Fri. Mar 29th, 2024
    अमित शाह

    भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह आज गुजरात के खेड़ा जिले के फगवेल में आयोजित ओबीसी सम्मलेन से गुजरात विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा का चुनावी बिगुल फूकेंगे। इस सम्मलेन को भाजपा द्वारा राज्य के ओबीसी वर्ग के मतदाताओं को साधने वाले कदम के तौर पर देखा जा रहा है। अपने परम्परागत वोटबैंक पाटीदार समाज के रुष्ट हो जाने की वजह से भाजपा इस कमी को पूरा करने के लिए ओबीसी वर्ग को साधने की कोशिशों में जुटा हुआ है। कभी भाजपा का परम्परागत वोटबैंक रहा पाटीदार समाज हार्दिक पटेल के नेतृत्व में पटेल आरक्षण की मांग को लेकर हुए पाटीदार आन्दोलन के बाद से भाजपा से खफा चल रहा है। पटीदार समाज की नाराजगी की वजह से भाजपा ने अपना ध्यान ओबीसी वर्ग पर केंद्रित किया है।

    गुजरात की सियासत में सिंहासन तक पहुँचने के लिए जातीय समीकरणों को साधना बहुत जरुरी है और यही वजह कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह समेत गुजरात भाजपा के सभी वरिष्ठ नेता इस सम्मलेन में जुट रहे हैं। आगामी गुजरात विधानसभा चुनावों में ओबीसी वर्ग के मतदाता पाटीदार समाज से बड़ी भूमिका अदा कर सकते हैं। भाजपा ओबीसी वर्ग के मतदाताओं को को अपनी तरफ मिलाकर पाटीदार समाज के मतदाताओं के पार्टी से कटने की कमी को पूरा करना चाहती है। इससे पूर्व अब तक के सभी चुनावों में पाटीदार समाज को भाजपा का कोर वोटबैंक माना जाता था और भाजपा के पिछले 19 सालों से गुजरात में सत्तासीन रहने में पाटीदार समाज ने अहम भूमिका निभाई थी। आगामी विधानसभा चुनावों में पाटीदार समाज की नाराजगी भाजपा के प्रदर्शन पर असर डाल सकती है।

    जातीय समीकरण से सियासी गणित साध रही है भाजपा

    गुजरात विधानसभा में 182 सीटें हैं और इनमें से 70 सीटों पर ओबीसी वर्ग के मतदाताओं का बड़ा जनाधार मौजूद हैं। वहीं 35 सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं का बड़ा जनाधार मौजूद हैं और 26 सीटों पर आदिवासी मतदाताओं का बड़ा जनाधार है। 13 सीटों पर सवर्ण मतदाताओं का जनाधार है और 13 सीटों पर ही दलित मतदाता प्रधानता में हैं। गुजरात में पाटीदार मतदाताओं की जनसंख्या कुल मतदाताओं की जनसंख्या का 22 फीसदी है और 25 सीटों पर पाटीदार समाज के मतदाता प्रधानता में हैं। अगर वर्तमान जातीय सियासी समीकरणों पर गौर करें तो भाजपा आगामी गुजरात विधानसभा चुनावों में मजबूत स्थिति में नजर आ रही है। पाटीदार समाज की नाराजगी भाजपा के प्रदर्शन पर असर डाल सकती है और अमित शाह के मिशन 150+ से पीछे रह सकती है। हालाँकि इसे हासिल करने के लिए भाजपा हर मुमकिन कोशिश कर रही है।

    राज्यभर में ओबीसी वर्ग के मतदाताओं तक पहुँचने के लिए भाजपा राज्य में 2 बड़ी यात्राओं की रुपरेखा बना रही है। पहली पहली यात्रा एक अक्टूबर को सरदार पटेल के जन्मस्थान करसमद से शुरू होगी जबकि दूसरी यात्रा 2 अक्तूबर को महात्मा गांधी की जन्मभूमि पोरबंदर से शुरू होगी। गुजरात सरकार के योजनाओं की जानकारी राज्य के लोगों तक पहुँचाने के लिए मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने राज्यभर में 12 दिनों तक चलने वाले नर्मदा महोत्सव यात्रा का आयोजन किया है। 17 सितम्बर को अपने जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात में थे और उन्होंने नर्मदा नदी पर बने बांध के नवनिर्मित गेट का उद्घाटन किया। भाजपा राज्यभर में लोगों को यह बता रही है कि ओबीसी आरक्षण में सुधारों की उसकी संतुस्तियों का कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने विरोध किया था जिस वजह से ओबीसी कोटे के अंतर्गत आने वाली सभी जातियों को जातिगत आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

    भाजपा के किले में सेंधमारी करने में जुटी है कांग्रेस

    पिछले 19 सालों से भाजपा गुजरात में सत्ता में है और बतौर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान गुजरात ने काफी तरक्की भी की थी। गुजरात आज देश के सबसे समृद्ध राज्यों में से एक है और इसका श्रेय नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को जाता है। अभी हाल ही में हुए गुजरात राज्यसभा चुनावों में कांग्रेस के उम्मीदवार अहमद पटेल ने भाजपा की तमाम कोशिशों के बावजूद जीत दर्ज कर विधानसभा चुनावों से पूर्व कांग्रेस को संजीवनी देने का काम किया था। हालाँकि गुजरात कांग्रेस अभी तक बगावत के दौर से गुजर रही थी पर अहमद पटेल की जीत ने उसमे पुनः नई ऊर्जा का संचार किया है।

    गुजरात कांग्रेस राज्य में भाजपा से नाराज चल रहे पाटीदार समाज को अपनी तरफ मिलाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस आलाकमान पाटीदार आन्दोलन का नेतृत्व कर रहे हार्दिक पटेल से कई बार बातचीत कर चुकी है पर यह बातचीत अब तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँच सकी है। माना जा रहा है कि गुजरात कांग्रेस मुख्यमंत्री के चहरे के तौर पर अहमद पटेल को आगे कर सकती है। यह बात निश्चित है कि अगर कांग्रेस आलाकमान गुजरात कांग्रेस की कमान अहमद पटेल के हाथों में सौंपेगी तो आगामी चुनावों में उसे फायदा मिलेगा। निश्चित तौर पर पिछले 19 सालों में कांग्रेस अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेगी और यह भी मुमकिन है कि वह गुजरात की सत्ता पर काबिज हो जाए।

    भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए ही गुजरात विधानसभा चुनाव आसान नहीं रहने वाले हैं। दोनों ही दल सत्ता तक पहुँचने के लिए जरुरी सभी सियासी समीकरणों को साधने में लगे हुए हैं। दोनों ही दलों के सामने चुनौती भी एक सी है। कांग्रेस के लिए यह चुनाव वजूद बचाए रखने का चुनाव है वहीं भाजपा के लिए यह चुनाव बादशाहत बनाए रखने का चुनाव है। यह बात भी स्पष्ट है कि गुजरात विधानसभा चुनावों पर भाजपा, कांग्रेस ही नहीं वरन सभी राजनीतिक दलों की निगाहें जमी होंगी और इसके परिणाम ही देश की राजनीति की दिशा तय करेंगे।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।