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    रोहिंग्या शरणार्थी

    म्यांमार की सरकार रोहिंग्या मुस्लिमों पर दमनकारी नीति अपनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय जगत की आलोचना झेल रही है। चीन ने म्यांमार के स्थानीय स्थिरता को बनाये रखने के प्रयासों और रोहिंग्या मसले को सुलझाने के लिए म्यांमार को समर्थन का ऑफर दिया है। जबकि अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने म्यांमार की आलोचना की थी।

    माइक पेन्स ने बुधवार को कहा था कि म्यांमार के अल्पसंख्यकों के साथ हुई दमनकारी नीति के लिए सरकार को जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। सिंगापुर में आसियान सम्मेलन के इतर चीनी मंत्री ने कहा कि चीन की म्यांमार के साथ समझौते को महत्व देता है और दोस्ती को मजबूत करना चाहता है।

    उन्होंने कहा कि चीन ने म्यांमार की स्थिरता को बनाये रखने के प्रयासों का हम समर्थन करते हैं और म्यांमार और बांग्लादेश के इस मसले को बातचीत से सुलझाने की भी सराहना करते हैं। म्यांमार के रखाइन प्रान्त में रोहिंग्या मुस्लिमों के साथ नरसंहार के बाद 70 हज़ार मुस्लिम भागकर बांग्लादेश में आ गए थे।

    बांग्लादेश और म्यांमार 30 अक्टूबर को रोहिंग्या मुस्लिमों को देश वापस भेजने के लिए मान गए थे। आन सान सू की ने चीन के समर्थन के लिए शुक्रिया कहा था औऱ कहा कि म्यांमार में शांति प्रक्रिया और रखाइन मसले को समझने और समर्थन के लिए चीन का बहुत शुक्रिया अदा किया था।

    हज़ारों रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस म्यांमार भेजने की प्रक्रिया गुरुवार को शुरू हो गयी है। बांग्लादेश की शिविरों में सरकार के इस फैसले के खिलाफ जमकर प्रदर्शन हुए थे। रोहिंग्या शरणार्थियों ने बगैर सुरक्षा के आश्वासन के म्यांमार लौटने से इनकार कर दिया था, उन्हें डर है कि म्यांमार में उनकी जान को खतरा है।

    भारत के गृह मंत्रालय ने भी सात रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस म्यांमार भेज दिया था। बांग्लादेश और म्यांमार के बीच शरणार्थियों को वापस भेजने के लिए समझौता किया गया था।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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