श्रीलंका में पाकिस्तानियो उच्चायोग के राजदूत ने दावा किया कि उन्होंने श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना को जम्मू कश्मीर के मौजूदा हालातो के बाबत अवगत करा दिया है। कोलोंबो ने इस्लामाबाद की हकीकत को पहचान लिया है और स्पष्ट किया कि इस मामले पर राष्ट्रपति कोई बयान नहीं देंगे।
पाकिस्तानी उच्चायोग ने 21 को जारी प्रेस बयान में कहा कि उच्चायुक्त जनरल शाहिद अहमद हशमत ने सिरिसेना से मुलाकात कर जम्मू कश्मीर के मौजूदा हालात के बारे में बताया था। भारत ने जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटा दिया था।
साथ ही उन्होंने दावा किया कि सिरिसेना ने भारत और पाकिस्तान के बीच इस मामले पर मध्यस्थता का प्रस्ताव दिया था और कहा कि इस विवाद का हल यूएन के विशेषाधिकारो के तहत कश्मीरियों की इच्छा के तहत निकलना चाहिए। सार्क मंच को दोबारा सक्रीय करने के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच वार्ता का आयोजन और मध्यस्थता होनी चाहिए।
राष्ट्रपति दफ्तर के मीडिया विभाग ने बताया कि सिरिसेना ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया था। यह पाकिस्तानी उच्चायुक्त के विचार है और श्रीलंका क्षेत्रीय सहयोग में वृद्धि और दोस्ती को देखना चाहता है।
उन्होंने कहा कि “भारत और पाकिस्तान का श्रीलंका के साथ मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध है और देश का हित क्षेत्र के सहयोग और दोस्ती में वृद्धि को देखना है।” पाकिस्तान का मकसद भारत के आंतरिक मामले श्रीलंका को दखलंदाजी करने के उकसाना है। इस्लामाबाद निरंतर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस मामले में घसीटना चाहता है।
भारत के अनुच्छेद 370 को हटाने के फैसले के बाद पाकिस्तान ने कई मुल्को से मदद की गुहार लगाई है। चीन और पाकिस्तान ने कश्मीर के मामले को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में भी खींचा था और तत्काल बैठक आयोजित करने की मांग की थी।