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    रोहिंग्या मुस्लिमों पर ममता बनर्जी और ओवैसी

    भारत में रोहिग्या मुस्लिमों के रहने पर कई तरह के विवाद सामने आ रहे हैं। जहाँ एक ओर सरकार इन्हे देश की सुरक्षा के लिए खतरा मानती है, वहीँ दूसरी ओर कुछ नेता चंद वोटों के लिए इन्हे देश में रखने के पक्ष में हैं।

    हाल ही में मुस्मिल नेता असदुद्दीन ओवैसी और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रोहिंग्या मुस्लिमों को देश में रखने पर बयान दिए।

    असदुद्दीन ओवैसी ने मोदी सरकार को निशाना बनाते हुए कहा कि सरकार को रोहिंग्या मुस्लिमों को सिर्फ मुस्लिम नहीं समझना चाहिए। उनके मुताबिक सरकार को उन्हें शरणार्थी समझकर देश में रहने देने की इजाजत दे देनी चाहिए।

    इसके अलावा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वे रोहिंग्या मुस्लिमों के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र के निर्देशों के साथ हैं और उनके मुताबिक सरकार को इन्हे देश में रहने की इजाजत देनी चाहिए। जाहिर है संयुक्त राष्ट्र ने रोहिंग्या मुस्लिमों को भारत में शरण देने की बात कही थी।

    इन दोनों नेताओं के राजनैतिक सफर की ओर देखें तो यह पता चलता है कि दोनों ने समय समय पर धर्म के नाम पर राजनीति कर अपना वोट बैंक बढ़ाया है।

    असदुद्दीन ओवैसी आल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन पार्टी के अध्यक्ष हैं। ओवैसी समय समय पर हिन्दू-मुस्लिम मुद्दों पर भाषण देकर दोनों धर्मों के लोगों को भड़कते हैं। ओवैसी के वोट बैंक का एक बड़ा हिस्सा मुस्लमान हैं, और ऐसे में रोहिंग्या मुस्लिमों पर भाषण देना उनकी राजनैतिक योजना को साफ़ दिखलाता है।

    दूसरी ओर ममता बनर्जी बंगाल की लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनी हैं। ममता बनर्जी की लगातार जीत के पीछे बड़ा हाथ मुस्लिम वोटों का है। ऐसे में ममता बनर्जी वह सब कुछ कर रही हैं, जो मुस्लिमों के बीच उनकी लोकप्रियता को बढ़ाये रखे।

    हाल ही में ममता बनर्जी ने दुर्गा विसर्जन पर रोक लगा दी थी जिससे देश भर में उनका विरोध किया गया था। इन सब कारणों से रोहिंग्या मुस्लिमों के समर्थन का ममता का फैसला उनके पक्ष में साबित होता दिखा रहा है।

    इन सबके अलावा हमे यह सोचने की जरूरत है कि क्या चंद वोटों के लिए देश की सुरक्षा से समझौता करना सही है? क्या एक वर्ग के लोगों को खुश करने के लिए पुरे देश के लोगों पर खतरा डाल देना सही है?

    आज ही केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कुछ रोहिंग्या मुसलमानों के आतंकवादी संगठनों से जुड़े होने के सबूत दिए थे। ऐसे में यह भारतीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकते हैं।

    भारत में एक बड़ी मात्रा में रोहिंग्या मुस्लिम कश्मीर, असम और बंगाल के इलाकों में रह रहे हैं। भारत के ये इलाके पहले ही नाज़ुक इलाकों में आते हैं। असम शरणार्थियों से भरा हुआ है, कश्मीर पर पहले ही विवाद जारी है। ऐसे में भारत को ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहिए जिससे कुछ आंतरिक गड़बड़ हो।

    अगर अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी देखें, तो सभी देश और संगठन भारत को इन्हे रखने के लिए कह रहे हैं। लेकिन कोई भी देश खुद रोहिंग्या को रखने के लिए राजी नहीं हो रहे हैं। चीन ने हाल ही में रोहिंग्या मामले में भारत को इन्हे रखने के लिए कहा था लेकिन खुद चीन ने इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

    पश्चिमी देश भी भारत को इन्हे शरण देने के लिए कह रहे हैं। अगर रोहिंग्या की इन्हे इतनी ही फ़िक्र है, तो कोई भी देश खुद आगे आकर इन्हे शरण क्यों नहीं दे रहा है?

    हमें यह समझना चाहिए कि भारत को रोहिंग्या मुस्लिमों से कोई दुश्मनी नहीं है। लेकिन भारत की सुरक्षा किसी भी मुद्दे से ज्यादा जरूरी है और कोई भी परिस्थिति में उससे समझौता नहीं किया जा सकता है।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।