श्रीलंका में राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है। हालांकि संसद के फैसले से रानिल विक्रमसिंघे का खुश होना लाज़िमी है। श्रीलंका की संसद में पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे की सरकार के खिलाफ वोट पड़े हैं। रानिल विक्रमसिंघ को राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने 26 अक्टूबर को सत्ता से बेदखल कर पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री की कुर्सी सौंप दी थी।
संसद के स्पीकर कारू जयसूर्या ने बताया कि संसद ने प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित कर दिया है। उन्होंने कहा कि बहुमत के मुताबिक राजपक्षे की सरकार के समक्ष पर्याप्त मत नही है। वही प्रधानमंत्री राजपक्षे के समर्थक प्रदर्शन कर रहे थे।
श्रीलंका की शीर्ष अदालत कर फैसले के बाद संसद को दोबारा बहाल किया गया था। अदालत ने राष्ट्रपति सिरिसेना के संसद को भंग करने के विवादित निर्णय को पलट दिया था और जनवरी में चुनावों के आयोजन पर रोक लगा दी थी।
राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के समक्ष बहुमत की जानकारी कर लिए संसद में फ्लोर टेस्ट कराया गया था। श्रीलंका की संसद में 225 सीटें हैं। महिंदा राजपक्षे को अचानक प्रधानमंत्री की गद्दी सौंप देने के फैसले से सांसद खुश नही थे, इसलिए उन्हें संसद में समर्थन प्राप्त नही हुआ था। रानिल विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त कर मैत्रीपाला सिरिसरण ने 16 नवंबर तक संसद को भी बर्खास्त कर दिया था।
श्रीलंका में राजनीतिक गतिरोध को राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने बढ़ाया और कहा कि मेरी हत्या की साजिश रचने वाले हत्यारों के खिलाफ ठोस कदम उठाने में प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे हिलहवाली रवैया बरत रहे थे।
मीडिया की ख़बरो के मुताबिक उन्होंने आरोप लगाया था कि उनकी हत्या की साजिश भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ ने रची थी। इस जुर्म में केरल के एक व्यक्ति एम थॉमस को गिरफ्तार किया गया था।
अमेरिका ने इस राजनीतिक गतिरोध को कम करने के लिए संविधान के मूल्यों का सम्मान करने की हिदायत दी थी।