पूर्व जेडीयू अध्यक्ष और वरिष्ठ पार्टी नेता शरद यादव नीतीश कुमार के महागठबंधन छोड़ भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने के बाद पहली बार मीडिया से मुखातिब हुए। नीतीश के महागठबंधन तोड़ने के फैसले को उन्होंने दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि बिहार की जनता ने नीतीश को भाजपा के साथ आने के लिए जनादेश नहीं दिया था। उन्हें जनादेश का सम्मान करना चाहिए था। बता दें कि आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के पुत्र और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की भ्रष्टाचार के आरोपों में संलिप्तता पाए जाने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महागठबंधन का दामन छोड़ अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था। अगले ही दिन उन्होंने भाजपा के समर्थन से पुनः सरकार बना ली थी और सुशील मोदी उपमुख्यमंत्री बन गए थे। उसके बाद से ही शरद यादव पार्टी से नाराज चल रहे हैं।
बागी तेवर अपनाने वालों में पार्टी के राज्यसभा सांसद अली अनवर का भी नाम था। अली अनवर ने कहा था कि नीतीश कुमार अपने अंतरात्मा की आवाज सुनकर भाजपा के साथ जा रहे हैं पर उनकी अंतरात्मा भाजपा के साथ जाने की गवाही नहीं देती। महागठबंधन के टूटने को उन्होंने राष्ट्रीय आपदा बताया था। रविवार को तमिलनाडु से राज्यसभा सांसद और सीपीआई नेता डी राजा ने शरद यादव से उनके आवास पर मुलाकात की। इससे पहले शरद यादव सीपीएम नेता सीताराम येचुरी से भी मिले थे। शरद से मुलाक़ात के बाद डी राजा ने कहा कि वह नीतीश के फैसले से खुश नहीं हैं। उन्होंने शरद यादव से भाजपा और नीतीश के खिलाफ खड़े रहने की बात भी कही। उन्होंने स्पष्ट किया कि भाजपा और साम्प्रदायिकता के खिलाफ उनकी लड़ाई जारी रहेगी।
जारी है शरद को मनाने की कोशिशें
भाजपा और जेडीयू शरद यादव को मनाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। भाजपा अपने मन्त्रिमण्डल विस्तार में शरद यादव को केंद्र में कोई अहम पद दे सकता है वहीं विपक्षी पार्टियां शरद यादव को अपनी ओर मिलाने की हर संभव कोशिश कर रही हैं। शरद कई मुद्दों पर भाजपा सरकार पर निशाना साध चुके हैं। उधर बिहार में भाजपा के सहयोगी और हिंदुस्तान अवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष रामविलास पासवान के भाई पशुपति पासवान को मंत्री बनाये जाने पर ऐतराज जताते हुए कहा कि उनके बेटे को भी बिहार मन्त्रिमण्डल में शामिल किया जाना चाहिए।