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    श्रीलंका में शनिवार को देशभर में आठवें राष्ट्रपति के चुनाव के लिए मतदान हो रहे हैं, जिसे लगभग तीन दशक लंबे गृहयुद्ध और महज सात महीने पहले ईस्टर के दिन हुए हमले के जख्मों से अभी भी उबरना बाकी है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, एक बयान में मौजूदा राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना ने करीब 1.6 करोड़ मतदाताओं से घरों से निकलकर बिना किसी भय के मतदान करने का आग्रह किया।

    सिरिसेना ने कहा, “ऐसे देश में जहां लोकतंत्र मजबूत हुआ है, यह एक अधिकार है और अपनी पसंद के व्यक्ति के लिए मतदान करने का कर्तव्य भी है।” उन्होंने कहा कि देश भर में अधिकतम सुरक्षा की व्यवस्था की गई है और हजारों पुलिस अधिकारियों और ट्राई-फोर्सेज को तैनात किया गया है।

    समाचार पत्र डेली मिरर के अनुसार, 12,845 मतदान केंद्रों पर लंबी कतारें देखी गईं। मतदान सुबह 7 बजे शुरू हुआ मतदान शाम 5 बजे समाप्त होगा।

    मतदान शुरू होने के थोड़े समय बाद ही एक अज्ञात समूह ने मन्नार जिले में मतदाताओं को मतदान केंद्र ले जा रही दो बसों को निशाना बना डाला। पहले उन्होंने पत्थर फेंके और फिर अंधाधुध गोलियां बरसानी शुरू कर दी।

    एक पुलिस प्रवक्ता ने सिन्हुआ को बताया कि कोई भी यात्री घायल नहीं हुआ है, लेकिन बसों को नुकसान पहुंचा है।

    उन्होंने कहा कि पुलिसकर्मियों के घटना स्थल पर पहुंचने से पहले हमलावर समूह के लोग भागने में सफल रहे और बताया कि मतदाताओं को सुरक्षित रूप से उनके मतदान केंद्रों तक पहुंचा दिया गया।

    अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।

    चुनाव मैदान में 35 उम्मीदवार हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला केवल सत्तारूढ़ न्यू डेमोक्रेटिक फ्रंट (एनडीएफ) गठबंधन के साजित प्रेमदासा (52) और श्रीलंका पोडुजना पेरमुना (एसएलपीपी) के गोताबेया राजपक्षे (70) राष्ट्रपति पद के बीच है।

    गोताबेया एक सेवानिवृत्त सैनिक हैं, जिन्होंने उस दौरान श्रीलंका के रक्षा विभाग का कार्यभार संभाला था, जब उनके बड़े भाई, महिंद्रा राजपक्षे राष्ट्रपति (2005-2015) थे और जब श्रीलंका ने 2009 में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के साथ अपना युद्ध समाप्त किया था।

    उन्होंने अप्रैल में ईस्टर के दिन हुए हमलों के मद्देनजर मजबूत राष्ट्रीय सुरक्षा का वादा करते हुए, राष्ट्रवादी और सिंहली बौद्ध बहुमत के चैंपियन के रूप में राष्ट्रपति अभियान के दौरान खुद को पेश किया है।

    वहीं दूसरी ओर, साजित प्रेमदासा, राणासिंघे प्रेमदासा के पुत्र हैं, जिन्होंने 1989 से मई 1993 में कोलंबो में लिट्टे द्वारा आत्मघाती बम विस्फोट में मारे जाने तक राष्ट्रपति के रूप में सेवा दी। उन्होंने मुस्लिम और तमिल अल्पसंख्यकों के लिए लड़ने का संकल्प लिया है।

    अल्पसंख्यक तमिलों और मुसलमानों के वोटों ने भी जनवरी 2015 में राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना के चुनाव में प्रमुख भूमिका निभाई थी।

    अन्य मुख्य उम्मीदवार मार्क्‍सवादी पार्टी जनमत विमुक्ति पेरमुना (जेवीपी) के नेता अनुरा कुमारा डिसानायके हैं, जिनके कारण 1971 और 1987-1988 में युवा विद्रोह हुए।

    चौथे लोकप्रिय दावेदार सेना के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल महेश सेनानायके हैं,जिन्होंने पिछले अगस्त में सेना छोड़ने के बाद नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) का गठन किया।

    अगर प्रेमदासा चुनाव जीतते हैं, तो वर्तमान कैबिनेट और सरकार अगले आम चुनाव तक जारी रहेगी और अगर गोताबेया राजपक्षे जीत हासिल कर लेते हैं और संसद में 113 के आंकड़ों वाले बहुमत को साबित करते हैं, तो सरकार बदलने की संभावना है।

    चुनाव आयोग के अधिकारियों ने कहा है कि चुनाव परिणाम शनिवार रात तक आने की उम्मीद है।

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