Fri. Apr 19th, 2024
    कंप्यूटर नेटवर्क में रूटिंग प्रोटोकॉल routing protocol in hindi, information and concepts, ospf, bgp, in computer networks

    विषय-सूचि

    रूटिंग प्रोटोकॉल्स क्या है? (routing protocols in hindi)

    दो या दो से ज्यादा कंप्यूटर या किसी और तरह के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के बीच संचार प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए सैकड़ों प्रोटोकॉल्स को डिजाईन किया जा चुका है।

    रूटिंग प्रोटोकॉल्स नेटवर्क प्रोटोकॉल के परिवार के अंदर आते हैं जो routers को एक दूसरे से अच्छे से संचार करने और अपने-अपने नेटवर्क में ट्रैफिक को ठीक तरह से फॉरवर्ड करने में मदद करते हैं।

    जितने भी सारे इस तरह के प्रोटोकॉल्स हैं उन्हें इसी काम के लिए डिजाईन किया गया है।

    उनमे से कुछ ऐसे हैं जो बेहतर हैं और काफी बड़े तौर पर प्रयोग में लाये जाते हैं।

    आगे हम उनके ऐसे ही कुछ प्रकारों की बात करेंगे और उनकी कार्यप्रणाली को समझने की कोशिश करेंगे।

    रूटिंग प्रोटोकॉल की कार्यप्रणाली (working of routing protocol in hindi)

    सभी routing प्रोटोकॉल्स के कुछ बेसिक फंक्शन होते हैं जी हे वो परफॉर्म करते हैं। कुछ ऐसे ही बेसिक फंक्शन को हम नीचे लिस्ट कर रहे हैं:

    • डिस्कवरी– नेटवर्क के अंदर सारे रुट्स की पहचान करना।
    • रूट प्रबन्धन– नेटवर्क मैसेज के लिए सभी संभव डेस्टिनेशन का ट्रैक रखना और इसके लिए कुछ डाटा को रखना जो सभी के लिए एक पाथवे को दिखाते हों।
    • पाथ determination– डायनामिक तौर पर तेज गति से स्मार्ट निर्णय लेना कि पैकेट को किस राते से और कहाँ भेजा जाएगा।

    कुछ routing प्रोटोकॉल्स ऐसे होते हैं जो कि राऊटर को नेटवर्क क्षेत्र में सारे लिंक्स की जानकारी का नक्शा के रूप में रखने और उसका ट्रैक रखने में मदद करते हैं। इन्हें हम स्टेट लिंक प्रोटोकॉल्स भी कहते हैं।

    वहीं कुछ ऐसे routing प्रोटोकॉल्स होते हैं जो नेटवर्क क्षेत्र के बारे में कम जानकारी रखते हुए भी राऊटर को ऑपरेट करने की अनुमति देते हैं।

    इन्हें हम डिस्टेंस वेक्टर प्रोटोकॉल्स कहते हैं।

    अब हम कुछ ऐसे प्रोटोकॉल्स की चर्चा करेंगे जो काफी प्रभावकारी हैं। एक-एक कर के हम इनके काम करने की प्रक्रिया को समझेंगे।

    रूटिंग इनफार्मेशन प्रोटोकॉल (routing information protocol in hindi)

    रिसर्च करने वाले लोगों ने routing इनफार्मेशन प्रोटोकॉल यानी कि RIP को 1980 में एक छोटे-माध्यम आकर के इंटरनल नेटवर्क में प्रयोग के लिए डिजाईन किया था जो कि एकदम शुरूआती इन्टरनेट को कनेक्शन प्रदान करता था। RIP मैसेज को नेटवर्क्स के बीच अधिकतम 15 hops तक rout करने में रक्षम है।

    RIP इनेबल किये गये राऊटर सबसे पहले पड़ोस के devices के routing टेबल्स के लिए निवेदन भेजते हैं ताकि वो नेटवर्क को डिस्कोवर कर सकें।

    फिर पड़ोस के राऊटर जो कि RIP पर काम कर रहे हैं वो पूरे routing टेबल को भेज कर उस निवेदन का जवाब देते हैं।

    इसके बाद निवेदनकर्ता एक अल्गोरिथम को फॉलो कर के इन सारे उप्दतेस को अपने टेबल में मिला देता है। एक थोड़े-थोड़े निश्चित अंतराल पर RIP routers अपने पड़ोसियों को routing टेबल्स भेजते रहते हैं ताकि नेटवर्क में किसी भी बदलाव को अछे से प्रसार किया जाए।

    पहले के ट्रेडिशनल RIP केवल IPv4 को सपोर्ट करते थे, लेकिन अब नये वाले RIP स्टैण्डर्ड IPv6 पर भी काम करते हैं। RIP संचार के लिए यूडीपी के पोर्ट 520 से 521 (RIPng) का प्रयोग करते हैं।

    ओपन शोर्टएस्ट पाथ फर्स्ट (ospf routing protocol in hindi)

