पिछले कुछ समय से विश्व भर में चर्चित रोहिंग्या मुस्लिम विवाद पर अब म्यांमार की सरकार ने चुप्पी तोड़ी है। वरिष्ठ नेता आंग सान सु की ने आज कहा कि म्यांमार भी इस मुद्दे पर चिंतित है और बहुत जल्द वह सभी शरणार्थियों को वापस अपने देश बुलाने की कोशिश करेगा।
पिछले महीने की 25 तारीख से रोहिंग्या मुस्लिम म्यांमार को छोड़कर पड़ोसी देशों में शरण ले रहे हैं। इस दौरान कई लोगों ने म्यांमार में होने वाले अत्याचारों की आपबीती सुनाई। लोगों ने बताया कि किस तरह सेना ने उनके घर जलाकर उन्हें देश छोड़ने पर मजबुर कर दिया था।
इसके बाद पुरे विश्व में म्यांमार सरकार को लेकर रोष पैदा हो गया था। संयुक्त राष्ट्र ने तुरंत म्यांमार सरकार से रोहिंग्या को वापस बुलाने की बात कही। अमेरिका, ब्रिटेन समेत सभी बड़े देशों ने भी इस मुद्दे पर म्यांमार सरकार और सेना को जिम्मेदार ठहराया था।
अंतराष्ट्रीय स्तर पर इस तरह अपने देश की किरकिरी होते देख सु की ने इसपर अपनी चुप्पी तोड़ने की ठानी। सु की ने अपने बयान में कहा कि म्यांमार सरकार भी रोहिंग्या मुद्दे पर उतनी ही चिंतित है, जितना बाकी विश्व। लेकिन उन्होंने कहा कि रोहिंग्या समुदाय के लोगों ने आतंकवादियों के साथ मिलकर म्यांमार में कई जगह हमले करवाए हैं।
सु की ने कहा कि देश में रह रहे सभी मुस्लिमों को इससे प्रताड़ित नहीं होना पड़ा है। अभी भी लाखों मुस्लिम शांति से म्यांमार में रह रहे हैं। सु की ने कहा कि जो लोग देश छोड़कर गए हैं, हम उनसे बात करेंगे और समस्या को समझने की कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार पूरी कोशिश करेगी कि उनकी हर समस्या का समाधान निकाला जाए।
इसके अलावा सु की ने अंतराष्ट्रीय संगठनों पर जमकर हमला बोला। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र को निशाना बनाते हुए कहा कि हमने किसी तरह के मानवीय अधिकार को नहीं तोडा है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार को आये अभी सिर्फ 18 महीने हुए हैं और हम शांति बनाये रखने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।
इस मसले को सुलझाने पर सु की ने कहा कि हम बहुत जल्द एक प्रक्रिया शुरू करेंगे जिसके तहत जो भी लोग पलायन करके दूसरे देश गए हैं, उनकी शिनाख्त कर उन्हें वापस लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार किसी जाती या धर्म के लोगों के खिलाफ नहीं है। उनकी तो यह सोच है कि म्यांमार में लोग जाती और धर्म के भेदभाव से दूर रहे।
सु की के इस फैसले से रोहिंग्या मुस्लिमों को जरूर रहत मिलेगी। बड़ी मात्रा में रोहिंग्या इस समय बांग्लादेश, मलेशिआ और भारत में रह रहे हैं। इनके देखभाल के लिए भारत और बांग्लादेश की सरकार ने मिलकर राहत शिविर बनाये थे जिनमे खाने-पीने एवं रहने से सम्बंधित सभी वस्तुओं को उपलब्ध कराया था।