बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने म्यांमार को रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस बुलाने को कहा है। बांग्लादेश में इस समय करीबन 4 लाख रोहिंग्या मुस्लिम अवैध शरणार्थियों के रूप में रह रहे हैं।
बांग्लादेशी प्रधानमंत्री ने कल एक शरणार्थी कैम्प का दौरा किया। इस दौरान शेख हसीना ने रोहिंग्या मुस्लिमों की कठिन परिस्थिति देखकर अपना दुःख व्यक्त किया। शेख हसीना ने कहा कि म्यांमार की बर्बरता को व्यक्त करने के लिए शब्द काफी नहीं हैं।
हसीना ने कहा, ‘उन्हें इसे बंद करना चाहिए। म्यांमार की सरकार को इस परिस्थिति को संयम से सुलझाना चाहिए था। उन्हें सेना को लोगों पर हमला करने की इजाजत नहीं देनी चाहिए थी।’ उन्होंने कहा कि इसमें मासूम बच्चों और महिलाओं का क्या कसूर है?
आज संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् एक आपातकालीन बैठक बुलाएगा जिसमे रोहिंग्या मुस्लिमों की सहायता पर बातचीत की जायेगी। इससे पहले कल अमेरिका की और से ट्रम्प सरकार ने इस मुद्दे की जमकर निंदा की। अमेरिका ने कहा कि म्यांमार सरकार की प्रतिक्रिया शर्मनाक है और उन्हें रोहिंग्या लोगों पर बेहद खेद है।
वहीँ इस मुद्दे पर म्यांमार का कहना है कि इसका जिम्मेदार रोहिंग्या मुस्लिम खुद हैं। उनके अनुसार रोहिंग्या मुस्लिमों ने उग्रवादियों के साथ मिलकर म्यांमार की सेना पर हमला किया था, जिसकी वजह से कई म्यांमार के सैनिक मारे गए थे।
बांग्लादेशी प्रधानमंत्री ने कहा कि बांग्लादेश रोहिंग्या मुस्लिमों की मदद करता रहेगा। लेकिन इस मामले में म्यांमार को जल्द ही कुछ फैसला करना होगा।
इसी मुद्दे पर चीन ने म्यांमार का साथ दिया है। चीन के मुताबिक म्यांमार सरकार शांति के लिए जो भी कदम उठा रही है, वह सही है। दरअसल चीन और म्यांमार में गहरे सम्बन्ध है। हाल ही में जब संयुक्त राष्ट्र रोहिंग्या मुस्लिमों के मुद्दे पर म्यांमार के खिलाफ खड़ा हो गया था, तब म्यांमार ने चीन से सहायता मांगी थी।
चीन ने कहा, ‘हमें लगता है कि विश्व को म्यांमार के द्वारा शांति के लिए उठाये गए कदमों की सराहना करनी चाहिए। हम आशा करते हैं कि म्यांमार में जल्द ही परिस्थिति सामान्य हो जायेगी।’
इस मामले में हांलांकि भारत ने अपना पक्ष साफ़ कर दिया है। भारत ने कहा है कि उसे रोहिंग्या मुस्लिमों की वजह से सुरक्षा का खतरा है। ऐसे में देश में रह रहे करीबन 40000 अवैध रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस भेजना चाहिए।