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    बांग्लादेश म्यांमार

    रोहिंग्या संकट के मद्देनजर बांग्लादेशम्यांमार ने बुधवार से अपनी वार्ता की शुरूआत कर दी है। बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में रहने को मजबूर रोहिंग्या मुसलमानों के अपने देश म्यांमार में सुरक्षित वापसी को लेकर दोनों देशों के बीच लंबे समय बाद वार्ता शुरू हुई है।

    उम्मीद जताई जा रही है कि दोनों देशों के बीच में रोहिंग्या मुद्दे पर सकारात्मक वार्ता हो और रोहिंग्या वापसी को लेकर समझौते पर हस्ताक्षर हो सके। बांग्लादेश के विदेश सचिव एम शाहिदुल हक ने वार्ता प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।

    जिसके बाद दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच वार्ता शुरू हुई। वहीं गुरूवार को बांग्लादेश के विदेश मंत्री एच महमूद अली और म्यांमार राज्य की नेता आंग सान सू की के बीच में म्यांमार की राजधानी में मुलाकात होगी। संभावना है कि बातचीत से कोई हल निकल सकेगा।

    6 लाख से अधिक रोहिंग्या पलायन को मजबूर हुए

    न्यूयॉर्क स्थित एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा तैयार किए गए एक अध्ययन में म्यांमार की सरकार को रोहिंग्या के साथ रंगभेद को उकसाने का आरोप लगाया गया था। अध्ययन ने यह भी कहा गया था कि म्यांमार सरकार ने रोहिंग्या पर अत्याचार व हिंसा की। जिस वजह से करीब 6 लाख से अधिक रोहिंग्या मुसलमानों को देश छोड़ने को मजबूर होना पड़ा था।

    म्यांमार और बांग्लादेश अभी कुछ रोहिंग्याओं को स्वदेश लौटने के लिए सैद्धांतिक रूप से सहमत हुए है। लेकिन लिखित रूप में ऐसा कुछ भी नहीं किया गया है। बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने बताया था कि अभी तक करीब 3000 से अधिक रोहिंग्या शरणार्थियों की मौत हो चुकी है।

    यहीं नहीं रोहिंग्या लोग कई परेशानियों से ग्रस्ति है। यहां के हजारों बच्चे कुपोषण के शिकार है। साथ ही छोटे बच्चों खासकर बच्चियों के साथ बाल व यौन शोषण की जानकारी भी सामने आ रही है।

    म्यांमार सरकार अभी तक रोहिंग्या मामले पर सख्ती बनाए हुई थी। संयुक्त राष्ट्र, चीनअमेरिका ने हाल ही में म्यांमार पर दबाव बनाया था जिस पर ही वह रोहिंग्या वापसी को तैयार हुई है।