विषय-सूचि
यूनीकास्ट रूटिंग क्या है? (unicast routing in hindi)
यूनीकास्ट का मतलब हुआ एक सिंगल सेंडर से सिंगल रिसीवर तक ही ट्रांसमिशन का होना।
ये एक पॉइंट टू पॉइंट सचार व्यवस्था है जो सिर्फ सेंडर और रिसीवर के बीच होता है। बहुत सारे यूनीकास्ट प्रोटोकॉल्स होते हैं जैसे कि TCP, HTTP, इत्यादि।
- TCP– ये सबसे ज्यादा प्रयोग में आने वाला यूनीकास्ट प्रोटोकॉल है। ये एक कनेक्शन ओरिएंटेड प्रोटोकॉल है जो कि रिसीवर की तरफ से आने वाले acknowledgement पर निर्भर करता है।
- HTTP– इसका मतलब हुआ हाइपर टेक्स्ट ट्रान्सफर प्रोटोकॉल। ये एक ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोटोकॉल है जो कि संचार के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
यूनीकास्ट routing के अंदर तीन प्रमुख प्रोटोकॉल आते हैं जो निम्नलिखित हैं:
- डिस्टेंस वेक्टर Routing
- लिंक स्टेट Routing
- पाथ वेक्टर routing
लिंक स्टेट रूटिंग क्या है? (link state routing in hindi)
लिंक स्टेट routing इन routing प्रोटोकॉल्स का दूसरा परिवार कहा जाता है। डिस्टेंस वेक्टर routers अपने routing टेबल की गणना करने के लिए एक डिस्ट्रिब्यूटेड अल्गोरिथम का प्रयोग करते हैं वहीं लिंक-स्टेट routing लिंक-स्टेट routers के प्रयोग से मैसेज का आदान-प्रदान करते हैं।
इस से राऊटर को पूरे नेटवर्क की टोपोलॉजी को समझने में भी मदद मिलती है। इसी याद किये गये टोपोलॉजी के आधार पर सभी राऊटर अपने routing टेबल को बनाने में सक्षम होते हैं जिसके लिए वो shortest पाथ कम्प्यूटेशन का प्रयोग करते हैं।
लिंक स्टेट रूटिंग प्रोटोकॉल के फीचर (features of link state routing in hindi)
लिंक स्टेट routing प्रोटोकॉल्स के कुछ फीचर निम्नलिखित हैं:
- लिंक स्टेट पैकेट– ये एक छोटा पैकेट होता है जो routing से सम्बन्धित सूचनाएँ रखता है।
- लिंक स्टेट डेटाबेस– ये लिंक स्टेट पैकेट से जमा किया गया एक सूचनाओं का समूह होता है।
- Shortest पाथ फर्स्ट अल्गोरिथम– इसे अल्गोरिथम भी कहते हैं। ये डेटाबेस पर परफॉर्म किया गया एक कैलकुलेशन होता है जो कि सबसे छोटे रास्ते के बारे में बताता है।
- Routing टेबल– ये सारे परिचित रास्तों और उनके इंटरफ़ेस का एक लिस्ट होता है।
Shortest पाथ चुनने की प्रक्रिया
सबसे छोटे रास्ते की पहचान करने के लिए सभी नोड्स को Dijkstra अल्गोरिथम परफॉर्म करना पड़ता है और उसके लिए इन्हें निम्नलिखित स्टेप्स को फोल्ल्व करना पड़ता है:
- सबसे पहले नोड को लिया जाता है और उसे ट्री का रूट नोड मान लिया जाता है। ये एक ऐसा तरी बनता है जिसमे अभी सिर्फ एक ही नोड है। अब सभी नोड का कुल कोस्ट देखा जाता है और ये लिंक स्टेट डेटाबेस में सुरक्षित रखे सूचनाओं के आधार पर किया जाता है।
- अब वो नोड किसी एक नोड को चुनता है। ऐसा उन सभी नोड में से होता है जो ट्रीजैसी बनावट में नहीं हैं। ये नोड रूट नोड के सबसे नजदीक भी होना चाहिए। इसके ट्री में जुड़ते ही ट्री का आकार बदल जाता है।
- इस नोड के ट्री में जुड़ते ही जो भी नोड्स ट्री के अंदर नहीं हैं उन सब का कोस्ट फिर से डेटाबेस में अपडेट किया जाता है क्योंकि अब हो सकता है कि रास्ते बदल गये हो।
- अब नोड फिर से दूसरे वाले और तीसरे वाले स्टेप को दुहराता है। ऐसा तब तक होता है जब तक कि सारे के सारे नोड्स ट्री के अंदर न आ जाएं।
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