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    13 साल मध्य प्रदेश पर राज करने के बाद कांग्रेस से बहुत थोड़े अंतर से चौथी बार सत्ता हासिल करने से चूकने वाले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अब मतदाताओं को 13 साल तक साथ देने के लिए धन्यवाद देना चाहते हैं और इसके लिए वो ‘आभार यात्रा’ निकालने की तैयारी में हैं।

    हार के बाद आराम करने के बजाये उनकी आभार यात्रा निकालने के कई मायने निकालने जा रहे हैं। ठीक 4 महीने बाद लोकसभा चुनाव की गहमागहमी शुरू हो जायेगी ऐसे में शिवराज सरकार बनाते ही कांग्रेस को घेरने की तैयारिओं में लग गए हैं।

    15 साल सत्ता में रहकर हारने के बावजूद भाजपा का वोट शेयर कांग्रेस से ज्यादा था इससे ये बात तो साफ़ जाहिर है कि राज्य में शिवराज और भाजपा को पूरी तरह से नकारा नहीं है।

    लोकसभा चुनाव नजदीक है ऐसे में शिवराज की ये यात्रा दो बातों की ओर इशारा करते हैं – एक तो वो हारने के बाद भी शानदार प्रदर्शन के बाद अभी से 2019 की तैयारियों में जुट रहे हैं।
    दूसरा ये कि शिवराज इस यात्रा के जरिये खुद को जनता के बीच रखना चाहते हैं और ये दिखाना चाहते हैं कि ये चुनावों में हार उनकी व्यक्तिगत हार नहीं है और वो अभी भी मध्य प्रदेश के ‘मामा’ है।

    आभार यात्रा सड़क मार्ग से निकलेगी और राज्य के सभी 52 जिलों से हो कर गुजरेगी। हालाँकि अभी इस यात्रा के तारीख की घोषणा नहीं हुई है लेकिन चर्चा है कि जनवरी में इस यात्रा की शुरुआत होगी।

    यात्राओं से शिवराज सिंह का विशेष लगाओ है और उनके इसी लगाव के कारण वो राज्य में “पाँव पाँव वाले भईया” के नाम से पहचाने गए। मध्य प्रदेश में पाँव पाँव वाले भईया का मतलब है ‘जो हमेशा चलते रहता है।’

    बुधवार को मुख्यमंत्री के पद से अपना इस्तीफ़ा सौंपने के बाद प्रेस कांफ्रेंस में जब उनके भविष्य के योजानों और केंद्र की राजनीति में जाने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा “मेरी आत्मा मध्य प्रदेश में बसती है।” गुरुवार को भी उन्होंने दोहराते हुए कहा “मैं जियूँगा भी यहीं और मरूँगा भी यहीं लेकिन यहाँ से कहीं नहीं जाऊँगा।”

    चर्चा है कि जल्द ही चौहान को केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है ताकि उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए तैयार किया जा सके। हालाँकि चौहान इससे पहले भी 5 बार विदिशा संसदीय सीट से सांसद रह चुके हैं। ये चर्चा इसलिए भी हो रही है क्योंकि विदिशा से वर्तमान सांसद सुषमा स्वराज पहले ही 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर चुकी हैं। तो संभव है कि शिवराज को उनकी पुरानी सीट विदिशा से ही उतारा जाए।

    By आदर्श कुमार

    आदर्श कुमार ने इंजीनियरिंग की पढाई की है। राजनीति में रूचि होने के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। उन्होंने कई वेबसाइट पर स्वतंत्र लेखक के रूप में काम किया है। द इन्डियन वायर पर वो राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं।

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