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    विटामिन डी की कमी

    सूरज की पराबैंगनी किरणों को विटामिन डी की परम मित्र कहा जाता है। इन किरणों में विटामिन डी की प्रचुर मात्रा पाई जाती है।

    सर्दियों में जब हम ठंड से बचने के लिए अपने शरीर को सूरज की गर्मी से सेक रहे होते हैं तो वास्तव में हमें विटामिन डी भी मिल रहा होता है।  सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणों के अलावा विटामिन डी के कई अन्य स्रोत हैं।

    वैसे विटामिन डी को आसानी से प्राप्त होने वाला विटामिन कहा जाता है लेकिन यदि शरीर में इसकी कमी हो जाए तो हमें अनेक घातक रोगों का सामना करना पड़ सकता है।

    विषय-सूचि

    इस लेख में हम विटामिन डी की महत्ता पर प्रकाश पर डालेंगे। आइए देखते हैं कि विटामिन डी की कमी से कौन से रोग हो जाते हैं और उनके लक्षण और निवारण क्या हैं। सबसे पहले बात करते हैं कि विटामिन डी को किन किन चीज़ों से प्राप्त किया जा सकता है।

    विटामिन डी की कमी में क्या खाना चाहिए?

    1. दूध
    2. सालमन मछली
    3. अंडे की ज़र्दी
    4. टूना मछली
    5. फैटी फ़िश
    6. चीज़
    7. बीफ़ लीवर
    8. सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणें

    इसके अलावा हम विटामिन डी को कुछ प्रकार कि दालों और सब्ज़ियों से भी प्राप्त कर सकते हैं। अब हम विटामिन डी की कमी के लक्षणों के विषय पर चर्चा करेंगे।

    विटामिन डी की कमी के लक्षण

    • बच्चों में विटामिन डी की कमी के लक्षण

    विटामिन डी की कमी से रिकेट्स
    रिकेट्स
    1. छोटे बच्चों में विटामिन डी की कमी से अत्यंत घातक रोग हो जाते हैं। इनमें से प्रमुख रोग को हम रिकेट्स या सूखा रोग कहते हैं।
    2. विटामिन डी की कमी से बच्चे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। उनमें पोषण की इस क़दर कमी हो जाती है कि उनकी हड्डियां हद से ज़्यादा कमज़ोर हो जाती हैं।
    3. सूखा रोग हो जाने पर उनकी हड्डियां कमज़ोर होकर टेढ़ी मेढ़ी हो जाती हैं। पैरों की हड्डियाँ शरीर का भार उठाने में असमर्थ हो जाती हैं। सूखा रोग एक अत्यंत घातक रोग है जिसमें कि बच्चे की जान भी जा सकती है।
    4. सूखा रोग के कारण बच्चे के शरीर का विकास रुक जाता है। बच्चे में बिना वजह है कि चिड़चिड़ाहट होती है जिससे कि वह ख़ूब रोता है।
    5. बच्चे की हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द होता है और दांत भी गिरने लगते हैं।
    6. हृदय की मांसपेशियां अत्यंत कमज़ोर हो जाती हैं जिससे कि कम उम्र में ही बच्चे को रक्तचाप और हृदय रोग जैसी गंभीर समस्याएं होने लगती हैं।
    7. बच्चे के शरीर से मांस इस तरह ग़ायब हो जाता है कि उसकी हड्डियाँ उसकी खाल के नीचे साफ़ देखी जा सकती हैं। सूखा रोग बच्चे को एक कंकाल का रूप दे देता है।
    • बड़ों में विटामिन डी की कमी के लक्षण

    1. बड़े लोगों में विटामिन डी की कमी होने से मांसपेशियों में दर्द और थकावट का अनुभव होता है। हड्डियों पर बुरी तरह प्रभाव पड़ता है जिससे कि वे कमज़ोर हो जाती हैं।
    2. जोड़ों में दर्द होता है। रीढ़ की हड्डी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है जिससे कि झुकने और बैठने में परेशानी होती है। बाल तेज़ी से गिरने लगते हैं और डैंड्रफ की समस्या भी होने लगती है।
    3. कुछ लोगों में देखा गया है कि विटामिन डी की कमी से उनको भूलने की समस्या हो जाती है। वे किसी भी चीज़ को आसानी से याद करने में असफल होते हैं। विटामिन डी की कमी से लोगों की याददाश्त पर प्रभाव पड़ता है।

    इस तरह हम देख सकते हैं कि विटामिन डी हमारे शरीर के लिए कितना महत्वपूर्ण है। चाहे बच्चा हो, बड़ा हो या बूढ़ा हो, विटामिन डी की प्रचुर मात्रा शरीर में होना अत्यंत आवश्यक है।

