विराट कोहली का फॉर्म: दिल्ली के साधारण परिवार का एक लड़का जो सचिन तेंदुलकर जैसा बनने का सपना लिए दिल्ली के टीम के लिए उस दिन भी मैदान पर लड़ रहा था जब उसके पिता की अर्थी घर के आँगन में पड़ी थी…
छोले भटूरे और दिल्ली के लजीज मसालेदार खानों का शौकीन एक इंसान जो महज एक खेल के लिए अपने जीवन के 8-10 साल सिर्फ उबला हुआ खाना खाता है…
एक 20-22 साल का लड़का क्रिकेट के भगवान को अपने कंधों पर बिठाकर आंखों में आँसू लिए मुम्बई के बानखेड़े स्टेडियम का चक्कर काटता है क्योंकि वह अब सचिन तेंदुलकर को मैदान पर खेलते हुए नहीं देखेगा… यह एक अलहदा बात थी कि वह लड़का उसी भगवान की जगह टीम में लेने वाला है….
यह सब कोई और इंसान नहीं, दिग्गज और जुनूनी भारतीय बल्लेबाज विराट कोहली का परिचय है जिसे प्यार से मशहूर हिंदी कमेंटेटर और पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज आकाश चोपड़ा ने “विराट- द रन मशीन-कोहली” का नाम दिया है।
विराट जब अपने प्रचंड फॉर्म में रहे तो ऐसे खेल रहे थे मानो वाकई में रन मशीन हों… जो नींद से उठकर भारत की ब्लू जर्सी में मैदान में बल्ला लेकर आता है और ना विपक्षी गेंदबाज देखता है ना मैदान ना ही हालात.. और बस बात की बात में सैकड़ा जमा देता है।
टेस्ट मैच में कोई जो रुट या स्टीव स्मिथ के प्रदर्शन की बात करता है। एकदिवसीय क्रिकेट और T-20 की बात करें तो वर्तमान भारतीय कप्तान रोहित शर्मा की बात होती है। लेकिन जब “ऑल फॉर्मेट” की बात करें तो एक और केवल एक नाम विराट कोहली का है।
आंकड़े भी इसकी गवाही देते हैं। कोहली ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के तीनों ही प्रारूपों में 50 से ज्यादा के औसत से रन बनाए हैं और कुल मिलाकर 70 अंतर्राष्ट्रीय शतक जमा चुके हैं।
भारत ही नहीं, पूरी दुनिया ने झुककर तहे दिल से कहा कि विराट दुनिया-ए-क्रिकेट-क्रिकेट के बेताज बादशाह हैं। कोई उन्हें ब्रैडमैन तो कोई तेंदुलकर तो कोई लारा से तुलना करता पर विराट ने हमेशा खुद को “विराट” ही बनाये रखा।
परंतु प्रकृति का एक नियम “Law of Averages” कहता है कि हमेशा सब कुछ अच्छा या एकसमान नहीं रहता है। विराट कोहली भी शायद इसी स्वाभाविक नियम के शिकार हुए हैं।
कप्तानी से निजात, फिर भी आउट ऑफ फॉर्म विराट
पिछले तीन सालों से विराट के बल्ले से कोई शतक भी नहीं आया है। विराट जिस मैच में मैदान पर उतरते हैं, वहां दर्शकों के बीच विराट के 71वें शतक वाला प्लेकार्ड जरूर दिख जाता है।
खैर, जब विराट कप्तान थे और रन नहीं बन रहे थे तो सबको लगा कि कप्तानी का बोझ सँभालना मुश्किल हो रहा। लिहाजा विराट ने पहले T20 की कप्तानी छोड़ी फिर उनसे BCCI ने एकदिवसीय की कप्तानी भी ले ली और दोनों ही प्रारूपों में रोहित शर्मा को भारत का कप्तान बनाया गया।
फिर मीडिया हलकों में रह रह कर ख़बर आने लगी कि विराट और बीसीसीआई के बीच सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है। फिर दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर भारत की करारी हार के बाद विराट ने टेस्ट मैचों की भी कप्तानी छोड़ दी।
चलो जो हुआ, जैसे हुआ.. बस हो गया। रोहित को हर प्रारूप का नियमित कप्तान बना दिया गया और लगा कि शायद अब कोहली मानसिक रूप से स्वतंत्र होकर खेलेंगे तो रन बनने लगेंगे।
पर अभी तक ऐसा हुआ नहीं। आलम यह है कि हर मैच में भारत की हार या जीत से ज्यादा चर्चा विराट कोहली के फॉर्म को लेकर होती है।
विराट को ड्रॉप करें टीम प्रबंधन: कपिलदेव
ऐसा लग रहा है कि क्रिकेट की दुनिया दो खित्तों में बंटी है- एक जो विराट को आजीवन खेलते रहना चाहते हैं और दूसरा जो उनको फॉर्म की वजह से टीम से निकाल देने की वक़ालत कर रहे हैं।
हाल ही में एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में पूर्व भारतीय कप्तान कपिलदेव तक ने कह दिया कि जब विश्व का नंबर 2 गेंदबाज अश्विन को टीम से ड्राप किया जा सकता है, तो फिर विश्व का नंबर 1 बल्लेबाज विराट रन नहीं बना रहे हैं तो उनको भी टीम से ड्राप किया जा सकता है ।
Kapil Dev has his say on Virat Kohli’s place in India’s T20I side 🗣️
