सरकार ने बुधवार वाले दिन, लोक सभा में एक संसोधन बिल पेश किया है जिसके तहत मोबाइल नंबर और बैंक खातों से आधार आईडी बायोमेट्रिक की स्वैच्छिक सीडिंग को कानूनी समर्थन मिलेगा। ये कदम सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्राइवेट कंपनियों के 12 अंकों के अद्वितीय पहचानकर्ता के अनिवार्य उपयोग को वर्जित करने के बाद उठाया गया है।
इस आधार बिल के अहम प्रावधान कुछ इस प्रकार हैं-
- नाबालिग आधार धारक 18 साल के होने पर अपनी आधार संख्या रद्द करा सकेंगे।
- मोबाइल फ़ोन और बैंक खाता जैसी सेवाओं के लिए आधार स्वैच्छिक होगा।
- आधार नहीं दिखाने वाले को किसी भी सेवा से वंचित नहीं किया जा सकता।
- आधार संख्या के उपयोग के लिए निर्धारित नियमों को तोड़ने पर सख्त कार्यवाई होगी।
विपक्ष के संसोधन पर सवाल उठाने पर, कानून और सूचना प्रोद्योगिकी रवि शंकर प्रसाद ने कहा है कि प्रस्तावित संशोधन सुप्रीम कोर्ट निर्णय के अनुपालन में है। उन्होंने ये भी कहा है कि सरकार जल्द संसद में डेटा सुरक्षा बिल पेश करेगी।
उन्होंने आगे कहा कि इन संसोधनो से व्यक्तियों की गोपनीयता में कोई भी दखलंदाज़ी नहीं दी गयी और सरकार ने गोपनीयता के मुद्दों की सुरक्षा के लिए समानांतर प्रमाणीकरण मानदंडों में तथ्य किया था।
उनके मुताबिक, “हमें नहीं भूलना चाहिए कि आधार ने डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के जरिये 90,000 करोड़ रूपये की बचत की है।”
इस बिल के पेश होने पर जिन जिन ने अप्पति जताई है, वे हैं केरल के सांसद शशि थरूर और एन के प्रेमचंद्रण और टीएमसी सांसद सौगत रॉय।