Sat. Nov 23rd, 2024
    शरद यादव

    बागी रुख अपनाए जेडीयू के वरिष्ठ नेता और एनडीए के पूर्व संयोजक शरद यादव के आक्रामक तेवरों में कोई कमी नहीं आई है। नीतीश कुमार के महागठबंधन से अलग होकर भाजपा के साथ जाने के बाद उन्होंने बागी रुख अपना लिया था। उन्होंने नीतीश कुमार के भाजपा के साथ जाने के निर्णय को गलत करार देते हुए कहा था कि इससे बिहार की जनता में गलत सन्देश जाएगा। जनता ने जनादेश महागठबंधन को भाजपा के खिलाफ दिया था और नीतीश कुमार इसका अपमान कर रहे हैं। उनके बागी रुख अपनाने के बाद जेडीयू के कई अन्य नेता भी खुलकर उनके साथ आ गए और नीतीश कुमार के इस निर्णय के खिलाफ बयानबाजी की। नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा में बहुमत साबित करने के बाद एक-एक कर अपने सभी विरोधियों को किनारे लगा दिया और अब वह शीघ्र ही शरद यादव के खिलाफ कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं।

    नोटबंदी हर मोर्चे पर विफल – शरद यादव

    शरद यादव ने मोदी सरकार के नोटबंदी के कदम को हर मोर्चे पर विफल बताया। उन्होंने कहा कि नोटबंदी की वजह से देश में विशेष दैनिक मजदूरी करने वाले 3 करोड़ लोगों की कमर टूट गई है। आरबीआई भी अपनी रिपोर्ट में यह बता चुकी है कि नोटबंदी का यह कदम कारगर नहीं रहा है। तकरीबन 15 लाख लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। नोटबंदी की मार सबसे अधिक मजदूर वर्ग, छोटे किसान और छोटे व्यापारियों पर पड़ी है। माध्यम एवं लघु उद्योग इकाइयों को चलाने वाले व्यवसायी आज तंगहाल हालत में जी रहे हैं। ऐसी नोटबंदी का क्या अर्थ जब सरकार को 16,000 करोड़ रूपये के नोट लाने में 8,000 करोड़ रूपये खर्च करने पड़े। उन्होंने कहा कि सरकार ने आतंकवाद पर रोक लगाने और काला धन को लाने के लिए नोटबंदी का जो कदम उठाया था वह किसी भी लिहाज से जनता के लिए हितकर नहीं था।

    शरद यादव ने नोटबंदी की वजह से विभिन्न क्षेत्रों में आई मंदी का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था अभी तक नोटबंदी के प्रभाव से उबर नहीं पाई है और इसमें अभी और कितना वक्त लगेगा यह कहना मुश्किल है। नोटबंदी के प्रभास के कारण ही बैंकों के ऋण विकास की दर पिछले 60 सालों के निम्नतम स्तर पर जा पहुँची है। ऑटोमोबाइल क्षेत्र में बिक्री भी पिछले 17 सालों के निम्नतम स्तर पर जा पहुँची है। इसके अतिरिक्त रियल एस्टेट सेक्टर में भी मंदी का असर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है और यहाँ भी 44 फीसदी तक गिरावट दर्ज की गई है। नोटबंदी को लेकर सरकार के सभी दावे विफल साबित हुए हैं और देश में लोगों का कामकाज ठप होने के अलावा नोटबंदी का और कोई असर नहीं हुआ है।

    एनडीए में शामिल होने का किया था विरोध

    शरद यादव ने जेडीयू के एनडीए में शामिल होने का विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि आज की एनडीए अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी वाली एनडीए से बिलकुल अलग है। आज की एनडीए का कोई राष्ट्रीय एजेंडा नहीं है। आगे उन्होंने कहा कि पिछले 3 सालों से मैं जेडीयू को सही राह पर लाने की कोशिश कर रहा था। मैं अपने सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं करूँगा और अब मैं खुद ही पार्टी से आजाद हो गया हूँ। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं बल्कि देश में उत्पन्न “विकट परिस्थिति” को देखते हुए यह निर्णय लिया है। बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के दौर वाली एनडीए में शरद यादव संयोजक की भूमिका निभाते थे।

    नीतीश को मुख्यमंत्री बनने में कई बार मदद की

    शरद यादव ने कहा कि उन्होंने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनने में कई बार मदद की है। लालू यादव को सत्ता से उखाड़ने के लिए उन्होंने नीतीश कुमार और जॉर्ज फर्नान्डिस की समता पार्टी से गठबंधन किया था। रामविलास पासवान को साथ लाकर उस वक्त भी मैंने ही नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनने में मदद की थी। इसके अतिरिक्त भाजपा से गठबंधन और महागठबंधन में भी मैंने उनकी मदद की थी। शरद यादव ने कहा कि हालाँकि उन्होंने भी कई बार मेरी मदद की है। यह राजनीति है और यहाँ ऐसा चलता रहता है। लेकिन अब मेरा अन्तर्मन इस बात की गवाही नहीं दे रहा है। इसलिए आज मैं नीतीश कुमार के साथ नहीं खड़ा हूँ।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।