लोक नायक जयप्रकाश नारायण की जयंती के अवसर पर केंद्रीय गृह अमित शाह ने उनकी प्रतिमा का अनावरण किया और बिहार में उनके जन्मस्थान सीताब दियारा में एक जनसभा को संबोधित किया। जयप्रकाश नारायण का जीवन अनेक विशेषताओं के बारे में बताते हुए कहा जयप्रकाश ने न केवल आंदोलन के पथ से मुक्ति के लिए लड़ाई लड़ी बल्कि महात्मा गांधी द्वारा दिखाए गए मार्ग को भी अपनाया।
आज लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी की जन्मभूमि सिताब दियारा में उनकी भव्य प्रतिमा का अनावरण किया।
लोकतंत्र के सजग प्रहरी, त्याग व बलिदान की प्रतिमूर्ति जयप्रकाश नारायण जी का जीवन और उनके विचार चिरकाल तक सभी देशवासियों को लोकतांत्रिक मूल्यों का बोध करवाते रहेंगे। pic.twitter.com/XcnbjzPuo8
— Amit Shah (@AmitShah) October 11, 2022
अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट में प्रस्ताव लाकर जयप्रकाश नारायण की आदमकद प्रतिमा स्थापित करने का संकल्प लिया था और आज जयप्रकाश की 121वीं जयंती पर वह मन्नत पूरी हो गई है।
उन्होंने कहा कि जयप्रकाश नारायण आजादी के बाद जब सत्ता संभालने का समय आया तो जयप्रकाश विनोबा भावे के साथ एक संन्यासी की तरह सर्वोदय आंदोलन में शामिल हो गए। जयप्रकाश नारायण ने अपना पूरा जीवन भूमिहीन, गरीब, दलित और पिछड़े लोगों के लिए समर्पित कर दिया।
गृह मंत्री ने कहा कि, “जयप्रकाश ने समाजवाद, सर्वोदय की विचारधारा को साकार करने और जातिविहीन समाज के निर्माण के लिए कई नए प्रस्ताव दिए। लेकिन देश के लिए उनका सबसे बड़ा योगदान 1970 के दशक में भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन और भ्रष्ट सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल का था।”
शाह ने कहा कि 1973 में गुजरात की तत्कालीन सरकार ने सार्वजनिक रूप से सरकार को फंड जुटाने का जिम्मा दिया, जिससे बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार शुरू हो गया। इसके खिलाफ जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में गुजरात के छात्रों ने जोरदार आंदोलन किया और गुजरात में सरकार बदल दी। उसके बाद बिहार में आंदोलन हुआ और बिहार के गांधी मैदान में रैली को देखकर तत्कालीन प्रधानमंत्री चिंतित हो गए। इसके बाद आपातकाल की घोषणा की गई और जयप्रकाश नारायण के साथ कई विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया।
जयप्रकाश नारायण जी ने आपातकाल थोपने वाली भ्रष्टाचारी और अन्यायी शासन के विरुद्ध पूरे विपक्ष को एकजुट कर देश में पहली गैर कांग्रेसी सरकार बनाई।
जेपी ने सत्ता से बाहर रहकर परिवर्तन करने का एक उत्कृष्ट उदाहरण देश के सामने रखा। pic.twitter.com/rJg8DLcCHT
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तत्कालीन प्रधानमंत्री का मानना था कि जयप्रकाश नारायण, मोरारजी देसाई, एल.के. आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी का मनोबल टूटेगा। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में जब हजारीबाग की जेलें जयप्रकाश को नहीं रोक पाई तो तत्कालीन प्रधानमंत्री की यातना भी उन्हें रोक नहीं पाई।
शाह ने कहा कि जयप्रकाश नारायण ने आपातकाल लगाने वाली भ्रष्ट और अन्यायपूर्ण सरकार के खिलाफ पूरे विपक्ष को एकजुट कर देश में पहली गैर-कांग्रेसी सरकार बनाई। जेपी ने सत्ता से बाहर रहकर देश के सामने बदलाव की बेहतरीन मिसाल पेश की।
अमित शाह ने कहा कि, “जयप्रकाश नारायण और विनोबा भावे के सर्वोदय के सिद्धांत को अंत्योदय के साथ जोड़कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गरीबों के कल्याण के लिए अभूतपूर्व कार्य कर रहे हैं। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने रुपये से अधिक का स्वास्थ्य बीमा प्रदान किया है। 5 लाख से 60 करोड़ जरूरतमंदों को, हर गरीब के घर में गैस और शौचालय, हर गरीब को ढाई साल तक मुफ्त राशन, हर घर में बिजली और हर गांव को सड़क निर्माण से जोड़ा।”
उन्होंने कहा कि जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया था, लेकिन किसी भी विपक्षी दल ने इसे सफल बनाने का प्रयास नहीं किया। मोदी ने देश भर में करोड़ों गरीबों के जीवन स्तर में सुधार के लिए कार्य करके श्री जयप्रकाश नारायण के पूर्ण क्रांति के मंत्र को साकार करने का काम किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने 60 करोड़ लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाकर, उनके लिए रोजगार के अवसर पैदा करके और उन्हें एलपीजी कनेक्शन देकर उम्मीद की एक किरण दी है।
गृह मंत्री ने कहा कि जयप्रकाश ने 1974 में बिहार में जो अराजनीतिक आंदोलन शुरू किया था, उसमें सभी विचारधारा के छात्रों ने हिस्सा लिया था। जेपी का नाम लेकर राजनीति में आए लोगों ने अब पाला बदल लिया है और जेपी के सिद्धांतों को दरकिनार कर दिया है और आज सत्ता के सुख के लिए विपक्ष की सरकार में बैठे हैं।