर दिया और जनवरी में आम चुनावों का ऐलान कर दिया था।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *