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    फ्रांस के साथ राफेल डील पर देश में चल रहे आरोप प्रत्यारोप के बीच भारतीय वायुसेना के डिप्टी चीफ ऑफ़ एयर स्टाफ एयर मार्शल रघुनाथ नाम्बिअर ने गुरुवार को फ्रांस में राफेल जेट में टेस्ट फ्लाइट के लिए उड़ान भरी।

    डीअसाल्ट द्वारा भारत के लिए निर्माण किए जा रहे राफेल एयरक्राफ्ट में भारतीय जरूरतों के मुताबिक उपकरण और सॉफ्टवेर के लिए कम्पनी को मदत करने के लिए भारतीय वायु सेना की एक टीम पहले से फ्रांस में मौजूद हैं। फ्रांस के इस्ट्रेस एयर बेस पर गुरुवार को भारतीय वायुसेना के उप प्रमुख एयर मार्शल नम्बिअर ने टेस्ट फ्लाइट के लिए राफेल में उड़ान भरीं। वायुसेना उप प्रमुख के फ्रांस दौरे का मुख्य हेतु राफेल एयरक्राफ्ट के विषय में हो रहीं प्रगति जांचना था।

    एयर मार्शल रघुनाथ नम्बिअर हिंदुस्तान ऐरोनौटीकल्स द्वारा पूरी तरह से भारत में निर्मित एलसीए तेजस के पहले टेस्ट पायलट रहे थे और 1999 के कश्मीर युद्ध में टाइगर हिल पर सटीकता से हमला करने में भी एयर मार्शल नम्बिअर का अहम योगदान रहा।

    इस महीने के शुरुवात में तीन राफेल जेट भारत को ग्वालियर के महाराजपुर एयर बेस पर आए थे। ऑस्ट्रेलिया में बहुदेशीय युद्ध अभ्यास में हिस्सा लेने के बाद फ़्रांसिसी वायु सेना के पायलट ग्वालियर पर रुके थे। ऑस्ट्रेलिया में आयोजित बहुदेशीय युद्ध अभ्यास “एक्सरसाइज पिच 2018” में हिस्सा लेने पहुंचे भारतीय वायुसेना के प्रतिनिधियों ने, उस युद्ध अभ्यास के दौरान राफेल का परिक्षण किया था।

    कांग्रेस पार्टी और अन्य विपक्षी दलों की ओर से राफेल डील के सन्दर्भ में केंद्र सरकार पर आरोप किए है। भारतीय वायु सेना ने राफेल डील का समर्थन करते हुए सेना पर किए का रहे आरोपों का खंडन किया हैं।

    एयर मार्शल रघुनाथ नम्बिआर ने कहा, “राफेल डील के विषय में आरोप प्रत्यारोप किए जाना दुर्भाग्यपूर्ण हैं। जब राफेल लडाकू विमान भारतीय वायुसेना में इस्तेमाल किए जाएँगे, तब पुरे दक्षिण एशिया में भारतीय वायुसेना की स्थिति अधिक सदृढ़ होगी।

    वायुसेना प्रमुख बिरेंदर सिंह धनोआ ने कहा, भारतीय वायुसेना की क्षमताओं की बढाए जाने की जरुरत हैं। विमानों का आधुनिकरण इस लिए भी जरुरी हैं, क्योंकि पडोसी देशों की बदती हवाई ताकत भारत किए लिए भविष्य में परेशानी का विषय हो सकती हैं।

    By प्रशांत पंद्री

    प्रशांत, पुणे विश्वविद्यालय में बीबीए(कंप्यूटर एप्लीकेशन्स) के तृतीय वर्ष के छात्र हैं। वे अन्तर्राष्ट्रीय राजनीती, रक्षा और प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज में रूचि रखते हैं।

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