    आइए इस बात को ध्यान में रखते हुए चर्चा करते हैं कि विटामिन डी की कमी से कौन कौन से रोग हो जाते हैं।

    विटामिन डी की कमी से होने वाले रोग

    विटामिन डी की कमी से शरीर में कई रोग हो जाते हैं। ये रोग निम्नलिखित हैं:

    • सूखा रोग या रिकेट्स

    विटामिन डी की कमी से शरीर में पोषण की अत्यधिक मात्रा में कमी हो जाती है। बच्चों में पोषण की कमी होने से सूखा रोग या रिकेट्स हो जाता है।

    बड़े लोगों में विटामिन डी की कमी होने से शरीर में थकावट, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में दर्द और भूलने की समस्या हो जाती है।

    इतना ही नहीं विटामिन डी की कमी से ना सिर्फ़ पोषण की कमी होती है बल्कि इंसान की फर्टिलिटी पावर पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

    • मस्तिष्क पर प्रभाव

    विटामिन डी की कमी से मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता है। याददाश्त कमज़ोर हो जाती है और व्यक्ति को भूलने की समस्या हो जाती है।

    यदि शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाती है तो व्यक्ति के लिए किसी भी चीज़ को याद करना या सीखना बहुत मुश्किल हो जाता है।

    विटामिन डी की कमी से व्यक्ति को तनाव,बाइपोलर डिसऑर्डर और शिंजोफ़्रेनिया जैसी ख़तरनाक बीमारियां हो जाती हैं।

    एक तरह से विटामिन डी की कमी मस्तिष्क की नसों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है।

    बच्चों में विटामिन डी की कमी मस्तिष्क के पूर्ण विकास को बाधित करती है। बच्चों में विटामिन डी की कमी हो जाने से मस्तिष्क की मांसपेशियां और तंत्रिका तंत्र सुचारु रूप से विकसित नहीं हो पाते हैं। इस तरह बच्चा अनेक मेंटल डिसॉर्डर से जूझ सकता है।

    • ऑस्टियोपोरोसिस का ख़तरा

    विटामिन डी की कमी होने से हड्डियां कमज़ोर हो जाती है। हड्डियों के अंदर मौजूद बोन मेट्रिक्स कम होने लगता है। इस तरह हड्डियां अंदर से खोखली हो जाती हैं। हड्डियों के खोखली हो जाने से वे हल्के से दबाव या चोट पर टूट सकती हैं।

    हड्डियाँ अपनी वास्तविक संरचना खोने लगती हैं और वे टेढ़ी मेढ़ी हो जाती हैं। हड्डियों के ऊपर मौजूद कैल्शियम की परत का तेज़ी से क्षरण होने लगता है जिससे कि ऑस्टियोपोरोसिस की संभावना बढ़ जाती है।

    • कैंसर का ख़तरा

    शायद आप यह बात सुनकर चौंक रहे हैं कि विटामिन डी की कमी से कैंसर का ख़तरा हो जाता है लेकिन यह बात सच है!

    शोधों से इस बात को सिद्ध किया गया है कि विटामिन डी की कमी होना अर्थात् शरीर में कैंसर को जन्म देना है।

    शरीर में विटामिन डी की कमी होने से ब्रेस्ट कैंसर और कोलोन कैंसर का ख़तरा सर्वाधिक रहता है।

    कोशिका विभाजन के समय कोशिकाओं को अनियंत्रित रूप से विभाजित होने से रोकने के लिए कोशिकाओं पर कुछ चेक पॉइंट्स होते हैं। ये चेक पॉइंट्स शरीर में पोषण की प्रचुर मात्रा होने पर सही ढंग से कार्य करने में सफल होते हैं।

    विटामिन डी चेक प्वाइंट को सही प्रकार से कार्य करने के लिए प्रेरित करता है। ऐसे में यदि शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाए तो कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से विभाजित होने लगती हैं और कैंसर का जन्म हो जाता है।

    • प्रतिरक्षा तंत्र का कमज़ोर होना

    विटामिन डी की कमी से शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र कमज़ोर हो जाता है। इस तरह शरीर में अनेक प्रकार के संक्रमण और रोग होने लगते हैं।

    कैम्ब्रिज जनरल में हुए एक शोध में यह कहा गया कि विटामिन डी की कमी होने से श्वसन तंत्र में सूजन आ जाती है।

    शरीर में नज़ला, जुकाम और बुखार भी हो सकता है। बच्चों में विटामिन डी की कमी से न्यूमोनिया या सीने में जकड़न की समस्या हो जाती है।

    बड़े लोगों में यदि विटामिन डी की कमी हो जाए तो ख़ांसी और श्वसन तंत्र में इंफेक्शन हो जाता है।

    • टीबी की समस्या

    प्राचीन काल में टीबी की समस्या को अत्यंत घातक समस्या के रूप में देखा जाता था। टीबी से पीड़ित लोगों को लाइलाज क़रार दिया जाता था और अंत में उनकी मृत्यु हो जाती थी। 

    उस समय में टीबी के लिए कोई दवा नहीं खोजी जा सकी थी जिसकी वजह से टीबी से पीड़ित लगभग हर व्यक्ति का समाधान सिर्फ़ मौत पर ही होता था।

    एक संक्रामक रोग है लेकिन क्या आप जानते हैं कि विटामिन डी की अत्यधिक कमी हो जाने से टीबी की समस्या हो सकती है? 

