वेनेजुएला इस वक्त बुरे आर्थिक और राजनीतिक दौर से गुजर रहा है। चीनी सैनिकों का एक समूह रविवार को वेनेजुएला की सरजमीं पर पंहुच गया है। यह बीजिंग और कराकास के बीच सहयोग के तहत किया गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन की पीपल्स लिब्रेशन आर्मी के 120 सैनिक वेनेजुएला के मार्गरिटा द्वीप पर मानवीय सहायता और सैन्य उपकरणों को लेकर पंहुचे थे।
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हाल ही में रूस सैनिकों का एक समूह वेनेजुएला की सरजमीं पर सैन्य हेलीकाप्टर प्रशिक्षण सुविधा की स्थापना के लिए तैनात हुआ था। अमेरिकी सांसदों और डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन ने रूस की काफी आलोचनाएं की थी और तत्काल सैनिकों को वेनेजुएला से हटाने की मांग की थी।
अमेरिकी राज्य सचिव माइक पोम्पिओ ने 28 मार्च को ट्वीट कर कहा कि “मादुरो ने #वेनेजुएला से दूर रहने की नसीयत दी थी जबकि वह खुद क्यूबा और रूस से सैनिकों की टुकड़ी मंगवा रहा है, ताकि वह और उसके सहयोगी वेनुजुएला को लूटते रहे। वेनेजुएला के संस्थानों के लिए अब अपनी सम्प्रभुता को बचाने के लिए खड़े होने का वक्त है। रूस और क्यूबा, #हैंड्स ऑफ वेनुजुएला, यानी वेनुजुएला से दूर रहे रूस और क्यूबा।”
Maduro calls for hands off #Venezuela while he invites security forces from Cuba and Russia, so he and his cronies can keep plundering Venezuela. It is time for Venezuelan institutions to stand for their sovereignty. Russia and Cuba, #HandsOffVenezuela.
— Secretary Pompeo (@SecPompeo) March 28, 2019
रुसी और चीनी सेना की तैनाती अमेरिकी प्रशासन के खिलाफ एकजुट होकर ताकत का दम भरते दिखेंगे। वेनुजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को अमेरिका सत्ता बर्खास्त करना चाहता है और विपक्षी नेता जुआन गुइदो को सत्ता पर बैठना चाहता है।
राष्ट्रपति मादुरो को सेना, रूस, चीन व दर्जनों अन्य राष्ट्रों का समर्थन प्राप्त है। वेनेजुएला आधुनिक दौर के सबसे बड़े आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। यह महंगाई ने रिकॉर्ड तोड़ एक करोड़ फीसदी उछाल मारी है। हाल ही में राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने कोलंबिया और ब्राज़ील से आने वाली मदद को रोकने के लिए सीमा पर के नजदीक शहरों पर नाकेबंदी कर दी थी।