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— ICC (@ICC) July 10, 2022
पूर्व दिग्गज ऑल-राउंडर कपिलदेव ने कहा कि वे घरेलू क्रिकेट में वापिस जाए, रन बनाएं, आत्मविश्वास हासिल करें और फिर वापसी करें।
फिर क्या था… जो बातें मीडिया में छोटे मोटे एक्सपर्ट कह रहे थे, वही बात दिग्गज कप्तान और 1983 विश्वकप विजेता टीम के हीरो कपिलदेव ने कह दी। मीडिया के एक धड़े को यही मसाला चाहिए भी था।
कप्तान रोहित ने जताया भरोसा
अगले ही दिन जब इंग्लैंड के खिलाफ मैच के पहले वर्तमान कप्तान रोहित प्रेस-कॉन्फ्रेंस में आये तो उनसे यही सवाल किया गया कि एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि विराट के जगह टीम में युवा खिलाड़ियों को मौका देना चाहिए।
जिस मीडिया ने विराट-रोहित विवाद की अपुष्ट खबर की बुनियाद पर कई साल अपने दुकान चलाये; उनको रोहित से जो जवाब मिला वह न सिर्फ विराट कोहली के लिए आत्मविश्वास प्रदान करने वाला था, बल्कि उन “एक्सपर्ट्स” के लिए भी एक आईना था।
रोहित ने स्पष्ट कहा कि बाहर के लोग (एक्सपर्ट्स, मीडिया, विश्लेषक आदि) को पूरा अधिकार है अपने विचार रखने का लेकिन टीम प्रबंधन को उस से कोई फर्क नहीं पड़ता और वह कोहली को हर हाल में बैक करेंगे।
साथ ही उन्होंने बातों ही बातों में भारतीय क्रिकेट के लिए पिछले एक से डेढ़ दशक में विराट के योगदान और प्रदर्शन का भी जिक्र किया। रोहित ने आगे कहा कि इतने लंबे कैरियर में हर क्रिकेटर को यह दौर देखना पड़ता है। विराट भी उसी दौर से गुजर रहे हैं और जल्दी ही वापसी करेंगे।
दुनिया भर से विराट को इस दौर में समर्थन भी मिल रहा है। चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के कप्तान बाबर आज़म ने विराट के साथ फोटो शेयर करते हुए एक ट्वीट कर लिखा कि- “यह दौर भी गुजर जाएगा।”
This too shall pass. Stay strong. #ViratKohli pic.twitter.com/ozr7BFFgXt
— Babar Azam (@babarazam258) July 14, 2022
हालिया प्रदर्शन ख्याति के विपरीत
पिछले लगभग तीन सालों में विराट ने रन बनाए हैं; लेकिन निःसंदेह उनके प्रदर्शन में गिरावट तो आयी है। बीते कुछ महीनों में तो उनका प्रदर्शन औसत बल्लेबाज के प्रदर्शन से भी कम रहा है। इतने दिनों में उनके बल्ले से कोई शतक भी नहीं आया है।
बल्ले से निकले आखिरी शतक के बाद से पिछले तीन सालों में कोहली ने 32 टेस्ट, 18 वनडे, 21 T20I, और 46 IPL मैच खेलें है। इस दौरान उनका सर्वाधिक स्कोर 94 रन रहा है जो उन्होंने दिसंबर 2019 में वेस्टइंडीज के ख़िलाफ़ एक T20 मैच में बनाये थे।
कुल मिलाकर इस दौरान कोहली कुल 117 परियों में शतक-विहीन रहे हैं और यही चिंता का सबब है। 33 वर्षीय इस बल्लेबाज ने 70 अंतरराष्ट्रीय शतक लगाए हैं लेकिन 71वें शतक का इंतजार काफी लंबा हो गया है।
कोहली को आधुनिक क्रिकेट के जिन महानतम बल्लेबाजों तेंदुलकर, रिकी पोंटिंग, या ब्रायन लारा आदि से तुलना की जाती है, उनमें से सभी ने यह दौर अपने कैरियर में देखें हैं। लेकिन इनमें से कोई भी बल्लेबाज इतने लंबे वक्त तक शतक से वंचित नहीं रहा है।
दूसरी तरफ देखें तो कई युवा बल्लेबाज जैसे संजू सैमसन या दीपक हुड्डा ने सीमित मौकों पर ही लेकिन अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है। दीपक हुड्डा ने तो इस दौरान एक T20I शतक भी लगाया है।
जल्द वापसी करेंगे विराट
यह सच है कि, कोहली जिस दर्जे के खिलाड़ी हैं और अभी मात्र 33 साल के हैं, तो निःसंकोच कहा जा सकता है कि फॉर्म और कोहली एक दूसरे से महज एक पारी दूर हैं। बस जरूरत है टीम प्रबंधन के साथ की और अनावश्यक बाहरी दबाव से संबंध-विच्छेद की।
टीम प्रबंधन के तरफ से रोहित शर्मा ने लगातार दो प्रेस कांफ्रेंस में खुलेआम यह बताया है कि वे और उनकी टीम कोहली को हर हाल में समर्थन करेंगे। लेकिन बात बाहरी दवाब की तो उस से निपटने के लिए एकमात्र तरीका है- रन बनाना।
भारत की टीम इंग्लैंड के दौरे पर है जहाँ 1 टेस्ट, 3 T20 और तीन ही एकदिवसीय खेलना था। अब कल बस आखिरी एकदिवसीय मैच बचा है और उम्मीद करते हैं कि कल विराट कोहली अपने बल्ले से सभी आलोचकों को जवाब दें।