सरकार ने मंगलवार को विदेश व्यापार नीति की समीक्षा जारी की, जिसमें जीएसटी के जरिए निर्यात को बढ़ावा दिया जाएगा। केंद्र सरकार ने मंगलवार को निर्यात को बढ़ावा देने की रणनीति को लेकर विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) की मध्यावधि समीक्षा (2015-20) जारी की।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार, संशोधित एफटीपी में नए बाजार तथा नए उत्पाद तलाशे गए हैं, ताकि पारंपरिक बाजारों तथा उत्पादों में भारत की हिस्सेदारी बढ़े। संशोधित एफटीपी में निर्यातकों द्वारा जीएसटी का लाभ उठाने तथा चुनौतियों से सामना करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
मंगलवार को जारी विदेश व्यापार नीति समीक्षा के दौरान कपड़ा निर्यात को मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट फ्रॉम इंडिया स्कीम तहत 2 फीसदी से बढ़ाकर 4 फीसदी कर दिया गया है। एमईआईएस के तहत सर्विस एक्सपोर्ट में भी 2 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है।
इन उत्पादों को प्रोत्साहन
हाथ से बने रेशम के कालीन और जूट से बने सामानों के लिए 921 करोड़ रूपए, चमड़ा क्षेत्र के लिए 749 करोड़ रूपए तथा कृषि उत्पादों के लिए 1354 करोड़ रूपए, इलेक्ट्रॉनिक तथा दूरसंचार उपकरणों के लिए 369 करोड़ रूपए, चिकित्सा उपकरणों के लिए 193 करोड़ रूपए तथा समुद्री उत्पादों के लि कुल 759 करोड़ रूपए का अतिरिक्त वार्षिक प्रोत्साहन दिया जाएगा।
सुरेश प्रभु का कहना
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु ने मंगलवार को विदेश व्यापार नीति 2015-2020 की मध्यकाल की समीक्षा जारी की। प्रभु ने कहा कि पिछले 14 महीनों में शिपमेंट्स के निर्यात में वृद्धि दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि इस विदेश व्यापार नीति समीक्षा का उद्देश्य नियमों का आसान कर निर्यात को बढ़ावा देना, उच्च रोजगार क्षेत्रों को समर्थन देना, जीएसटी सेवाओं का पर्याप्त लाभ उठाना, सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देना एवं निर्यात निष्पादन की निगरानी करना है। विदेश व्यापार नीति की समीक्षा में कहा गया है कि भारत अब जीएसटी सुविधाओं के जरिए अफ्रीकी तथा लैटिन अमेरिका के बाजारों में निर्यात को बढ़ावा देगा।
एफटीपी मध्यावधि समीक्षा के मुख्य बिंदू
- निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं को युक्तिसंगत बनाना
- छोटे व्यवसायों के लिए 2 फीसदी श्रम प्रोत्साहन
- ड्यूटी क्रेडिट की वैधता 24 महीनों तक
- जीएसटी के जरिए निर्यात में वृद्धि
- बिना टैक्स वाले सामानों को एक बार फिर से निर्यात किया जा सकता है।
- निर्यात के लिए जिन भारतीय वस्तुओं को प्रतिबंधित किया गया है, इन्हें किसी अन्य देश में बेचा जा सकता है।