    यदि आप नहीं जानते हैं तो आपको इस बात को जानना चाहिए। शरीर में विटामिन डी की कमी से टीबी अर्थात ट्यूबरकुलोसिस की समस्या हो जाती है।

    • कार्डियोवस्कुलर या हृदय रोगों की समस्या

    शरीर में विटामिन डी की कमी होने से हार्ट अटैक या हार्ट स्ट्रोक की संभावना बनी रहती है। हृदय की मांसपेशियां अत्यंत कमज़ोर हो जाती हैं जिससे कि वे सुचारु रूप से कार्य नहीं कर पाती हैं।

    हृदय रक्त को शुद्ध करने में असमर्थ हो जाता है जिससे कि रक्त में पॉइज़न की मात्रा बढ़ने लगती है।

    हावर्ड यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध में इस बात का दावा किया गया कि जिन महिलाओं में विटामिन डी की कमी होती है उनमें हाइपरटेंशन या तनाव के 67% चांसेस होते हैं।

    • मधुमेह या डायबिटीज़ की समस्या

    जिन लोगों में विटामिन डी की कमी होती है उसमें टाइप टू डायबिटीज़ होने की संभावना बढ़ जाती है।

    एक रिसर्च में इस बात का ख़ुलासा हुआ है कि जिन लोगों में विटामिन डी की प्रचुर मात्रा होती है उसमें डायबिटीज़ होने के चांसेस 43% तक कम हो जाते हैं।

    इस तरह हम देख सकते हैं कि विटामिन डी की कमी से शरीर में कई गंभीर समस्या हो जाती है शरीर में विटामिन डी की प्रचुर मात्रा होना अत्यंत आवश्यक है।

    आइए देखते हैं कि विटामिन डी को शरीर में किस तरह संतुलित किया जा सकता है।

    विटामिन डी की कमी को कैसे पूरा करे?

    1. शरीर में विटामिन डी की मात्रा को संतुलित करने का सबसे पहला उपाय यह है कि हमें ऐसे पदार्थों को अपने आहार में शामिल करना चाहिए जिनमें कि विटामिन डी की प्रचुर मात्रा हो।
    2. यक़ीनन सूरज की किरणों और धूप से हमारी त्वचा टैन हो जाती है लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि हम धूप की किरणों से बिलकुल बचते फिरें। 
    3. हमें सुबह की गुनगुनी धूप से अपना शरीर अवश्य सेंकना चाहिए।  सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणें विटामिन डी का अच्छा स्रोत होती हैं इसलिए हम इनके द्वारा अपने शरीर में विटामिन डी का स्तर संतुलित कर सकते हैं।
    4. हमें समय समय पर अपनी जाँच करानी चाहिए ताकि शरीर में किसी भी प्रकार की कोई समस्या हो तो हम उसके बारे में जागरूक हो सकें।
    5. यदि हमारी हड्डियों, मांसपेशियों या रीढ़ की हड्डी में किसी भी प्रकार का कोई दर्द है तो हमें फ़ौरन डॉक्टर के पास जाना चाहिए। हमें यह चेकअप करा लेना चाहिए कि हमारे शरीर में विटामिन डी की प्रचुर मात्रा है या नहीं।
    6. यदि जाँच में हमारे शरीर में विटामिन डी की कम मात्रा निकलती है तो हमें कोशिश करनी चाहिए कि हम विटामिन डी की मात्रा अपने शरीर में संतुलित करें।
    7. इसके लिए हम विटामिन डी से भरपूर पदार्थों को ले सकते हैं। यदि इसके बावजूद भी हमारे शरीर में विटामिन डी का स्तर संतुलित नहीं हो पा रहा है तो हमें डॉक्टर विटामिन डी से युक्त इंजेक्शन दे सकता है।

    इस लेख में हमनें विटामिन डी की कमी को गहराई से जाना।

    यदि आपका इस लेख से सम्बंधित कोई भी सवाल या सुझाव है तो उसे आप नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

    4 thoughts on “विटामिन डी की कमी : लक्षण, रोग, उपाय”
    1. aise konkon se lakshan hain jo hamen bataate hian ki hamaare shareer mein vitamin d ki kami hai? hamen kaise pata chalega

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