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    शराब कारोबारी प्रत्यर्पण केस

    भारत से भागे शराब कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई आज ब्रिटेन की अदालत में सोमवार से शुरू होगी। वेस्टमिंस्टर मैजिस्ट्रेट कोर्ट में शुरू होने वाली सुनवाई 14 दिसंबर तक चलेगी। इस दौरान कुल 8 दिन तक इस केस की सुनवाई होगी।

    6 व 8 दिसंबर को इस केस की सुनवाई नहीं होगी। जानकारी के अनुसार कहा जा रहा है कि अगले साल के शुरूआत तक इस मामले का निष्कर्ष निकलना मुश्किल हो सकता है।

    स्कॉटलैंड यार्ड द्वारा धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग केस के मामले में आज सुनवाई होगी। गौरतलब है कि भारत की तरफ से भगौड़ा घोषित किए गए विजय माल्या पर भारतीय बैंकों के करीब 9000 करोड़ रूपये से अधिक का कर्ज बकाया है।

    सीबीआई अधिकारी की टीम रहेगी उपस्थित

    61 साल के शराब कारोबारी विजय माल्या ने मार्च 2016 में किंगफिशर एयरलाइन्स के बंद होने व कर्ज न चुका जाने के बाद भारत को छोड़ दिया था। तब से ही वो ब्रिटेन में रह रहा है। ब्रिटेन की अदालत में सुनवाई के दौरान सीबीआई अधिकारियों की टीम भी उपस्थित रहेगी।

    इसका नेतृत्व स्पेशल सीबीआई डायरेक्टर राकेश अस्थाना करेंगे। गौरतलब है कि पूर्व राज्यसभा सदस्य व शराब कारोबारी विजय माल्या ने पिछले कुछ महीनों में लंदन के कई अदालतों में कहा था कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया और उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए है।

    भारत सरकार व माल्या की वकालत अलग-अलग विशेषज्ञ टीम करेगी

    माल्या की तरफ से इस केस की वकालत बैरिस्टर क्लेयर मोंटगोमरी करेगी जिन्हें आपराधिक व धोखाधड़ी के मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है। वहीं भारत सरकार की तरफ से क्राउन प्रोस्क्यूशन सर्विस (सीपीएस) विजय माल्या के खिलाफ दलीलें पेश करेगी। इस टीम की अगुवाई प्रत्यर्पण मामलों के विशेषज्ञ बैरिस्टर मार्क समर्स की अगुआई वाली टीम करेगी।

    अगर ब्रिटेन की अदालत विजय माल्या के प्रत्यर्पण के पक्ष में फैसला सुना देती है तो तो ब्रिटेन के गृह सचिव एम्बर रुड को दो महीने के भीतर माल्या के प्रत्यर्पण का आदेश देना चाहिए। हालांकि, वास्तविक प्रत्यर्पण आदेश जारी किए जाने से पहले ये मामला कई श्रृंखलाओं से होकर गुजरेगा।

    साल 1992 में हुई थी भारत व ब्रिटेन के बीच प्रत्यर्पण संधि

    भारत और ब्रिटेन के बीच में साल 1992 में एक प्रत्यर्पण संधि हुई थी। अभी तक इस संधि के तहत महज एक ही इंसान भारत वापिस आया है।

    2002 के गुजरात दंगों के बाद समीरभाई विनूभाई पटेल के ब्रिटेन से भारत प्रत्यर्पण को लेकर ही सफलता मिली थी। उसके बाद अभी तक कोई प्रत्यर्पण नहीं हुआ है। अब विजय माल्या प्रत्यर्पण केस में संभावना है कि भारत को जीत हासिल हो जाए।