अमेरिका ने गुरूवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् से अगले हफ्ते वेनेजुएला में बढ़ते मानवीय संकट पर एक बैठक का आयोजन करने का आग्रह किया है। इस बैठक का आयोजन संभावित बुधवार को होगा। वेनेजुएला में आर्थिक और राजनीतिक संकट का प्रभाव परिवारों और बच्चों पर पड़ रहा है।
बीते हफ्ते जारी यूएन की आंतरिक रिपोर्ट के मुताबिक 70 लाख लोग यानी वेनेजुएला की जनसँख्या के 24 प्रतिशत लोगों को तत्काल मानवीय सहायता की जरुरत है और उनकी भोजन और स्वास्थ्य सुविधाओं तक पंहुच बेहद कम है। करीब 37 लाख लोग कुपोषण से जूझ रहे हैं जो 2010-12 के समय से तीन गुना अधिक है। पांच वर्ष से कम आयु के 22 फीसदी बच्चे अलप कुपोषण से जूझ रहे हैं।
राष्ट्रपति निकोलस मादुरो वेनेजुएला की आर्थिक संकट का जिम्मेदार अमेरिका के प्रतिबंधों को बताते हैं जबकि खुद को अंतरिम राष्ट्रपति घोषित करने वाले जुआन गुइदो सरकार के भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन को दोषी मानते हैं। गुइदो को राष्ट्रपति की मान्यता अमेरिका और अन्य 50 देशों ने दी है।
ब्लूमबर्ग के मुताबिक परिषद् में भेजे गए नोट में यूएन में अमेरिकी मिशन ने ओपन मीटिंग की मांग की है जहां परिषद् को यूएन के अध्यक्ष ऐन्टोनियो गुएटरेस या उनके प्रतिनिधि वेनुजुएला के संकट पर सदन को सम्बोधित करेंगे। उन्होंने कहा कि “वेनुजुएला में बिगड़ते मानवीय हालातो पर एक ब्रीफिंग बेहद जरुरी है।”
अमेरिका ने फरवरी में परिषद् से वेनेजुएला में नए सिरे से राष्ट्रपति के चुनाव और बेरोक टोक वेनेजुएला में मानवीय सहायता की पंहुच के प्रस्ताव को अपनाने की मांग की थी। लेकिन इस पर चीन और रूस ने वीटो का इस्तेमाल कर ख़ारिज कर दिया था।
वेनेजुएला में सरकार में बदलाव करने के वांशिगटन के मंसूबो की रूस ने आलोचना की है। वही चीन ने जोर देते हुए कहा कि दक्षिणी अमेरिकी देश में अंतर्राष्ट्रीय दखलंदाज़ी नहीं होनी चाहिए। मादुरो ने आरोप लगाया कि अमेरिका मानवीय सहायता को एक औजार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है ताकि मुझे सत्ता से बेदखल कर सके।
वेनेजुएला संकट क्या है?
वेनेजुएला संकट मुख्य रूप से राजनैतिक है, जिसके बाद इसका असर आर्थिक मसलों पर भी पड़ा।
वेनेजुएला का राजनैतिक संकट 10 जनवरी 2019 को शुरू हुआ था, जब वेनेजुएला की संसद में विपक्षी पार्टियों नें निकोलस मदुरो की सरकार पर अविश्वास प्रस्ताव पास किया था।
आपको बता दें कि मई 2018 में वेनेजुएला में चुनाव हुए थे, जिसमें निकोलस मदुरो वहां के राष्ट्रपति चुने गए थे। इसके तुरंत बाद से विपक्षी पार्टियों नें चुनावों को गलत बताया और निकोलस मदुरो को बर्खास्त करने की मांग की।
इस साल के जनवरी में अंतत उनके खिलाफ प्रस्ताव लाया गया। जाहिर है कि वेनेजुएला की संसद में वर्तमान में विपक्ष के पास बहुमत है। ऐसे में निकोलस मदुरो के पास बहुमत नहीं है।
इसके बाद अमेरिका नें भी स्थिति को संभालने के लिए इस मुद्दे को उठाना शुरू किया और कहा कि चूंकि वेनेजुएला की संसद में निकोलस मदुरो के पास बहुमत नहीं है, उन्हें राष्ट्रपति पद छोड़ देना चाहिए।
इसके बाद विपक्षी पार्टियों नें निकोलस मदुरो को बर्खास्त कर दिया और विपक्षी नेता युआन गुइडो को अंतरिम राष्ट्रपति घोषित कर दिया था। निकोलस मदुरो हालाँकि सत्ता छोड़ने के लिए तैयार नहीं हुए।
बीबीसी के मुताबिक नोकोलास मदुरो का कहना है कि अमेरिका वेनेजुएला में अशांति फैलाना चाहता है और वेनेजुएला के तेल भंडार पर कब्ज़ा करना चाहता है।
मार्च 2019 तक विश्वभर में 50 से ज्यादा देशों नें निकोलस मदुरो को अवैध राष्ट्रपति बताया है और युआन गुइडो को सही नेता बताया है।
आर्थिक संकट
वेनेजुएला के इतिहास में आर्थिक रूप से वर्तमान दौर सबसे खराब दौर है। पिछले दो सालों में महंगाई 400 फीसदी बढ़ गई है।
वेनेजुएला पर काफी भारी कर्जा है और महंगाई से परेशां लोग बार-बार सड़क पर आकर प्रदर्शन करते रहते हैं।
सत्ता पर काबिज निकोलस मदुरो नें आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए कई कदम उठाये हैं, लेकिन इस स्थिति को संभालने में वे पूरी तरह से नाकाम रहे हैं।
पिछले कुछ सालों में लाखों लोगों नें वेनेजुएला से निकलकर दुसरे देशों में शरण ली है। इस कारण से संयुक्त राष्ट्र समेत कई अन्य देशों नें इस मसले पर चिंता जाहिर की है।
वेनेजुएला को हालाँकि कुछ मार्क्सवादी देशों नें सहारा दिया है, जिनमें क्यूबा, बोलीविया और रूस आदि शामिल हैं।
वेनेजुएला के पास वर्तमान में तेल के मामले में सबसे बड़े भंडारों में से एक है, लेकिन इसके बावजूद इस देश को खाने के लिए भी पैसे जुटाने भारी पड़ रहे हैं।
साल 2014 से अब तक सरकार नें आर्थिक मुद्दों के आंकड़ों को निकालना ही बंद कर दिया है, जिससे कि स्थिति का साफ़-साफ़ पता नहीं लगाया जा सका है।
वेनेजुएला के आर्थिक संकट का सबसे बड़ा कारण है, तेल की कीमतों में गिरावट। 2014 में जबसे तेल की कीमतों में गिरावट आणि शुरू हुई है, तभी से वेनेजुएला में संकट बढ़ गया था। उससे पहले ह्यूगो चावेज के राज में देश में सबकुछ ठीक चल रहा था।
खाने की चीजों की पूर्ती करने के लिए यहाँ की सरकार नें राशन के स्टॉक बनाने शुरू किये लेकिन कम मात्रा की वजह से सब माल ब्लैक मार्किट में बिकना शुरू हो गया और गरीब जनता को मिलना मुश्किल हो गया था।
इसके अलावा लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा है। कई रिपोर्टों के अनुसार वेनेजुएला में हर 100 में से 85 दवाइयाँ उपलब्ध ही नहीं है। ऐसे में लोगों का बुरा हाल है।