चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग लगातार सत्ता में बने रहना चाहते है। इसके लिए चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने शी जिनपिंग को अनिश्चितकाल के लिए राष्ट्रपति बनाए जाने का प्रस्ताव रखा है। मौजूदा नियम के अनुसार चीनी राष्ट्रपति दो अवधि तक कार्यकाल में बना रह सकता है। लेकिन अब सत्ताधारी पार्टी आगे भी शी जिनपिंग को राष्ट्रपति बनाए रखना चाहती है।
इस प्रस्ताव के पास होने के बाद राष्ट्रपति पद के कार्यकाल के लिए तय दो कार्यकाल की समयसीमा समाप्त कर दी जाएगी। चीन का ये प्रस्ताव भारत के लिए परेशानी खडा करने वाला हो सकता है। शी जिनपिंग जब से चीन के राष्ट्रपति बने है उसके बाद से ही भारत व चीन के बीच काफी तनाव बना हुआ है।
अगर आगे भी वो राष्ट्रपति बने रहेंगे तो दोनो देशों के बीच मे संबंध सुधरना मुश्किल हो सकता है। शी जिनपिंग की बेल्ट और रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) योजना भविष्य में भारत के लिए अधिक चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है।
64 वर्षीय शी जिनपिंग, माओ की तर्ज पर जीवनभर के लिए चीन का शासन कर सकते है। इससे एशिया में भू-राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। शी जिनपिंग भारत के प्रति उदारवादी नहीं रहे है। चीनी सेना के लीडर होने के नाते वो भविष्य में भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए चीनी सेना को अधिक आधुनिक करने पर जोर देंगे।
एशिया, अफ्रीका और यूरोप में प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाएं शी जिनपिंग की ही देन है। भारत के नेतृत्व में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने चीन की इस योजना के खिलाफ चिंता जाहिर की है।
चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर, बीआरआई के तहत एक प्रमुख परियोजना भारत के लिए एक अतिरिक्त चुनौती है क्योंकि यह देश की सार्वभौमिकता का उल्लंघन करती है।
चीन व पाकिस्तान के संबंधों में मजबूती होना भारत के लिए चुनौती का विषय है। विशेषज्ञों के मुताबिक चीन अब अफ्रीका और यूरेशिया में और अधिक आक्रामक हो सकता है क्योंकि यह दुनिया भर से वस्तुओं का उपयोग करने का प्रयास करता है। चीन आगे भी भारत के हितों के मामले में दखल देने की कोशिश कर सकता है।