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    सचिन तेंदुलकर

    पूर्व भारतीय क्रिकेटर और क्रिकेट के ‘भगवान’ कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर आज लम्बे अरसे बाद राज्यसभा में उपस्थित रहे। उन्होंने सदन की कार्यवाही में हिस्सा लिया लेकिन कोई प्रश्न नहीं पूछा। उनके अलावा दिग्गज मुक्केबाज एमसी मैरीकॉम भी सदन में मौजूद रहीं। पिछले कुछ दिनों से सचिन तेंदुलकर और रेखा की मौजूदगी को लेकर राज्यसभा में सवाल उठ रहे थे। चंद रोज पहले ही सपा सांसद नरेश अग्रवाल ने राज्यसभा में सचिन और रेखा की अनुपस्थिति का मामला उठाया था। उन्होंने कहा था कि जब मनोनीत सदस्य सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेते है तो उन्हें सदन की सदस्यता देने का कोई फायदा नहीं है। ऐसे सदस्यों की सदस्यता रद्द कर उन्हें सदन से निकाल देना चाहिए। भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या का उदाहरण पेश करते हुए उन्होंने कहा था कि जब माल्या को राज्यसभा से निकाला जा सकता है फिर सचिन और रेखा को क्यों नहीं।

    इससे पहले भी नरेश अग्रवाल मनोनीत सदस्यों के खिलाफ अनुपस्थिति का मुद्दा उठा चुके हैं। मार्च के अपने सम्बोधन में नरेश अग्रवाल ने कहा था कि राज्यसभा में विभिन्न क्षेत्रों से 12 सदस्य मनोनीत किये जाते हैं। पर इनकी उपस्थिति ना के बराबर होती है। इन्हें सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेना होता है। जब इन्हें सदन की कार्यवाही में हिस्सा ही नहीं लेना होता है फिर वह सदन की सदस्यता क्यों लेते हैं। ऐसे लोगों को सदन की सदस्यता से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए। बता दें कि इस वक़्त राज्यसभा के 12 मनोनीत सदस्यों में गोपी सुरेश, सुब्रमण्यम स्वामी, सचिन तेंदुलकर, रूपा गांगुली, रेखा, के पारासरन, केटीएस तुलसी, एमसी मैरीकॉम, अनु आगा, संभाजी छत्रपति, नरेंद्र जाधव और स्वप्न दासगुप्ता शामिल हैं। सचिन और रेखा की राज्यसभा उपस्थिति कम रही है। 2012 में राज्यसभा सदस्य मनोनीत होने के बाद से सचिन और रेखा 348 दिनों की कार्यवाही में क्रमशः 23 दिन और 18 दिन उपस्थित रहे हैं। पिछले बजट सत्र में भी दोनों सदन में एक-एक दिन ही उपस्थित रहे थे।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।