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    अफगानिस्तान में तैनात सैनिक

    अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अफगानिस्तान की सरजमीं से अपने आधे दैनिकों को वापस बुलाने की योजना पर विचार किया था और अमेरिकी विशेष राजदूत ज़लमय खलीलजाद शांति प्रस्ताव के लिए चरमपंथी समूह तालिबान के साथ वार्ता कर रहे हैं।

    तालिबान ने शनिवार को दावा किया कि अमेरिका अगले 18 महीनों में अफगानी सरजमीं से सभी विदेशी सैनिकों को वापस ले जाने के प्रस्ताव पर तैयार हो गया है। शनिवार को दोनों पक्षों के मध्य हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया है। अफगानिस्तान में बीते 17 सालों से संघर्ष बना हुआ है, इतने सालों से ही नाटो के सैनिक वहां मौजूद हैं।

    तालिबान के अफगानिस्तान में शासन के बाद से ही वहां गतिरोध बना हुआ है। लकी कोशिशों के बावजूद अमेरिका `तालिबान को खत्म करने में विफल रहा है। तालिबान केसुत्रों के मुताबिक अमेरिका के विशेष राजदूत ज़लमय खलीलजाद ने छह दिनों तक तालिबान के साथ चली बैठक के बाद यह फैसला लिया गया है। हालांकि इस जानकारी की पुष्टि अमेरिका ने नहीं की है।

    काबुल में स्थित अमेरिकी दूतावास ने इस निर्णय पर अभी कोई अधिकारिक पुष्टि नहीं की है। खबरों के मुताबिक ज़लमय खलीलजाद इसके बाबत पहले अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी को सूचना देंगे, इसके बाद इस समझौते का ऐलान करेंगे।

    तालिबान के सूत्रों के मुताबिक उन्होंने अमेरिका को आश्वासन दिया है कि अफगानी सरजमीं पर अलकायदा और इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकी संगठनों को नहीं रहने दिया जायेगा। इस बैठक में अमेरिका ने तुरंत इस पर अमल करने को कहा था लेकिन अभी इस बाबत कोई सपष्टीकरण नहीं हुआ है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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