कोलंबो, 4 मई (आईएएनएस)| श्रीलंका में ईस्टर रविवार को हुए आत्मघाती हमलों के बारे में पूर्व में प्राप्त हुई खुफिया जानकारी पर कार्रवाई करने में सरकार के विफल रहने के बाद अब यह जानकारी सामने आई है कि रक्षा अधिकारियों ने तुर्की सरकार की उस चेतावनी को भी नजरअंदाज कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि फतुल्लाह टेररिस्ट ऑर्गनाइजेशन (एफईटीओ) के 50 सदस्य द्वीपीय देश में पहुंच गए थे।
डेली मिरर की शनिवार को प्रकाशित रपट के अनुसार, श्रीलंका के पूर्व विदेशमंत्री जी.एल. पीरिस ने कहा कि तुर्की के राजदूत तुंका ओजकुहादार ने मामले से जुड़े दस्तावेज उन्हें सौंपे थे।
पीरिस पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के वफादार हैं।
15 जुलाई, 2016 को तुर्की सरकार को हटाने और राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन को अपदस्थ करने के लिए तख्तापलट की एक कोशिश की गई थी। तख्तापलट की उस कोशिश के लिए आतंकी संगठन एफईटीओ को जिम्मेदार ठहराया गया था, जिसका नेतृत्व इस्लामिक उपदेशक फतुल्लाह गुलेन के हाथों में है। तख्तापलट की उस कोशिश के दौरान 250 लोग मारे गए थे। बाद में एफईटीओ के आतंकी विभिन्न देशों में भाग गए थे।
पीरिस ने कहा कि तुर्की दूतावास ने बार-बार श्रीलंका सरकार को, डेनमार्क, आस्ट्रिया और कुछ अफ्रीकी देशों को आतंकियों की घुसपैठ के बारे में अलर्ट किया था। जहां इन देशों ने अलर्ट पर त्वरित कार्रवाई की, वहीं श्रीलंका सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।