    ओपन shortest पाथ फर्स्ट यानी कि OSPF को RIP के कुछ limitations कि वजह से बनाया गया था। ये लिमितातिओं निम्नलिखित थे:

    • t15 hop count की बंदिश
    • routing हायरार्की के अंदर नेटवर्क को ओर्गानिसे करने में अक्षमता। ये बड़े क्षेत्र के नेटवर्क पर प्रबन्धन और परफॉरमेंस के लिए काफी जरूरी होता है।
    • नेटवर्क ट्रैफिक में बहुत ही ज्यादा चढ़ाव जो कि बार-बार कुछ ही अंतराल पर routing टेब्स को बार-बार भेजने के कारण होता है।

    जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, OSPF एक ऐसा ओपन पब्लिक स्टैण्डर्ड है जिसे काफी बड़े तौर पर इंडस्ट्री में स्वीकार किया गया है।

    Ospf इनेबल किये हुए routers एक आइडेंटिफिकेशन मैसेज को भेजकर नेटवर्क की खोज करते हैं और उसके बाद एक ऐसा मैसेज भेजते हैं जो कुछ routing के आइटम्स रखे होते हैं (बजाय routing टेबल्स के)।

    ये इस केटेगरी में लिस्ट किया गया एकमात्र स्टेट routing प्रोटोकॉल है।

    इन्टरनेट गेटवे routing प्रोटोकॉल और Enhanced IGRP (EIGRP और IGRP)

    सिस्को ने इन्टरनेट गेटवे routing प्रोटोकॉल और enhanced इन्टरनेट गेटवे routing प्रोटोकॉल यानी IGRP और EIGRP को RIP के ही विकल्प के तौर पर विकसित किया था। नया वाला enhanced IGRP यानी कि EIGRP को 1990s में सही से शुरू किया गया था।

    EIGRP क्लासलेस IP सबनेट्स को सपोर्ट करता है और पुराने IGRP के मुकाबले routing अल्गोरिथम कि एफिशिएंसी को बढाता है।ये RIP कि तरह routing हायरार्की को सपोर्ट नहीं करता। पहले इसे एक प्रॉपर्टी प्रोटोकॉल के रूप में विकसित किया गया था जो केवल सिस्क्को परिवार के devices पर ही काम करता था।

    EIGRP को आसान कॉन्फ़िगरेशन और और OSPF से अच्छा परफॉरमेंस देने के लिए डिजाईन किया गया था।

    इंटरमीडिएट सिस्टम टू इंटरमीडिएट सिस्टम (IS-IS)

    इंटरमीडिएट सिस्टम टू इंटरमीडिएट सिस्टम प्रोटोकॉल OSPF के समान ही फंक्शन करता है।

    जहां OSPF ज्यादा प्रसिद्द चुनाव साबित हुआ, IS-IS का भी सर्विस प्रोवाइडर्स द्वारा बड़े तौर पर प्रयोग किया जाता रहा। ऐसा इसीलिए क्योंकि उनके वातावरण में ये प्रोटोकॉल काफी आसानी से स्वीकृत हो गया और इसका उन्हें काफी फायदा मिला

    इस केटेगरी में आने वाले बांकी के प्रोटोकॉल्स के विपरीत, IS-IS इन्टरनेट प्रोटोकॉल्स यानी कि IP पर काम नहीं करता और अपना अलग एड्रेसिंग स्कीम का प्रयोग करता है।

    बॉर्डर गेटवे प्रोटोकॉल (bgp routing protocol in hindi)

    बॉर्डर गेटवे प्रोटोकॉल (BGP) इन्टरनेट स्टैण्डर्ड एक्सटेंडेड गेटवे प्रोटोकॉल (EGP) है।

    BGP routing टेबल में हुए बदलावों को डिटेक्ट कर लेता है और उन बदलावों को TCP/IP का प्रयोग कर के बांकी के routers को संचारित करता है।

    इन्टरनेट प्रोवाइडर्स अपने नेटवर्क को साथ में जोड़ने के लिए सामान्य तौर पर BGP का प्रयोग करते हैं। इसके अलावा बड़े बिज़नस कभी-कभी BGP अपने एक से ज्यादा इंटरनल नेटवर्क को जोड़ने के लिए भी इसका अप्रयोग करते हैं।

    कई लोगों ने BGP को इसके कॉन्फ़िगरेशन के कोम्प्लेस होने के कारण सारे routing प्रोटोकॉल्स में से सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण माना है।

    इस लेख से सम्बंधित यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

    By अनुपम कुमार सिंह

    बीआईटी मेसरा, रांची से कंप्यूटर साइंस और टेक्लॉनजी में स्नातक। गाँधी कि कर्मभूमि चम्पारण से हूँ। समसामयिकी पर कड़ी नजर और इतिहास से ख़ास लगाव। भारत के राजनितिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक इतिहास में दिलचस्पी ।

    One thought on “कंप्यूटर नेटवर्क में routing प्रोटोकॉल्स और उनके प्रकार”

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