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    भारत में गरीबी

    संयुक्त राष्ट्र के जारी आंकड़ो के मुताबिक भारत में पिछले एक दशक में करीबन 27 करोड़ लोग गरीबी के कुचक्र से बाहर निकले हैं।

    साल 2005-06 के बाद दस सालों में लगभग आधी गरीब आबादी गरीबी के स्तर से बाहर आई हैं। संयुक्त राष्ट्र की बहुस्तरीय गरीबी सूचकांक के जारी आंकड़ोें के अनुसार वैश्विक स्तर पर 13 लाख लोग गरीबी स्तर के नीचे रह रहे हैं।

    यह आंकड़े 104 देशों की एक चौथाई जनता पर किए गए सर्वे से पता लगाए गए है। इन आंकड़ों के लगभग आधे (46 फीसदी) गरीबी रेखा के नीचे रहते हैं जो आधे से अधिक  इलाकों में रहते हैं।

    उन्होंने बताया कि गरीबी से छुटकारा पाने के लिए बहुत विकास करना बाकी है। इस सूचकांक में भारत में 2005-06 से 2015-16 तक 27 करोड़ गरीबी के निचले स्तर से बाहर निकले है।

    भारत में गरीबी रेट आधा रह गया है। पिछले दस सालों में 55 फीसदी से गिरकर 28 फीसदी रह गया है।

    भारत एकमात्र देश है जो गरीबी से इतनी जल्दी उभर रहा है। संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी ने कहा कि देशों की आपस में तुलना नहीं की गई है हालांकि हर क्षेत्र में उन्नति हुई है। यहां तक की अफ्रीका के इलाकों में भी विकास हुआ है। अफ्रीका के सब-सहारा क्षेत्र में साल 2006 से 2017 के बीच जीवन स्तर में उन्नति हुई है और पिछले चार सालों में दक्षिण एशिया के हालातों में सुधार हुआ है।

    इन क्षेत्रों  में शिक्षा का स्तर 100 फीसदी है और इन्होंने बहुस्तरीय गरीबी के स्तर को सुधारने का बेहतरीन नमूना पेश किया है।

    आंकड़ों में यह भी बताया है कि इस गरीब आबादी में 18 वर्ष के युवकों की संख्या आधी है। यह रिर्पोट तीन मानकों पर आधारित होती है- स्वास्थय, शिक्षा और रहने का स्थान, स्वच्छ पीने के पानी की कमी, सफाई और प्राथमिक शिक्षा।

    जो देश इन तीन मानकों पर खरा नहीं उतर पाता वह बहुस्तरीय गरीबी की मार झेल रहा होता है। अफ्रीका के क्षेत्र में 56 करोड़ लोग गरीबी सूचकांक के अंतर्गत आते हैं वहीं दक्षिण एशिया में 54 करोड़ लोग बहुस्तरीय गरीबी के नीचे हैं।

    वैश्विक स्तर पर गरीबी के आंकलन के लिए बहुस्तरीय गरीबी सूचकांक एक उप्युक्त पैमाना है। यह न सिर्फ यह जानने में मदद करता है कि दुनिया में कितनी आबादी गरीब है बल्कि किस देश में प्रगति सही मायने में हो रही है इसका भी सटीक आंकड़ा पेश करता है।

    आमतौर पर 1.90 अमेरिकी मुद्रा से प्रतिदिन कम कमाने वाले को गरीबी के स्तर से नीचे माना जाता है। एमपीआई के आंकड़े यह जानने में कारगार होते हैं कि इस वक्त किस देश की अधिक जनसंख्या गरीब  है, वह गरीबी से किस प्रकार संघर्ष करते हैं और  कौन सा देश गरीबी के अंतर्गत आने वाला है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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