अधिकारिक सूचना के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र ने जलवायु परिवर्तन पर रोक लगाने के लिए विकाशशील देशों के लिए एक बिलियन डॉलर के अनुदान को मंज़ूरी दे दी है। बहरीन में चार दिवसीय इस सम्मलेन में में निर्णय लिया गया कि हरित पर्यावरण के लिए आगामी वर्ष से 6.6 बिलियन डॉलर रुपयों का इस्तेमाल शुरू किया जायेगा।
जलवायु सम्बन्धी विकास प्रोग्राम का मकसद साल 2018 तक विकसित देशों से 10 बिलियन डॉलर एकत्रित करना है। पेरिस जलवायु परिवर्तन की संधि में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 3 बिलियन डॉलर की धनराशी देने की प्रतिबद्धता दिखाई थी। जिसमे वह एक बिलियन डॉलर दे चुके थे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पेरिस समझौते में सहयोग करने से मना कर दिया।
इस प्रोजेक्ट के अंतगर्त इंडोनेशिया में भूतापीय ऊर्जा, यूरोप और मिडिल ईस्ट में हरित शहर और भारत में तटीय समुदायों का संरक्षण हैं। बहरीन के अनुरोध पर उन्हें पानी के संसाधनों के संरक्षण के लिए अनुदान दिया गया है। पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने खाड़ी राष्ट्रों की ओर इशारा करते हुए कहा कि वे चाहे तो इस परियोजना में फंड मुहैया करा सकते हैं।
चीन से अनुदान देने के निर्णय को स्थगित कर दिया गया है। अमेरिका और जापान को संदेह है कि चीन इस रकम का इस्तेमाल किसी नई तकनीक के आविष्कार के लिए करेगा। इस समिति के निदेशक होवार्ड बामसे ने जुलाई में इस्तीफा दे दिया था इसलिए अधिकारियों ने इस बैठक को मुश्किल और निराशाजनक बताया।
इस बैठक से पूर्व हाल ही में पोलैंड में सम्मलेन हुआ था। जिसमे पेरिस जलवायु संधि के भविष्य के बाबत बातचीत हुई थी।